कोरबा : कोटवारी ( सेवा ) भूमि पर अवैध कब्जा , नियमो की उड़ाई जा रही धज्जियां

कोटवारी भूमि पर अवैध कब्जा कर किराना दुकान की आड़ में अवैध कारोबार

कोरबा :: माफियाओं द्वारा कोटवार जमीन की खरीद फरोख्त के कई मामले सामने आ चुके हैं। कोटवार भूमि पर अवैध कब्जे करने का सिलसिला बदस्तूर जारी है और हैरानी की बात है कि ये सब प्रशासन की नाक के नीचे धड़ल्ले से चल रहा है, क्योंकि इन पर लगाम कसने वाला कोई नहीं,यही वजह है कि कार्रवाई न होने पर इनके हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।

दरअसल एक ताजा मामला कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत पिपरिया का है जानकारी मिली है की यहां कोटवार भूमि पर अवैध तरीके से प्रिंस जायसवाल नामक व्यक्ति द्वारा निर्माण किया गया है . दरअसल पिपरिया के ही निवासी होलसाय पुत्र समारू खसरा नं 311/2 , रकबा 0.182 वर्तमान कोटवार ग्राम समलाई को 20 से अधिक वर्ष पूर्व शशर्त 20 सूत्रीय पट्टा उक्त खसरा नंबर 311/2 से प्रदान की गई थी ! चुकी भूमि पट्टे के तहत प्रदान की गई थी जिसका उपयोग दिये गए व्यक्ति को खुद के जीवनयापन के लिए करना होता है , किंतु 20 वर्षो से होलसाय भूस्वामी तो है किंतु कब्जे में नही है … उस भूमि पर किसी अन्य भूमाफिया प्रिंस जायसवाल के द्वारा कब्जा करके रखा गया है…आपको बता दे की प्रिंस जायसवाल जो की अंतर्राजीय शराब , रेत माफिया भी है जो की कई बार जेल भी जा चुका है..

वही महत्वपूर्ण बात ये है की भुइया रिकॉर्ड में खसरा नंबर 311/2 जो की एक नंबर की भूमि है किंतु रिकॉर्ड की माने तो इस भूमि के 2 मालिक है … भूस्वामी होलसाय व दूसरा कब्जाधारी भूमाफिया ..! इस प्रकार से भूमि व रिकॉर्ड में 2 मालिको का होना एक गम्भीर साजिश की और इशारा करता है साथ ही सोचनीय विषय ये है की एक भूमि जो की शासन से प्राप्त है उसके रिकॉर्ड के अनुसार 2 मालिक कैसे हो सकते है … भूमि शासन की और से प्रदान की गई पट्टा शशर्त है ! अगर भूस्वामी काबिज नही है तो नियमानुसार पट्टे को निरस्त किया जाना चाहिए ..जबकि किया गया रिकॉर्ड दुरुस्तीकरण भी विधि विरुद्ध व राजस्व नियमो के विरुद्ध है …उक्त भूमि वर्तमान में राजस्व ऑनलाइन रिकॉर्ड में होलसाय के नाम पर दर्ज है परंतु ऑनलाइन रिकॉर्ड में ही कैफियत खाने में भूमाफिया का नाम दर्ज है जो की जांच का विषय है !

हमारे द्वार कोटवार पक्ष रखने के लिए फोन किया गया,पर मिला स्विच ऑफ..

जब कोटवारी भूमि पर अवैध तरीके से कब्जा करने का खेल जारी था तो वहीं हमारे द्वारा कोटवार का पक्ष जानने के लिए मोबाइल के माध्यम से लेना चाहा जहां उनका नंबर बंद बताया उसके बावजूद भी हमारी टीम द्वारा उनके निवास पहुंचकर पक्ष जानने की कोशिश की पर उन्होंनेे मुनासिब नहीं समझा,उनके परिवार के द्वारा यह बोला गया कि सुबह से ही घर से निकले हैं पंचायत में मिटिंग के लिए,जब हमारी टीम पंचायत कार्यालय पहुंची तो पता चला की पंचायत भवन में भी कोटवार नही है !

पूर्व में इसकी शिकायत राजस्व विभाग के अधिकारियों से की गई थी जिसमे अधिकारियों ने बताया की कोटवारी जमीन पर इस तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता। यह सेवा भूमि है। मामले की जांच करवाकर कार्रवाई की जाएगी…किंतु कार्यवाही आज तक नही की गई है ..ग्रामीणों ने पुनः उचित कार्यवाही की मांग की है .!!