बिलासपुर: कलेक्टर सारांश मित्तर की मनमानी चरम पर, हाईकोर्ट को जारी करना पड़ रहा है नोटिस..

बिलासपुर: कलेक्टर सारांश मित्तर की मनमानी चरम पर, हाईकोर्ट को जारी करना पड़ रहा है नोटिस

 

 

बिलासपुर: कलेक्टर सारांश मित्तर की मनमानी चरम पर, हाईकोर्ट को जारी करना पड़ रहा है नोटिस, ये शीर्षक इसलिए बनाना पड़ा;क्योंकि मीडिया लगातार जनहित से जुड़े मुद्दे को लगातार उठाता है.अगर हमारे देश की सेवा करने वाले भूतपूर्व सैनिक और जनता को न्याय दिलाने वाले वकीलों को न्याय नहीं मिलता है और हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना होती है, तो हमारा फर्ज बनता है कि हम ऐसे लोगों की आवाज बनकर उसे उजागर करें, जो इन्हें  नजरअंंदाज कर रहे हैं

कलेक्टर को एक जिले की पूरी जिम्मेदारी सौंपी जाती है, इसलिए वह जिले का सबसे बड़ा प्रशासनिक अधिकारी होता है. कलेक्टर को अपने जिले के आपदा प्रबंध, सरकारी योजनायों को लागू करवाना, ऋण वितरण, कर्ज वसूली, कर वसूली, भूमि अधिग्रहण, भूमि मूल्यांकन, आम जानता की समस्या का समाधान करके उसका हल निकालना आदि सभी कार्य करने होते हैं. इसके अतिरिक्त एक कलेक्टर को मुख्य कार्य कानून व्यवस्था को बनाये रखना एवं जिले की जानकारी सरकार तक पहुंचाने के काम की भी जिम्मेदारी सौंपी जाती है.  

इसे पढ़कर आप लोगों को समझ में आ गया होगा कि कलेक्टर का पद कितना संवेदनशील होता है, तो स्वभाविक है इसकी कमान भी संवेदनशील अधिकारी(IAS) को ही दी जाएगी. बावजूद इसके अगर कलेक्टर में संवेदनशीलता नहीं के बराबर नजर आती है, तो ये सरकार के लिए चिंता का विषय है; क्योंकि इसका असर चुनाव परिणाम के दौरान राजनीतिक दलों को दिख जाता .

कलेक्टर मित्तर जब से कलेक्टर की कमान सम्हाले हैं उसके बाद से ही भू-माफिया, राजस्व अधिकारियों की मनमानी लगातार बढ़ रही है. साथ ही जमीन और खनिज चोरों के हौसले भी बुलंद हो गए हैं.

वहीं, सारांश मित्तर की कार्यशैली से भूतपूर्व सैनिक और वकील भी परेशान हो गए हो चुके हैं, जब इनका मामला हाईकोर्ट पहुँचा तो भूतपूर्व सैनिक मामले में कोर्ट के आदेश को लोक सेवक सारांश ने गंभीरता से नहीं लिया. उसके बाद एक मामले में अवमानना नोटिस और दूसरे मामले में नोटिस जारी कर तत्काल जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश जारी किया गया है.

जानिए क्या है भूतपूर्व सैनिक का मामला 

भूतपूर्व सैनिक को जमीन नहीं दिए जाने के एक मामले बिलासपुर कलेक्टर को अवमानना नोटिस जारी हुआ है. ग्राम खैरा निवासी दिनेश जायसवाल भारत सरकार अंर्तगत थल सेना में हवलदार के पद पर पदस्थ थे. वे 31 अगस्त 2015 को हवलदार के पद से रिटायर हुए. 9 अगस्त 1983 को सचिव मध्य प्रदेश शासन, राजस्व विभाग और 25 जनवरी 2021 को सचिव छ.ग. शासन, राजस्व विभाग द्वारा भूतपूर्व सैनिकों को भूमि आबंटन के संबंध में सर्कुलर जारी किया गया. सर्कुलर में यह प्रावधान तय किया गया कि नान कमीशंड भूतपूर्व सैनिक जो कि भूमिहीन हैं, उन्हें उनके निवास जिले में 5 एकड़ असिंचित या ढाई एकड़ सिंचित भूमि का आवंटन किया जाएगा. दिनेश जायसवाल द्वारा उपर्युक्त सर्कुलर के तहत् भूमि आबंटन के लिए कलेक्टर, बिलासपुर के समक्ष प्रस्तुत अभ्यावेदन का निराकरण ना किए जाने से क्षुब्ध होकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की. हाईकोर्ट द्वारा उक्त रिट याचिका को स्वीकार कर कलेक्टर बिलासपुर सारांश मित्तर को यह निर्देशित किया गया कि वे 9 अगस्त 1983 के सर्कुलर एवं 25 जनवरी 2021 के परिपालन में भूमि आवंटन के लिए याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का निराकरण करें. लेकिन बिलासपुर कलेक्टर सारांश मित्तर द्वारा याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का निराकरण ना करने से क्षुब्ध होकर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष अवमानना याचिका दायर की. हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका पर नाराज़गी जाहिर करते हुए कलेक्टर सारांश मित्तर को अवमानना नोटिस जारी कर तत्काल जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश जारी किया है .

जानिए क्या है वकीलों का मामला

राजस्व अफसरों की हडताल और वकीलों से दुर्व्यवहार के मामले में सोमवार को सभी जनहित याचिकाओं पर साथ सुनवाई की गई. चीफ जस्टिस की डिविजन बेंच ने मुख्य सचिव , सचिव राजस्व और आपदा प्रबन्धन व जिला कलेक्टर बिलासपुर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. बतादें कि राज्य भर में जारी तहसील स्तर की हड़ताल के विरुद्ध हाईकोर्ट अधिवक्ता , अमिय कांत तिवारी ,भारत गुलाबानी ,प्रभात सक्सेना,अनिल तावड़कर एवं अन्य ने जनहित याचिका दायर कर मांग की है कि लोक सेवकों के हड़ताल किये जाने , सिविल सेवा आचरण नियम में निषेध है और कदाचरण है. हड़ताल का आहूत किया जाना असंवैधानिक है. साथ ही मांग की गई है कि जारी हड़ताल को असंवैधानिक घोषित करते हुए इसके लिए जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए और तत्काल प्रभाव से तहसील न्यायालय के कार्यवाही को पुनर्स्थापित किये जायें. विगत 10 तारीख को रायगढ़ में हुए एक मारपीट की घटना के प्रतिसाद स्वरूप राज्य के विभिन्न तहसील न्यायालय का कार्य ठप कर दिया गया था तथा राजस्व न्यायालय के अधिकारी और कर्मचारी हड़ताल आयोजित कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इन्होंने तहसील परिसर में तालाबंदी तक कर दी जिसके चलते आम नागरिकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव , सचिव राजस्व और आपदा प्रबन्धन व जिला कलेक्टर बिलासपुर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.