नहीं बन पा रहा है गरीबी रेखा का राशन कार्ड, गरीबी रेखा के कार्ड के लिए हितग्राही कार्ड अनिवार्य, हितग्राही कार्ड बनवाने के लिए लगाने पड़ते हैं कई चक्कर, प्रशासन द्वारा बांटे गए राशन में दाल के खराब होने की मिली जानकारी

_सिमरन गार्डिया_

 

दर्री_छत्तीसगढ़ शासन गरीबों के लिए नई नई योजना बनाकर उन्हें आगे लाने के कई प्रयास करते नजर आती है ।
वही स्याही मूडी सहित कोरबा के कई गांव में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार आज भी राशन कार्ड के लिए परेशान होते नजर आते हैं ।
कई ग्रामीण प्रतिदिन राशन कार्ड के लिए नगर निगम व कलेक्ट्रेट के भी चक्कर काटते नजर आते हैं ।
लेकिन उन्हें राशन कार्ड नहीं मिल पाता है ओर ना ही किसी अधिकारी से सही जानकारी मिल पाती है।
राशन कार्ड के ना होने से राशन के अलावा इनके ओर भी कार्य प्रभावित होते है।

राशन कार्ड बनवाने के लिए कई शर्तें लागू होती है, जिसे गरीब वर्ग के लोग पूरा नहीं कर पाते हैं और वह राशन कार्ड से वंचित हो जाते है।

जैसे कि राशन कार्ड बनवाने के लिए हितग्राही कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है।

अब इतनी आसानी से तो हितग्राही कार्ड नहीं बन पाता।जिसे बनाने के लिए लेबर कोर्ट के कई चक्कर काटने पड़ते हैं।

आखिरकार हितग्राही कार्ड के ना होने के कारण कई लोगों के राशन कार्ड नहीं बन पाते हैं।

हितग्राही कार्ड बनवाने के लिए कई दलाल 700 से ₹800 की लागत से कार्ड बना देते है, जिसे गरीब वर्ग के लोग नहीं बनवा पाते।
अमूमन नहीं बनाने को ही मजबूर हो जाते हैं।

यह बात भी सामने आई कि लॉकडाउन में जिनके पास राशन कार्ड नहीं था प्रशासन के द्वारा
उन्हें एक बार राशन वितरण किया गया।

जिसमें दाल के खराब होने की जानकारी भी मिली,।

सोचने वाली बात यह भी है कि गरीब वर्ग के लोगों को दो,,,, 4 किलो राशन महीने भर के लिए पर्याप्त था?

ऐसे में खाद्य अधिकारियों को भी गंभीरता दिखाते हुए ध्यान देना चाहिए कि,
गरीबी रेखा के एक रुपए किलो वाले चावल खरीदने के लिए हजार रुपए से अधिक खर्च वो कैसे खर्च कर सकते है।

समाचार के माध्यम से अधिकारियों से अनुरोध है कि जल्द से जल्द ऐसे गरीब वर्ग के लोगों छानबीन की जाए तथा प्रोटोकॉल का पालन करवाते हुए शिविर लगवा कर राशन कार्ड  बनवाया जाए।