लाल बत्ती का काउंटडाउन शुरू: संगठन प्रभारी पुनिया ने दिए संकेत दस दिनों में होगा एलान ..निगम मंडल को लेकर सरगर्मी तेज.. सत्ता में आने के डेढ़ बरस बाद किस किस की खुलेगी क़िस्मत.. नज़रें टिकीं

रायपुर,- अब जबकि सारे अहम चुनाव बीत चुके हैं, एक बार फिर से निगम मंडल को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। कांग्रेस के भीतरखाने इसे लेकर क़यासों का दौर गर्म है। खबरें हैं कि हालिया दिनों क़रीब बीस बेहद महत्वपूर्ण निगम मंडलों में नियुक्ति को लेकर अंतिम निर्णय लिया जा चुका है, और अधिकतम दस दिनों में इस पर निर्णय सार्वजनिक कर दिया जाएगा।
पंद्रह बरसों के विपक्षी दौर के बाद सत्ता में आई कांग्रेस के लिए निगम मंडल के लिए उपयुक्त नाम छाँटना आसान नहीं है। जमीनी कार्यकर्ताओं में इन पदों को लेकर निश्चित तौर पर रुचि है जो कि स्वाभाविक भी है। कई निगम मंडल अध्यक्ष के पद कैबिनेट तो कई राज्यमंत्री दर्जे के हैं।
अब जब दावेदारों की संख्या ज़्यादा हो तो नियुक्ति का मामला संवेदनशील हो ही जाता है।
एक साधे सब सधे का मसला क़तई आसान नहीं है, और चुंकि उत्साह और दावेदारी चरम पर है इसलिए कोई भी नियुक्ति नाराजगी को सामने ला सकती थी, यही वो वजह थी जिसके कारण निगम मंडल में नियुक्ति लगातार टलती गई। लोकसभा के बाद नगरीय निकाय और फिर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव निपट चुके हैं और फ़िलहाल कोई चुनाव नहीं है, तो ज़ाहिर है अब धैर्य रखे हुए कार्यकर्ताओं को ज़्यादा इंतज़ार नहीं करना होगा।दिलचस्प यह भी है कि कई दावेदार अब इन बीते चुनावों में शामिल होकर निर्वाचित जनप्रतिनिधि बन चुके हैं।
हालाँकि इसे लेकर अधिकृत कुछ भी सामने नहीं है, सिवा इसके कि दो दिन पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने संकेत दिए कि, बैठक में निगम मंडल को लेकर चर्चा हुई है।
निगम मंडल का अपना औरा है,कई इस कदर प्रभावी होते हैं कि वे बेहद अहम किरदार में आ जाते हैं।जैसे खनिज विकास निगम, सीएसआईडीसी,क्रेडा, कर्मकार मंडल।कई मंडल या निगम में अगर धन उतना ना भी हो तो रचनात्मकता की असीम संभावना तो रहती ही है, जैसे संस्कृत बोर्ड।