डीएमओ ने कोरबा के सहकारी समितियों का 85 लाख दबाया गत वर्ष जीरो शार्टेज दिए धान का आज पर्यन्त नहीं किया भुगतान..
डीएमओ ने कोरबा के सहकारी समितियों का 85 लाख दबाया गत वर्ष जीरो शार्टेज दिए धान का आज पर्यन्त नहीं किया भुगतान
सहकारी समिति कर्मचारी संघ ने कलेक्टर को लिखा पत्र ,बोले इस वर्ष के लेखा मिलान से पहले करवा दें भुगतान ,देखें पत्र
कोरबा: इस साल की धान खरीदी को समाप्त हुए पखवाड़ा बीत गया बावजूद इसके जिला विपणन अधिकारी (डीएमओ) की निष्क्रियता से गत खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में रिकार्ड 17 लाख 2 हजार 514 क्विंटल धान की खरीदी कर शतप्रतिशत परिदान कर प्रशासन की जीरो शार्टेज की मंशा को साकार करने वाले तत्कालीन सभी 55 उपार्जन केंद्रों को 85 लाख 12 हजार 570 रुपए में से एक भी पैसे का प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं हुआ। पत्र लिखे जाने के 2 माह बाद भी मार्कफेड की उदासीनता से नाराज जिला सहकारी कर्मचारी विक्रेता संघ ने कलेक्टर को पत्र लिखकर इस साल के धान खरीदी के अंतिम लेखा मिलान से पूर्व गत खरीफ वर्ष के जीरो शार्टेज की प्रोत्साहन राशि का अविलंब भुगतान कराने की बात कही है।
कलेक्टर को लिखे पत्र के माध्यम से संघ के अध्यक्ष वेद प्रकाश वैष्णव एवं सचिव तुलेश्वर कौशिक ने अवगत कराया है कि खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देश के आधार पर जिन समिति/उपार्जन केंद्रों में शून्य सूखत ( खरीदे गए धान का शत प्रतिशत परिदान )होता है उसे प्रति क्विंटल 5 रुपए के आधार पर प्रोत्साहन राशि दिए जाने का प्रावधान है । गत खरीफ विपणन वर्ष 2021 -22 में कोरबा जिले में किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं हुई ,सभी 55 उपार्जन केंद्रों ने समर्थन मूल्य पर खरीदे गए 17 लाख 2 हजार 514 क्विंटल धान का परिदान किया।
जिसके एवज में 85 लाख 12 हजार 570 रुपए का भुगतान होना था। लेकिन सम्पूर्ण लेखा मिलान के बाद भी आज पर्यन्त एक रुपए का भी भुगतान नहीं हुआ है। जिससे समितियां वित्तीय संकट से जूझ रही हैं । संघ के जिला अध्यक्ष ,जिला सचिव ने इस बावत में डीएमओ को पत्र लिखकर 20 दिसंबर को लिखे पत्र का भी संदर्भ दिया है। जिसमें 2 माह बाद भी डीएमओ ने कोई पहल नहीं किया। वेद प्रकाश वैष्णव ,तुलेश्वर कौशिक ने चर्चा के दौरान सीधे तौर पर कहा है कि अगर अविलंब प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं हुआ तो आने वाले दिनों लेखा मिलान का बहिष्कार करेंगे।
संघ के इस पत्र ने खलबली मचा दी है वहीं करीब एक साल बाद भी जायज राशि समितियों को भुगतान नहीं होने से डीएमओ की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे। लगातार उनकी विफलताऐं जिला प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन रही है।