भूपेश सरकार की बेहतर नीति के कारण कोदो, कुटकी, रागी की खेती को मिला बढ़ावा __प्रवक्ता कांग्रेस वीरेंद्र सिंह बघेल..
भूपेश सरकार की बेहतर नीति के कारण कोदो, कुटकी, रागी की खेती को मिला बढ़ावा __प्रवक्ता कांग्रेस वीरेंद्र सिंह बघेल..
प्रवक्ता कांग्रेस वीरेंद्र सिंह बघेल ने कहा की
कांग्रेस सरकार के बेहतर नीति के कारण
कोदो, कुटकी और रागी (मिलेट्स) की खेती को लेकर किसानों का रूझान बहुत तेजी से बढ़ा है।
छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन के चलते राज्य में कोदो, कुटकी और रागी (मिलेट्स) की खेती को लेकर किसानों का रूझान बहुत तेजी से बढ़ा है। पहले औने-पौने दाम में बिकने वाला मिलेट्स अब छत्तीसगढ़ राज्य में अच्छे दामों में बिकने लगा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की विशेष पहल के चलते राज्य में मिलेट्स की समर्थन मूल्य पर खरीदी होने से किसानों को करोड़ों रूपए की आय होने लगी है। बीते सीजन में किसानों ने समर्थन मूल्य पर 34298 क्विंटल मिलेट्स 10 करोड़ 45 लाख रूपए में बेचा था। छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य है, जहां कोदो, कुटकी और रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी और इसके वैल्यू एडिशन का काम भी किया जा रहा है। कोदो-कुटकी की समर्थन मूल्य पर 3000 प्रति क्विंटल की दर से तथा रागी की खरीदी 3377 रूपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदी की जा रही है।
कोदो-कुटकी उगाने वाले किसान समृद्धि की ओर
शासन की महत्वाकांक्षी योजना राजीव गांधी किसान न्याय योजना एवं मिलेट मिशन किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा वर्ष 2021-22 में 5,273 टन मिलेट जिसका मूल्य रू. 16.03 करोड़ का समर्थन मूल्य पर क्रय किया गया है। वर्ष 2022-23 में 13,005 टन मिलेट जिसका मूल्य रू. 39.60 करोड़ का समर्थन मूल्य पर क्रय करने का लक्ष्य है।
कोदो-कुटकी
देश के कई आदिवासी इलाकों में मोटे अनाज का काफी समय से प्रयोग किया जाता रहा है। यह स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत फायदेमंद है, इसलिए अब दूसरे इलाकों में भी इन अनाज का काफी इस्तेमाल किया जा रहा हैै। एक्सपर्ट के मुताबिक कोदो कुटकी को प्रोटीन व विटामिन युक्त अनाज माना गया है। इसके सेवन से शुगर बीपी जैसे रोग में लाभ मिलता है. कोदो एक मोटा अनाज है, जिसे अंग्रेजी में कोदो मिलेट या काउ ग्रास के नाम से जाना जाता है। कोदो के दानों को चावल के रूप में खाया जाता है और स्थानीय बोली में भगर के चावल के नाम पर इसे उपवास में भी खाया जाता है। बस्तर के आदिवासी संस्कृति व खानपान में कोदो कुटकी रागी जैसे फसलों का महत्वपूर्ण स्थान है।