बर्खास्तगी मामला; उच्च स्तरीय जांच समिति से चयनित लिपिक का कूटरचना कर फर्जी जांच रिपोर्ट बनाने वाले एसडीओ त्रिपाठी एवं 3 लिपिक पर कार्यवाही कब..????
बर्खास्तगी मामला; उच्च स्तरीय जांच समिति से चयनित लिपिक का कूटरचना कर फर्जी जांच रिपोर्ट बनाने वाले एसडीओ त्रिपाठी एवं 3 लिपिक पर कार्यवाही कब..????
गौरेला पेंड्रा मरवाही; वन मंडल मरवाही लिपिक परमेश्वर गुर्जर की बर्खास्तगी का आदेश जारी कर खूब वाह वाही बटोर रहे डीएफओ पटेल ने, एक लिपिक को टर्मिनेट कर खुद की छवि साफ करने में लगे हुए है CCF , डीएफओ और एसडीओ त्रिपाठी यह क्यों भुल रहे है की लिपिक की भर्ती दस्तावेजों के सत्यापन के उपरांत की जाती है, फिर गुर्जर की भर्ती में चूक कैसे हो सकता है आपको बता दे की लिपिक की भर्ती प्रक्रिया में डीएफओ व 2 एसडीओ राजपत्रित अधिकारी और एक रेंजर इन सभी की कमेटी द्वारा ऑफिशियल दस्तावेजों की जांच के उपरांत ही भर्ती की गई है..अगर ऐसा हुआ है तो 11 श्रमिको को और चयन समिति में सम्मिलित इन सभी 4 अधिकारियो के ऊपर भी कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए..!
पूरे मामले में पीड़ित परमेश्वर गुर्जर ने बताया की भ्रष्ट संजय त्रिपाठी ने नियम कानून सब किनारे कर CCF बिपासपुर को मोटी रकम दे DFO पटेल से बर्खास्तगी की कार्यवाही कर नीचा दिखाना चाहता है मामले में गुर्जर का कहना है इसका पाप का घड़ा भर चुका है इसके कर्मो का बहोत जल्द आने वाला है वर्तमान CCF चंदेले जो पहले से ही भ्रष्टाचार से ग्रषित है तो उससे न्याय की उम्मीद ही क्या कर सकता है चंदेले एसडीओ त्रिपाठी का ही स्पोर्ट करेंगे !
लिपिक गुर्जर ने बताया शासन के दिशा निर्देश अनुसार 10 साल दैनिक श्रमिक के रूप में विभाग में कार्य करने एवम 1997 से पूर्व के श्रमिको को रेगुलर करने 2009 में निर्देश हुआ जिसमे तत्कालीन डीएफआे ने वनमण्डल स्तर में खुद और 2 एसडीओ एक रेंज ऑफिसर की कमेटी बना कर कार्ययालीन अभिलेख से सत्यापन कर चयन सूची बनाया..कुल 11 लोगो को पात्र पाया गया था जिसे मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर को वरीयता सूची बना प्रस्तुत किया गया मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर भी डीएफओ एवम एसडीओ स्तर की समिति गठित कर प्रस्तुत सूची का सत्यापन कराया गया और पात्र श्रमिको का वरीयता प्रधान मुख्य वन संरक्षक रायपुर मुख्यालय को अनुमोदन और पद स्वीकृति हेतु भेजा गया !
जिसमे 6 पद मरवाही वनमंडल को स्वीकृत किया गया था , जिसमे 6 लोगो का नियमतीकरण हुआ … वर्ष 2009 में नियमतीकरण के समय सभी 8वी ,10वी, 12वी स्नातक की अंकसूची मेरे द्वारा दिया गया 2009 से 2016 तक वन चौकीदार के पद पर कार्य किया 2016 में मेरा प्रमोशन लिपिक में हुआ और आज दिनांक तक कार्यरत रहा कुल 13 वर्ष कार्य विभाग में किया 10 माह पूर्व प्रभारी डीएफओ आर के मिश्रा और संजय त्रिपाठी एसडीओ पेंड्रा के बीच प्रभार को लेकर मन मुटाव था तत्कालीन डीएफओ मिश्रा के निर्देश में काम करता रहा मिश्रा के रिटायर मेन्ट के बाद संजय त्रिपाठी प्रभारी डीएफओ मरवाही का प्रभार लेने में सफल रहा बस मेरे ख़िलाफ़ षड्यन्त्र की शुरुआत संजय त्रिपाठी द्वारा मेरे खिलाफ चालू कर दिया !
सर्व प्रथम बिलासपुर के अपने करीबी मिर्जा बेग सम्पादक प्रजा सक्ति अखबार में मेरा और राकेश मिश्रा के खिलाफ केवल एक पेज में 450 करोड़ का गबन का आरोप लगा पेपर को सोशल मीडिया और पेपर को वितरित करवाया गया जिससे हम बदनाम हो मैं भी इसके भ्रष्टाचार का एक के बाद एक परत खोलना चालू किया जो आप सब को मालूम है 100 समाचार छपे होंगे.. इससे मेरे ऊपर बदले के भावना से शिकायत गौरी शंकर श्रीवास भाजपा के नेता शिकायत करवाया गया… व अनेक लोगो के द्वारा मेरे से ब्लैक मेलिंग कर पैसा लेना चाहा लेकिन इनका दाल नही गला !
आपको बता दे की यही भाजपा नेता है जिसने संजय त्रिपाठी के डांस को सोशल मीडिया फेसबुक पर पोस्ट किया परंतु सब पैसे से सलट गया और फिर उसी को फंडिंग कर मेरे खिलाफ शिकायत करवाया गया जिसमे संजय त्रिपाठी ने खुद प्रभारी डीएफओ मरवाही रहते हुए और खुद ही जांच अधिकारी एसडीओ पेंड्रा बन कर एक सीनियर एसडीओ के पी डिंडोरे के रहते घर बैठे जांच रिपोर्ट बनाता है जाँच कमेटी में मुख्य लिपिक ललित ध्रुव, स्थापना लिपिक प्रभारी मंजुला उइके,और श्रवण मराबी लिपिक को जाँच कमेटी में रखता है !
वही नियम की अगर बात करे तो ख़ुद प्रभारी डीएफओ रहते हुए खुद ही जांच अधिकारी बनकर जांच नही कर सकता है..न ही लिपिक को कमेटी में रख सकता कोई राज पत्रित अधिकारी ही जांच कर सकता है त्रिपाठी द्वारा मेरे को मेरा पक्ष रखने कोई सूचना नही दिया गया और जाच रिपोर्ट में बताया गया है नोटिस दिया गया था और दिया गया तो पावती सार्वजनिक करे कमेटी में गवाह के रूप में डीएफओ सुरक्षा में तैनात चिंताराम बेगा का कोरे कागज में हस्ताक्षर करा खुद स्टेनो पुरुषोत्तम कश्यप ने मनगढ़ंत लिखा गया बेचू सिंह गोड़ ,सुरेश राठौर का बयान भी त्रिपाठी और स्टेनो द्वारा लिखा गया मंजुला उइके की भी इस षड्यन्त्र में मुख्य भूमिका थी.. सही दस्तावेज न देकर गुमराह किया इतने में ही डीएफओ पटेल की पोस्टिंग मरवाही डीएफओ के रूप में होती है !
और संजय त्रिपाठी प्रभार से हटने के 10 दिन बाद मेरे जाच रिपोर्ट को सीसीएफ आफिस में फर्जी डिस्पेच नम्बर डाल प्रस्तुत करता है और पूर्व से ही भ्रष्टाचार में ग्रषित मुख्य वन संरक्षक राकेश चंदेले ने भी त्रिपाठी के साथ कन्धा से कंधा मिलाकर साथ दिया गया..मेरे द्वारा इस जांच रिपोर्ट को संजय त्रिपाठी को छोड़ किसी अधिकारी से जाच कराने हेतु आवेदन सीसीएफ को दिया परंतु मेरे आवेदन में कोई कार्यवाही नही किया गया… मेरे आवेदन को दरकिनार कर मुझ पर कार्यवाही हेतु लिख दिया गया व मेरे द्वारा किए गए त्रिपाठी के खिलाफ जांच कर एफआईआर करने की शिकायत पर कोई कार्यवाही नही किया गया…!!