मरवाही वनमंडल में विकास कार्य का ग्राफ नीचे- भ्रष्ट्राचार का ऊपर: कार्रवाई के अभाव में डीएफओ से लेकर मातहत अधिकारी- कर्मचारी दीमक की तरह चट कर रहे करोड़ो की राशि, शासन की छवि पर लग रहा गहरा दाग…
मरवाही वनमंडल में विकास कार्य का ग्राफ नीचे- भ्रष्ट्राचार का ऊपर: कार्रवाई के अभाव में डीएफओ से लेकर मातहत अधिकारी- कर्मचारी दीमक की तरह चट कर रहे करोड़ो की राशि, शासन की छवि पर लग रहा गहरा दाग…
गौरेला पेंड्रा मरवाही:- मानव विज्ञान कहता है कि स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 से.मी. है, शायद यही वजह है कि छत्तीसगढ़ शासन वन मंत्रालय के नाक नीचे मरवाही वनमंडल में होने वाली ज्यादातर भ्रष्ट्राचार उन्हें दिखाई नही दे रही। जिसके कारण इस वनमंडल के शीर्ष व मातहत अधिकारी से लेकर जमीनी स्तर के कर्मचारियों तक सभी खुला भ्रष्ट्राचार को अंजाम देते हुए दोनों हाथों से धन अर्जित करने में मस्त है। जिससे अनेक बहु उद्देशीय वन विकास योजनाएं दम तोड़ रही है, परंतु नाक के नीचे होने की वजह से ये घटनायें दिखाई नही पड़ रही है।
अपने भ्रष्ट्र कारनामे की वजह से पूरे प्रदेश भर में अच्छी- खासी सुर्खिया बटोरने वाले मरवाही वनमंडल में चल रहे कमीशनखोरी व पैसों के बंदरबांट का सिलसिला थमने का नाम ही नही ले रहा है। फिर चाहे वो रोपणी कार्य हो, विभिन्न निर्माण अथवा मजदूरी भुगतान, हर तरफ से यहां के शीर्ष, मातहत अधिकारी व कर्मचारी अपनी जेबें गरम करने में मस्त है। और लाखों का नही बल्कि करोड़ों का घोटाला किया जा रहा है तथा इन्हें ऐसा लगने लगा है कि सइयां भये कोतवाल..तो दर काहे का .! मरवाही वनमंडलाधिकारी के रूप में संजय त्रिपाठी को शासन स्तर पर यहां की जवाबदारी सौंपे जाने के बाद से ही होने वाले अनेक घोटाले दर घोटाले तो जग जाहिर है, इसके उपरांत भी सिलसिले वार किए जा रहे घोटालेबाजी पर तनिक भी रोक नही लग पाना शासन स्तर के निष्क्रियतापन कहें या मौन सहमति को उजागर करता है।
मरवाही वनमंडल के मरवाही , पेंड्रा , गौरेला , खोडरी रेंज में डीएफओ द्वारा जमकर भ्रष्टाचार करवाया गया है , यही नहीं ईस्ट-वेस्ट रेल कॉरिडोर के लिए मिले फंड का भी दुरुपयोग किया जा रहा है। मरवाही के मड़ना डिपो का निर्माण इमारती और जलाऊ लकड़ी रखने के लिए किया गया है। यहां लकड़ियों को सुरक्षित रखकर उसकी नीलामी की जाती है। मगर डिपो परिसर में प्रभारी डीएफ ओ संजय त्रिपाठी ने लाखों रुपए खर्च कर डिपो की जमीन में अवैध रूप से खेल मैदान बनवा दिया है। यहां प्रोजेक्ट डेवलपमेंट (पीडी) फंड से बास्केटबॉल, वॉलीबॉल और बैडमिंटन कोर्ट बनवा दिया गया है। इससे राशि का बंदरबाट तो हुआ ही है, साथ ही डिपो परिसर का रकबा भी कम हो गया है। प्रभारी डीएफओ संजय त्रिपाठी ने मड़ना डिपो में ही वनमंडल अधिकारी कार्यालय परिसर के लिए सी सी रोड का निर्माण कराया है। खास बात यह है कि चार साल पहले भी यहां सी सी रोड बना था, जिसके ऊपर ही कंक्रीट रोड बनाया गया है, जो शासन के नियमों के विपरीत है। यही नहीं वन मंडल में ऊंची बाउंड्रीवॉल के साथ ही खेल मैदान, आलीशान बंगला और अन्य सुविधाओं पर राशि खर्च की जा रही है
वहीं नरवा विकास के अंतर्गत ब्रुशबूट चेकडेम, लूज बोल्डर चेकडेम, गली प्लग, गेवियन संरचना, चेकडेम और स्टापडेम निर्माण के नाम पर भी करोड़ों का घोटाला, और ऐसा क्यों न हो… जब डीएफओ सहित भ्रष्ट्र अधिकारियों पर उच्च स्तर का वरदहस्त हो तो भला कार्रवाई की हिमाकत कौन करें, और यदि करें भी तो खानापूर्ति स्वरूप छोटे स्तर के कर्मचारियों पर कार्रवाई की गाज गिराकर अपने हाथों खुद अपनी पीठ थपथपाने जैसा रिवाज देखने को मिलता है। खैर जो भी हो किंतु वर्तमान शासन की प्रशासनिक व्यवस्था से विपक्षी पार्टी खासी प्रभावित, प्रसन्नचित है तथा उत्साहित नजर आ रही है, और उन्हें लगता है कि वर्तमान व्यवस्था आगे भी बनी रहे, ताकि आने वाले चुनाव में उनकी नैया आसानी से पार लग जाए। ऐसा नही है कि घट रही घटनाओं को जनता भी नही जानती, बल्कि शासन- प्रशासन से कहीं ज्यादा आम जनता समझने लगी है। जिससे जनता के बीच सरकारी संवेदनशीलता का नारा खोखला साबित होता चले जाने के साथ ही शासन की छवि पर गहरा दाग लगता जा रहा है।