पसान के दर्रीपारा व अन्य स्थानो में चल रहा लाखो का जुआ बेरोजगार युवक जुए से पूरी तरह प्रभावित पुलिस का संरक्षण होने से दूसरे जिलों से भी आते हैं खिलाड़ी
पोड़ी उपरोड़ा:-कोरबा जिला पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के ग्राम पसान का जंगल इन दिनो जुआडियों का प्रमुख केन्द्र बना हुआ हैं, जहाँ लाखों का जुआ महीनों से संचालित हो रहा हैं, लेकिन पुलिस विभाग इसे पकडने में कोताही बरत रही है,
नतिजा यह है कि क्षेत्र के बेरोजगार युवक इससे पूरी तरह प्रभावित होने लगें है, और अपने पूर्वजों की पूँजी को बेचकर जुए में गंवाते जा रहे हैं। वैसे तो जंगल वन क्षेत्र हैं, जिसे वन माफिया समय-समय पर हानि पहुंचाने का कार्य करते रहते है,किन्तु कुछ समय से जुआ खिलाने वाले लोग उसे अपना शरण स्थल बना लिए हैं, वहां के लाख रूपये का दाव रोजाना लगता हैं इस जुए को कुछ लोग सिंडिकेट बनाकर खेला रहें है। जिसकी खबर पसान पुलिस व जिला मुख्यालय के कुछ कथित अधिकारीयों को भी है जो इन जुआडियों को संरक्षण देने का काम कर रहे है। जिस वजह से यह जुआ बड़े पैमाने पर चल रहा हैं। विदित हो की इस पसान गाँव में जुआ खेलने पसान ,कोरबा के अलावा , जीपीएम जिला, बिलासपुर
आदि जिलों से भी
लोग जुआ खेलने आते हैं।
कोरबा जिले के लोग आते ही हैं, साथ में अपने अन्य जिलो के मित्रो को साथ में बुलाकर जुआ खेलने जाते हैं, ऐसे में इस गैर कानूनी काम को रोकने मे पुलिस की जरा भी रूचि नहीं है , पसान पुलिस के अनुसार स्टॉप की कमी की वजह से कार्यवाही नही हो पा रहीं है ,अतः यह बोलना ग़लत नही होगा कि
पसान के पुलिस वालों का संरक्षण इन्हे प्राप्त है, जिसके कारण युवा वर्ग उस काराबार से भारी बरबाद हो रहें है।
यह बताना जरूरी है कि पसान जंगल अन्य अपराधिक गतिविधियों के लिए हमेशा से चर्चा में रहता हैं, इस जगह पर अब जुआ खेलने वाले लोग डेरा डाले दिये है। जानकारों का कहना है कि जो लोग जुआ खेल रहे है है उन्हें नेताओं कुछ । का भी संरक्षण प्राप्त होने के कारण वे पुलिस वालों से सेटिंग करने मे जरा भी संकोच व डरते नही करते जिसके कारण वे पुलिस वालों का मुंह लगा हो गयो है आज जिस पैमाने पर पसान दर्रीपारा , तेलियामार जंगल मे जुआ हो रहा है इससे अनेक घर बर्बाद होने की स्थिति से गुजर रहे है और उक्त लोग इसे एक कारोबार । की तरह खुलेआम चला रहे है जिसके कारण न सिर्फ युवाओं का आर्थिक नुकसान होने लगा हैं – बल्कि जंगल में स्थित वन पशु पक्षियों को हमसे खतरा होने का – भी अंदेशा दिखाई देने लगा हैं,