जीपीएम: भावनाओं का कोई मोल नही — वीरेंद्र सिंह बघेल प्रवक्ता..
जीपीएम: भावनाओं का कोई मोल नही — वीरेंद्र सिंह बघेल प्रवक्ता
भावनाओं का क्या कोई मोल है ‘ क्या हम उन भावनाओं को सब को प्रकट कर सकते है ‘जिनको करते है ‘ क्या उनमें सामर्थ्य है कि उन शब्दों की गहराई को समझ सके
एक सोच एक नजरिया एक जरिया है हम जो इस समाज के उस हिस्से को उजागर करने की के प्रयास में है ‘ जो सबकी नजरों के सामने होकर भी छिप जाते है , या छिपाए जाते है ‘
हम इसे अपना कर्तव्य मानते हैं
सदागत ही हमारा उद्देश्य है , हम कभी भी किसी व्यक्ति या समुदाय को आघात पहुँचाने में विश्वास नही रखते
वरन हम उनकी विचारधारा को परिवर्तित करने की हर सम्भव कोशिस करते है
माना सपने बहुत लोग देखते है ,मगर शिर्फ़ सपने देखना ही काफी है क्या ‘ मगर हम सपने ही नही देखते ‘ हमें हकीकत देखने की आदत है ‘ हम वजूद खो रही कलम को उस आयाम देखना चाहते है ‘ जहाँ उसे उसकी मिलकियत का सम्मान और आदर मिले ‘ हम कलम को इतना सशक्त बनाना चाहते है कि वह दिल खोलकर सच्चाई बयान कर सके तथा कलम के प्रति लोगो का भरोसा और बढ़ जाये पर सवाल वही है ‘ जो समझना नही चाहते ..