कटघोरा: लापता सुमन के व्यथित परिजनों को पुलिस पर नही रहा भरोषा,बैगाओं के दहलीज पर जाने को हुए मजबूर..

लापता सुमन के व्यथित परिजनों को पुलिस पर नही रहा भरोषा,बैगाओं के दहलीज पर जाने को हुए मजबूर

 

 

कोरबा/कटघोरा:अपनी बेटी की तलाश में व्याकुल आदिवासी परिवार को शायद अब पुलिस की कार्यवाही पर भरोषा नही रहा है, जो यह परिवार अब बैगाओं के पास जाने की बात कह रहा है.. आखिर पीड़ित परिवार को बैगाओं के पास जाने की नोबत क्यो आन पड़ी है?क्या पुलिस लापता सुमन का पता लगाने में नाकाम है?कई तरह के सवाल जहान में गोते लगाने लगे हैं।हालांकि पुलिस लगातार लापता सुमन की पतातलाश में जुटी हुई है।बहरहाल पीड़ित परिवार ने पुलिस पर भरोषा नही होने का हवाला पेश कर दिया है, जो कुछ हद तक जायज भी माना जा सकता है,क्योकि पुलिस को सूचना दिए दो हफ़्तों से अधिक का समय बीत चुका है पर अभी तक पुलिस को सुमन का कोई सुराग तक नही मिला है। बता दे कि कोरबा पुलिस गम्भीर मामलों सहित ब्लाइंड केशों को सुलझाने में माहिर जानी जाती है वहाँ महज एक लापता युवती का केश सुलझाने में पुलिस नाकाम नजर आ रही है.. यह समझ से परे है।

बता दे कि जिला कोरबा के अधीनस्थ थाना कटघोरा अंतर्गत ग्राम रामपुर में एक आदिवासी परिवार से महेश राम धनुहार की बेटी सुमन धनुहार 27 मार्च से लापता है जो अभी तक घर नही पहुँची है।जहां 15 अप्रैल को पीड़ित परिजनों ने स्थानीय थाना पहुँचकर अपनी आपबीती बया की,जहां थाना प्रभारी नवींन देवांगन ने पीड़ित परिवार को लापता सुमन के मिल जाने हवाला देकर आश्वस्त किया था,परन्तु आज दो हफ़्तों से अधिक दिन बीत चुके पर सुमन का कही कोई पता नही चल सका है।पीड़ित परिवार अब पुलिस की कार्यवाही से संतुष्ट नजर नही आ रहा है और अंधविश्वासी बैगाओं की दहलीज पर जाने को मजबूर हैं।इन्हें लगता है जब पुलिस सुमन का पता लगाने में नाकाम है तो बैगा लोग ही पार लगा सकते हैं।अब पीड़ित परिवार का दुःख सहर्ष ही समझा जा सकता है जो अपनी बेटी की तलाश में हर सम्भव प्रयास करने लगा हुआ है।

जिला पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल के द्वारा महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने नितनये प्रयास किये जा रहे हैं वहीं लापता सुमन का केश पुलिस पर बड़ा सवाल बना हुआ है।एसपी भोजराम पटेल की सेवा के दौरान जिले में अपराध,जुर्म,चोरी,ठगी,अवैध शराब बिक्री व महिलाओं सम्बधी प्रकरणों में विराम लगा है वही लापता युवती का पता नही चल पाना पुलिसिया व्यवस्था पर कही ना कहीं सवाल खड़े कर रहा है।