मोहला के घोटालेबाज रेंजर पर आखिर क्यों मेहरबान है वन विभाग के उच्चाधिकारी ?

मोहला के घोटालेबाज रेंजर पर आखिर क्यों मेहरबान है वन विभाग के उच्चाधिकारी ?

छत्तीसगढ़: छग वन विकास निगम में भ्रष्टाचार अपनी चरम में है छग राज्य वन विकास निगम का मैदानी अमला केवल आर्थिक लाभ के चलते कार्यों में भ्रष्टाचार को बेखौफ होकर ,,सैय्या भयो कोतवाल तो अब डर काहे का,, की तर्ज पर अंजाम देने में लगे है।

दरअसल वन विकास निगम पानाबरस के मोहला में पदस्थ रेन्जर जागेश गोंड़ ने मोहला रेंज में गिरल्डिंग पद्धति से हजारों व्यस्क वृक्षो को नष्ट करवा दिया और इनके इस कारनामे की जानकारी मुख्यालय में पदस्थ उच्चाधिकारियों को होते हुए भी इसको अनदेखा करना सवाल खड़े कर रहा है बता दे की उच्चाधिकारियों का सरंक्षण इन रेन्जर को इस कदर प्राप्त है ।

कि जागेश गोंड़ ने अपने परिक्षेत्र को अधीनस्थ कर्मचारियों के भरोसे छोड़ रखा है और स्वयं वन विकास निगम मुख्यालय रायपुर में उच्चाधिकारियों की जी हजूरी में व्यस्त है और केवल 4-5 वर्षो के सेवाकाल में ही इसके भ्र्ष्टाचार के कारनामे से पूरे वनविकास निगम में चर्चा का विषय बना हुआ हैं, गौरतलब है की वर्ष 2019 एवम 2020 के सागौन प्लांटेशन में जिस प्रकार से पौधा रोपण का रोपण हेक्टेयर बताया गया था उसके पूरे कमार्टमेंट की यदि जांच कराई जाए तो वह 50% भी नही है ।

जिसका जीपीएस सर्वे का उच्च स्तरीय जांच कराने पर बात स्वयं सिद्ध हो जायेगा… जिसमें रेंजर ने मज़दूरी भुगतान को लेकर अपने ही रिश्तेदारों और अधीनस्थ कर्मचारियों के नाम पर शासकीय भुगतान का चेक़ काट, साथ ही नकद फर्जी मज़दूरी भुगतान में गड़बड़ी कर करोड़ो की अवैध कमाई इसके द्वारा की गई है।

इस बात की जानकारी इनके तत्कालीन मंडल प्रबन्धक और क्षेत्रीय महाप्रबंधक सोमादास को भी थी लेकिन भ्रष्टाचार की इस कमाई में इन अधिकारियों का भी हिस्सा था इसलिए यह मामला भी दबा दिया गया अमुमन यही हाल वर्ष 2020 के रोपण का भी रहा इनके इन दोनों वर्षो के रोपण का औसत 50% भी नही है ।

यही 2022 फरवरी, मार्च में निरीक्षण कर्ता अधिकारी द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में है परंतु यहां भी जागेश गोंड़ ने अपने क्षेत्रीय महा प्रबन्ध और अन्य अधिकारियों को लाखों रुपए देकर इस मामले को दबाने में सफल हो गया यदि उक्त सभी रोपण क्षेत्रो का G P S सर्वे किया जाय तो यह बात सिद्ध हो जाएगी कि किस प्रकार से पैसों के बल पर मुख्यालय में बैठे जिम्मेदार अधिकारी भी इन महाशय के इशारों पर नाचने वाली कठपुतली बन चुके हैं ।

इन रेन्जर के कारनामे यही तक सीमित नही रहे मटेवा परिक्षेत्र में भी इनके ही जानकारी में रहते हुए कई एकड़ वनभूमि में अतिक्रमणकारियो के द्वारा कब्जा कर लिया गया है और उन्ही कब्जाधारियों को 40-50 हजार रु प्रति पट्टे की दर से पैसे लेकर पट्टा बांटने का ग़ैरकानूनी कार्य किया गया है ।

विश्वसनीय सूत्र तो यह भी जानकारी दे रहे है कि जागेश गोंड़ के द्वारा अपने ही डिप्टी रेंजर के नाम पर और पारिवारिक सदस्यों के नाम से शासकीय धनराशि झूठे प्रमानको के माध्यम से आहरित करने का सिलसिला बदस्तूर जारी है जिसकी जांच अत्यंत आवश्यक है अतः इस समाचार के माध्यम से उन जिम्मेदार उच्चाधिकारियों से अनुरोध है कि इस रेन्जर के इन कारगुजारियों की सूक्ष्मता से और ईमानदारी के साथ सभी बिंदुओं की जांच करवाई जाए।