संजय त्रिपाठी सहित वन विभाग के उच्चाधिकारियों व मंत्री के लिए वन मण्डल मरवाही बना भ्रष्टाचार का चारागाह

संजय त्रिपाठी सहित वन विभाग के उच्चाधिकारियों व मंत्री के लिए वन मण्डल मरवाही बना भ्रष्टाचार का चारागाह…

 

 

गौरेला पेंड्रा मरवाही: वनमण्डल मरवाही जिसका विवादों से गहरा और पुराना नाता रहा है या यूँ कहें कि वन विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा मरवाही वन मण्डल को एक चारागाह के रूप में देखा जाता रहा है जिसके वजह से ही बड़े से बडे भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है यह एक ऐसा वन मण्डल है जहाँ प्रभारियों का खेल खेला जाता है पहले यहां राकेश मिश्रा को प्रभारी डीएफओ बना दिया गया जिनके द्वारा किया गया मनरेगा घोटालो की गूँज से विधानसभा तक हिल गया और कई वन कर्मी निलंबित भी हुए जिसमे बीट गॉर्ड से लेकर एसडीओ रैंक तक के वरिष्ट अधिकारी शामिल है

इतना ही नहीं इसी वनमण्डल में राकेश मिश्रा के कार्यकाल समाप्त होने पर पहले तो किसी अन्य अधिकारी को डीएफओ मरवाही बनाने का पत्र विभाग द्वारा जारी कर दिया जाता है लेकिन फिर अचानक भ्रष्टाचार का दूसरा नाम कहे जाने वाले संजय त्रिपाठी ने अधिकारियों के दरबार मे हाजिरी लगाया और सभी नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए आदेश संसोधित कराने में सफल होते हुए खुद प्रभारी डीएफओ की कुर्सी में बैठ गया जबकि इसी वनमण्डल में उनसे वरिष्ठ एसडीओ के पी डिण्डौरे पदस्थ थे

बावजूद इसके अधिकारियों की मेहरबानियों से त्रिपाठी डीएफओ बनने में सफल रहे और फिर क्या था त्रिपाठी ने भी वन मण्डल मरवाही को चारागाह समझ कर जमकर उत्पात मचाया और शायद अधिकारियों को उनका हिस्सा भी देते रहे यही कारण है कि त्रिपाठी आज डीएफओ तो नही है पर इसी वन मण्डल में रेंजर रहे फिर एसडीओ भी बने और कुछ दिनों के लिए प्रभारी डीएफओ भी बन गए और अब तक एसडीओ के पद पर यंही जमे हुए हैं ताकि आने वाले वक्त में फिर डीएफओ का प्रभार हासिल करते हुए और ज्यादा ताक़त से वन मण्डल को खोखला किया जा सके

जबकि त्रिपाठी के द्वारा किया गया भ्रष्टाचार की पूरी जानकारी उच्च अधिकारियों जैसे मुख्य वन संरक्षक राजेश चंदेले एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी के पास भी है पर इसे प्रधान मुख्य वन संरक्षक की विशेष दया ही कहा जा सकता है जिसके कारण त्रिपाठी पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो सका है !