कोरबा जिला पंचायत में वित्तीय अनियमितता ? सीएम से शिकायत, मामला गहराया

कोरबा जिला पंचायत में वित्तीय अनियमितता ? सीएम से शिकायत, मामला गहराया

कोरबा : कोरबा जिला पंचायत के सीईओ द्वारा प्रभारी अंकेक्षक पैकरा को पिछले दिनों दो-दो राजपत्रित अधिकारी के समान पद पर प्रभार सौंपे जाने का विवाद गहरा गया है। नियम विरुद्ध प्रभार देने का मामला अभी जिला पंचायत के गलियारे में गर्म है कि वित्तीय अनियमितता करने का गंभीर आरोप लगाकर इसकी शिकायत कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को की गई है। दूसरी तरफ जिला सीईओ ने किसी भी तरह की वित्तीय अनियमितता और नियम विरुद्ध कार्य नहीं होने की बात कही है।

जिला पंचायत सदस्य एवं वन समिति की सभापति श्रीमती कमला राठिया ने यह शिकायत करते हुए गंभीर आरोप लगाया है। कमला राठिया ने कहा है कि जिला पंचायत-कोरबा सहायक संचालक, प्रभारी उपसंचालक पंचायत सुश्री जूली तिर्की के छ.ग. प्रशासन अकादमी निमोरा, रायपुर प्रशिक्षण पर जाने से जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के द्वारा प्रभारी जिला अंकेक्षक (ऑडिटर) जगमंगल पैंकरा (जे.एस.पैंकरा) वर्ग 03 को गलत तरीके से दो-दो राजपत्रित अधिकारियों का दायित्व जिला पंचायत-कोरबा में सौंपा गया है। जबकि प्रभारी जिला अंकेक्षक (ऑडिटर) जे.एस.पैंकरा वर्ग 03 लगभग 10 वर्षों से जिला पंचायत में गलत तरीके से कार्य कर रहा है। जबकि यह पद शासन द्वारा राजपत्रित पद घोषित है जबकि प्रभारी जिला अंकेक्षक (ऑडिटर) जे.एस.पैंकरा वर्ग 03 का पद जनपद पंचायत पाली क्षेत्र के ग्राम पंचायत सचिव से सहायक आंतरिक लेखा परीक्षण व करारोपण अधिकारी हैं और इनसे जिला में वरिष्ठ एवं अनुभवी दर्जनों करारोपण अधिकारी अपने कनिष्ठ अधिकारी के नीचे कार्य करने को मजबूर हैं। और प्रभारी जिला अंकेक्षक (ऑडिटर) जे.एस.पैंकरा वर्ग 03 के द्वारा जिला-कोरबा के जनपद पंचायत पाली, पोड़ी उपरोड़ा व अन्य में इनके द्वारा ग्राम पंचायतों के हुये कार्यों को लेकर ऑडिट किया जाता है। जिसमें अधिकांश ग्राम पंचायतों के फर्जी बिलों को प्रमाणित करते हुए ऑडिट किया गया है। जबकि शासन को फर्जी बिलों से नुकसान होताहै इसलिये जिला ऑडिटर को ऑडिट करते समय फर्जी बिलों को सत्यापन नही करना चाहिए लेकिन इनके द्वारा अधिकांश फर्जी बिलों को ऑडिट किया गया है, और इनके द्वारा जिला ऑडिटर होते हुये स्वयं कई ग्राम पंचायतों के हुये कार्यो को इनके द्वारा जॉच किया जाता है। जबकि किसी काम के बिल को जिला ऑडिटर के द्वारा ऑडिट कर प्रमाणित कर देते है। तो फिर उसी व्यक्ति को जॉच के लिये ग्राम पंचायतो में क्यों भेजा जाता है। और जॉच पर वसूली कार्यवाही के लिये इनके द्वारा रिपोर्ट तैयार कर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को दिया जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि जो व्यक्ति ऑडिट करके प्रमाणित करता है वही व्यक्ति जॉच व वसूली कैसे कर सकता है, यह गंभीर विषय है