लोक निर्माण विभाग की भर्राशाही, करोड़ो की सड़क चढ़ी भ्रष्टाचार की भेट..

बिना प्लानिंग के बन रही करोड़ो की सड़क बनी परेशानी का सबब

जिला दंडाधिकारी समेत इतना बड़ा प्रशासनिक अमला इसके बाद भी भ्रष्टाचार अपने चरम पर

जीपीएम : – लोक निर्माण विभाग पेण्ड्रारोड द्वारा निर्मित करोड़ो की लागत से बन रही सड़क आमजन के लिए परेशानी का सबब बन गई है . लोक निर्माण विभाग की किसी भी तरह की कोई मॉनिटरिंग नही होने से ठेकेदार मनमाने तरीके से कही भी सड़क को बना रहा है और कही भी सडक खोद रहा है . जिससे आये दिन दुर्घटनाएं भी हो रही है मग़र जिम्मेदार अपने हिस्से की मोटी रकम लेकर ठेकेदार के आगे नतमस्तक हो चुके है . 

दरअसल पेण्ड्रा से केंवची 28 किलोमीटर सड़क बननी है जिसकी लागत 21 करोड़ की है वही करोड़ो की सड़क में न तो कोई मॉनिटरिंग है ना ही कोई रोड मैप ठेकेदार अपनी मनमानी करते हुए कही से बेढंग तरीके से सड़क बना रहा है इसके साथ ही WMM में गुणवत्ताहीन मटेरियल का उपयोग किया जा रहा है वही इसकी ग्रेडिंग भी सही नही है साथ ही स्टीमेट के अनुसार बिना खुदाई किये ही कई जगहों पर डामरीकरण कर दिया गया है . इसके साथ ही जिन जगहों में पुलिया निर्माण होना है उन जगहों को खोद कर अधूरा छोड़ दिया गया और जिन जगहों पर कार्य हो रहा है वह इतनी धीमी गति से हो रहा है की महीने बीत जाने के बाद भी पूर्ण नही किया गया निर्माणाधीन पुलियो में किसी भी प्रकार का कोई इंडिकेशन या बोर्ड नही लगाया गया है जो किसी बड़ी दुर्घटना को निमंत्रण दे रहा है . 

उल्लेखनीय है उक्त सड़क पर बीते सालो में कई लोग असमय ही अपनी जान गंवा चुके है ले दे कर बरसो की मांग के बाद लोगो को सड़को की सौगाते तो दी गई मगर बेढंग तरीके से बन रही सड़क से लोगो के लिए सहूलियत न होकर परेशानी बन गई है और विभाग के लिए जिले की महत्वपूर्ण सड़क कमाई का जरिया बन गई है .

ज्ञात हो कि वर्तमान में पदस्थ कार्यपालन अभियंता सेवानिवृत्त होने वाले है उनके द्वारा नियमो को ताक में रखते हुए करोड़ो रुपयों का नियमविरुद्ध तरीके से राशि का आहरण किया जा रहा है जिसकी सूक्ष्मता से अगर जांच कराई जावे तो यब स्पष्ट हो जाएगा कि इनके द्वारा सेवानिवृत्त होने के पहले करोड़ो का फर्जी चेक जारी कर वारा न्यारा कर दिया गया है यह ठीक उसी तरह है जैसे वनमंडल मरवाही के पूर्व सेवा निर्वित्त अधिकारी राकेश मिश्रा के द्वारा किया गया था उसी तारतम्य में उक्त मामला भी मानसून सत्र में उठाये जाने की बात जोरो पर है . 

तब सवाल यह उठता है कि जिले में जिला दंडाधिकारी समेत इतना बड़ा प्रसाशनिक अमला जिसमे आठ अतरिक्त कलेक्टर होने के बाद भी भ्रष्टाचार अपने चरम पर है . 

अब देखने वाली बात यह है कि उक्त गंभीर मामले में जिला प्रशासन क्या कार्यवाही करता है या ठेकेदार और लोक निर्माण विभाग को इसी तरह बेढंग सड़क निर्माण की खुली छूट देता है .