कटघोरा वनमंडल का बड़ा फर्जीवाड़ा: हॉस्टल और कॉलेज के छात्र, पत्रकार भी बनाए गए मजदूर..
हॉस्टल और कॉलेज के छात्र, कुछ पत्रकार भी बनाए गए मजदूर ! कटघोरा वन मंडल का कारनामा
कोरबा: कटघोरा वन मंडल के क्षेत्र में शामिल एवं पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के ग्राम कुटेश्वर नगोई के जंगल में खोदे गए तालाब में फर्जी मजदूर नियोजित बताकर उनके नाम से करतला ब्लॉक के ग्राम सरगबुंदिया निवासी एवं सरपंच के पति, देवर व अन्य रिश्तेदारों के नाम से 12 लाख से अधिक के भुगतान का मामला अभी ठंडा नहीं पड़ा है कि कटघोरा वन मंडल में एक और फर्जी मजदूर/मजदूरी का कारनामा सामने आया है। यह मामला भी तालाब निर्माण से जुड़ा हुआ है।
वनमंडल के ऐतमा नगर व चैतमा परिक्षेत्र अंतर्गत लगभग 4 से 6 माह पूर्व निर्मित कराए गए तालाबों का भुगतान हाल ही में हुआ है। विश्वसनीय विभागीय सूत्र बताते हैं कि इन तालाबों में फर्जी मजदूर लगाकर 70 से 75 लाख का भुगतान में फर्जीवाड़ा किया गया है। सूत्र बताते हैं कि जिन्हें मजदूर बनाया गया है उनमें हॉस्टल के छात्र, बिलासपुर व दूसरे क्षेत्र में रहकर मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को नामांकित किया गया है। चैतमा वन परिक्षेत्र के तालाब निर्माण में भी इसी तरह की गड़बड़ी सामने आ रही है। नगर पालिका परिषद कटघोरा के एक वार्ड पार्षद के नाम पर भी दो बार राशि जारी की गई है। सूत्रों की मानें तो फर्जी मजदूर बनाने के खेल में कुछ तथाकथित पत्रकारों को भी मजदूर दर्शा कर उनके खाता में मजदूरी की राशि ट्रांसफर की गई है।
0 वन विभाग के संवादहीन अधिकारी
इस संबंध में वन विभाग के अधिकारियों से लगातार संवाद हीनता बने होने के कारण स्थिति स्पष्ट नहीं है लेकिन फर्जी मजदूरों के नाम से रुपए निकालने का गड़बड़झाला यहां बड़े पैमाने पर किया गया है। पुराने रेंजर डिप्टी रेंजर से लेकर वन अधिकारी इस पूरे मकड़जाल में उलझे हुए हैं और जंगल में मोर नचा रहे हैं।इस बीच सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि सीसीएफ वन विभाग के द्वारा कुटेश्वरनगोई तालाब निर्माण के नाम पर फर्जी मजदूरों को किए गए भुगतान के संबंध में जांच हेतु आदेश कर दिया गया है। हालांकि इसकी पुष्टि करने के लिए वन विभाग का कोई भी अधिकारी फोन पर उपलब्ध नहीं हुआ।
0 बाजार भाव से काफी कम दर पर मटेरियल सप्लाई कैसे?
बता दें कि कटघोरा वन मंडल में काम करने वाले अनेक ठेकेदार व सप्लायर वर्षों बाद भी अपनी राशि प्राप्त करने के लिए न्यायालय का चक्कर लगाने मजबूर हैं। एक ठेकेदार ने तो आत्मदाह का प्रयास भी किया और बताया जा रहा है कि उसके कार्य की राशि किसी दूसरे के नाम पर जारी कर दिया गया है। यह भी ज्ञात हुआ है कि विगत वर्ष बिलासपुर के एक बड़े ठेकेदार और मटेरियल सप्लायर को इस तरह उपकृत किया गया है कि बाजार भाव से भी काफी कम दर पर छड़, गिट्टी, सीमेंट की सप्लाई होना बताकर उसके नाम से लाखों का भुगतान हुआ है। यह भुगतान कई लाख मिलाकर करोड़ तक भी पहुंच सकता है। जिस कीमत पर उसे निर्माण कार्यों के लिए मटेरियल सप्लाई का ठेका दिया गया है, उस दर पर बाजार में निर्माण सामग्री मिलना मुमकिन ही नहीं। इस पूरे मामले की तह तक जाकर जांच की जाए तो बड़ा फर्जीवाड़ा और आर्थिक घोटाला उजागर होगा। सवाल यह है कि जब डीएफओ सहित भ्रष्ट अधिकारियों पर हाथ ऊपर से ही रखे गए हों तो भला हिमाकत कौन करेगा? कटघोरा वनमंडल में नज़दीकियों का भरपूर फायदा उठाया जा रहा है जिससे शासन की छवि खराब हो रही है।