कोरबा/पाली: मानवता की मिशाल बने सरपंच दम्पत्ति..

मानवता की मिशाल बने सरपंच दम्पत्ति: प्रकृति के कहर से 12 दिन की मासूम के सिर से उठा माँ का साया, गरीबी झेल रहे पिता से पुत्री को सरपंच ने लिया गोद, अब 22 साल की उम्र में कन्यादान कर निभाया माता- पिता का फर्ज

 

 

कोरबा/पाली:-मानव हो तो मानवता के सूचि श्रृंगार बनो… इस कहावत को चरितार्थ करते हुए सरपंच दम्पत्ति ने मानवता की मिशाल पेश कर समाज को एक नया संदेश दिया है। प्रकृति ने एक 12 दिन की मासूम पर ऐसा कहर बरपाया कि उस मासूम के सिर से माँ का साया उठ गया। तब गरीब पिता बेहाल हो गया तथा एक तरफ गरीबी का दंश और दूसरी ओर पत्नी का साथ छूटा, मासूम को कैसे पालूं..? यह सोच- सोच कर उसकी रात की नींद हराम हो गई और दिन का चैन खो गया। फिर ख्याल आया और अपनी मासूम बेटी को गोद में उठा कर गांव के मुखिया की गोद में सौंपते हुए उस गरीब- लाचार पिता ने कहा कि मैं अपनी पुत्री को पाल नहीं सकता। अब इस बच्ची को आपके हवाले करता हूं। यह कोई फिल्म की स्टोरी अथवा किसी उपन्यास से ली गई पात्र नही बल्कि मानवीय समाज की हकीकत है।

मामला जनपद पंचायत पाली के अंतर्गत आने वाली नवीन ग्राम पंचायत पूटा की है। यहां 22 साल पहले एक गरीब परिवार जेठिया बाई- रामफल गोंड़ निवास करते थे। शादी के दो साल बाद ही एक मासूम बच्ची (धनकुमारी) का जन्म हुआ। 12 दिन के बाद माँ का साया उस दुधमुही के सिर से उठ गया और मासूम के पिता ने गरीबी व लाचारी के कारण अपनी मासूम बच्ची को सरपंच दम्पत्ति सुमरित बाई- दिलाराम नेताम को सौंप दिया। मासूम को गोद में देखकर सरपंच दम्पत्ति ने इस घटना को अपने लिए सौभाग्य समझा और लक्ष्मी स्वरूपा इस मासूम को गोद ले लिया एवं इसका नाम धनकुमारी रख दिया तथा उसका लालन- पालन करने लगे। 22 साल बाद बीते 24 मार्च को सरपंच दम्पत्ति ने अपनी उस पुत्री का कन्यादान कर माता- पिता का फर्ज निभाया और इस कन्या को अपने घर से विदा किया। धनकुमारी का हाथ थामने वाला रामगोपाल पिता सदाराम धु्रव निवासी सकेती, थाना हिर्री जिला बिलासपुर ने भी माना कि धनकुमारी मुझे सौभाग्य के रूप में मिल रही है और मैं जीवन भर इसे इतनी खुशियां देने का प्रयास करूंगा कि मायके की याद न आए और हम दोनों मिलकर घर को स्वर्ग बनाएंगे। गुरूवार की सुबह धनकुमारी विदा हुई

धनकुमारी हमारे जीवन मे सौभाग्य बनकर आयी

ग्राम पंचायत पुटा के सरपंच दम्पति श्रीमती सुमरित बाई नेताम- दिलाराम नेताम ने कहा कि 22 साल पहले परी सी धनकुमारी सौभाग्य बनकर हमारे जीवन मे आयी, और उसके आते ही हमारे जीवन मे भी खुशहाली दो गुनी आ गई। पहले मां फिर कुछ वर्ष बाद पिता के गुजर जाने से तथा जिस बच्ची को गोद मे पाल- पोस कर बड़ा किया आज रुंआसे मन से उसे विदा करते हुए ऐसा लग रहा है जैसे पिछले जन्म का हमारा सुकर्म रहा होगा कि हमे प्रकृति ने यह सौभाग्य दिया, और हमे धनकुमारी का अभिभावक बनकर लालन- पालन से लेकर शिक्षा- दीक्षा और विवाह करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। धनकुमारी बेटी के रूप में मिलने के बाद सरपंच दम्पत्ति को चार साल बाद लड़का और उसके दो साल बाद लड़की प्राप्त हुई। श्री नेताम ने कहा कि आज बड़ी बेटी का कन्यादान करते हुए ऐसा लग रहा है कि हमने चारो धाम तीरथ का दर्शन कर लिए।

सहयोगात्मक भाव, स्वच्छ छवि, ग्राम विकास को लेकर गांव में खास है सरपंच दम्पत्ति

ग्राम पंचायत पुटा पहले ग्राम पंचायत उड़ता में समाहित थी। अब नवीन ग्राम पंचायत के रूप में पुटा अस्तित्व में है। वर्ष 2005 से उड़ता पंचायत में दिलाराम नेताम तथा अब पुटा से कभी श्री नेताम तो कभी उसकी धर्मपत्नी सुमरित बाई निर्विरोध सरपंच चुनते आ रहे हैं। जिले का यह अपने आप में एक आदर्श है कि बिना खर्च हर पंचवर्षीय में ये दम्पत्ति सरपंच चुनते आ रहे हैं। क्योंकि ग्रामवासियों के प्रति इनकी समर्पण- सहयोगात्मक भावना, ग्राम विकास और स्वच्छ छवि को लेकर इन्हें गांव की जनता खूब पसंद करती है, इस कारण ग्राम में यह परिवार खास है।