बिलासपुर से आये पतंग प्रेमियों ने जीपीएम में बनाया पतंगबाज़ी का माहौल,
गौरेला पेंड्रा मरवाही: मकर संक्रांति में मल्टीपरपस हाई स्कूल ग्राउंड पेंड्रा में बिलासपुर से आए पतंग प्रेमियों ने जिले में पतंगबाजी का माहौल बना दिया। पतंगबाजी के इस माहौल को देखकर गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के उन पुराने पतंग प्रेमियों को अपने वह दिन याद आ गए जब वह भी पतंगबाजी करके इस माहौल का लुफ्त उठाते थे।
बिलासपुर से पतंग बाजी करने वाहिद अली चिस्ती, आफ़ताब आलम,महबूब अली, नितिन कुशवाहा, सुनील गिरी,सौमित्र बोस,जावेद इक़बाल,छोटू ख़ान मल्टीपरपस हाई स्कूल ग्राउंड पेंड्रा पहुँचे थे जहाँ सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक पतंगबाजी किये। जिनकी पतंगबाजी का आनंद स्थानीय निवासियों ने भी वहां पहुंचकर उठाया।
मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की सदियों पुरानी परंपरा
मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने के पीछे स्वास्थ्य संबंधी कारणों को भी बताया गया है. माना जाता है कि इस दिन सूर्य से मिलने वाली धूप सेहत के लिए काफी लाभदायक होती है और शरीर के कई विकारों को दूर करती है. कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन अगर आप पतंग नहीं उड़ा पाते तो भी आपको धूप जरूर सेकनी चाहिए…क्योंकि इस सूरज की किरणें दवाई की काम करती है.
भगवान राम ने भाइयों संग उड़ाई थी पतंग
पौराणिक मान्यता है कि त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने अपने तीनों भाइयों और हनुमान जी के साथ मिलकर मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाई थी. तभी से इस त्योहार पर पतंग उड़ाने की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है. मान्यता है कि श्रीराम ने जो पतंग उड़ाई थी वो उड़ते-उड़ते स्वर्ग पहुंच गई थी और स्वर्गलोक में इंद्र पुत्र जयंत की पत्नी को मिली थी. जयंत की पत्नी की यह पतंग काफी पसंद आई और उन्होंने उसको अपने पास रख लिया. श्रीराम ने हनुमान जी को पतंग लेने स्वर्ग भेजा तब जयंत की पत्नी ने श्रीराम के दर्शन की इच्छा प्रकट की।