करोड़ो के घोटालेबाज मिलरो को अभयदान क्यों ? अपराध दर्ज होने के 6 दिन बाद भी नही हुई गिरफ्तारी….

GPM: छत्तीसगढ का सबसे चर्चित फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में राइस मिलों के मालिकों के खिलाफ जिला विपणन अधिकारी रमेश लहरे ने थाने में एफआईआर दर्ज कराया था, बैंक गारंटी में कूट रचना का इस्तेमाल होना पाया गया है तो फिर इसके जांच के दायरे को व्यापक करते हुए पूर्व के वर्षों में धान के उठाव के लिए जमा की गई बैंक गारंटी की भी असलियत की जांच- पड़ताल कराई जानी चाहिए थी।

बहरहाल जिले के इस सबसे बड़े और चर्चित फर्जीवाड़े में कलेक्टर के निर्देश पर विपणन अधिकारी द्वारा थाने में की गई एफआईआर पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ फिलहाल धारा 420 एवं 34 का अपराध दर्ज कर मामले की जांच- पड़ताल शुरू कर दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जिस बैंक गारंटी को जिला प्रशासन द्वारा कराई गई जांच में कूट रचित होना पाया गया है। जो पुलिस की जांच में साबित होगा या नहीं। फिलहाल पुलिस ने संबंधित अधिकारी से मूल दस्तावेजों को तलब किया है।

पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे मे

धान उठाव के लिए बैंक गारंटी में हुए फर्जीवाड़े के जिले के सबसे चर्चित मामले में जिन मिलरों के खिलाफ 5 जनवरी को थाने में अपराध दर्ज हुआ है, पुलिस 1 सफ्ताह बाद भी उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकी है। जबकि चर्चा है कि अपराध दर्ज होने के दो दिनों तक ये मिलर्स नगर में ही थे। लेकिन उसके बाद ये नगर से बाहर किसी अन्य राज्य में जा चुके हैं। इसको लेकर पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है।

कूटरचित बैंक गारंटी के मामले में विपणन अधिकारी की रिपोर्ट पर जिन 4 लोगों के खिलाफ पुलिस ने 420 एवं 34 का अपराध दर्ज किया है उनमें ब्लैक लिस्टेड हुई राइस मिलों के मालिक गोपाल अग्रवाल, आशीष अग्रवाल एवं फकीरचंद अग्रवाल के अलावा एसबीआई पेंड्रारोड ब्रांच के तत्कालीन मुख्य प्रबंधक एस टोप्पो शामिल हैं।