गौरेला पेंड्रा मरवाही: विधानसभा अध्यक्ष ने किया अर्धावशेष पुस्तक का विमोचन

विधानसभा अध्यक्ष ने किया अर्धावशेष पुस्तक का विमोचन

गौरेला पेंड्रा मरवाही में बहुत से समारोह को संबोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने ने एक समारोह में उपस्थित होकर कुणाल आर. पाण्डेय के द्वारा लिखी गई ‘अर्धावशेष’ पुस्तक का विमोचन किया यह समारोह हाई स्कूल स्थित असेंबली हॉल में आयोजित था जिसमें कोरबा सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत , पुत्र सूरज महंत ,मरवाही विधायक के के ध्रुव एवं जिला अध्यक्ष मनोज गुप्ता नगर पंचायत अध्यक्ष राकेश जालान,उत्तमवशुदेव, जुनैद खान की उपस्थिति में विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने साहित्य और कला को बढ़ावा देते हुए कुणाल पांडे के द्वारा लिखी गई अर्धा विशेष पुस्तक का विमोचन किया जिसमें विधानसभा अध्यक्ष महंत ने पांडे की तारीफ करते हुए कहा कि यह क्षेत्र प्रतिभाओं से भरा हुआ है ।

यहां हर व्यक्ति में एक नई नई प्रतिभाएं जन्म लेती हैं क्षेत्र के लोगों को जब भी अपनी प्रतिभाओं को निखारने के लिए मेरी जरूरत पड़ेगी मैं हमेशा अपनी जनता के साथ हूं साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आज एक नए युग में जहां लोक साहित्य से और पुस्तकों से दूर होते जा रहे हैं वहां बड़ी ही खुशी है कि एक एक 27 साल के लड़के के द्वारा एक पुस्तक लिखी गई उन्होंने पुस्तक की काफी तारीफ भी की जब हमने इस विषय पर कुणाल आर. पाण्डेय जोकि राजकुमार पाण्डेय के पुत्र है जिनके पिताजी विकास खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय पेंड्रा में सहायक ग्रेड तीन है महज 27 साल के लड़के से जब हमने बात किया और इस पुस्तक के बारे में जाना तो उन्होंने कहामनुष्य के विभिन्न परिस्थितियां उनके दशा की संवेदना को महसूस कर उनका न्यून विस्तार जिन्हें कुछ कुछ कविता रूप में संजों कर पन्नों में उतारने का प्रयास अपनी इस पुस्तक में किया मेरा विचार है की जब तक आप स्वयं को नहीं समझ लेते तब तक आप दूसरों को उनकी दशाओं के अनुरूप समझने का प्रयास भी असफल होता है, किसी भी चीज को समझने जानने और और परखने के लिए

उनके विचारों की गहराई को उसकी जड़ तक पहुंचना होता है, और ऐसा तब ही संभव है, जब आप उन अमुख अहसासों को उसके शुरुआत से जानने का प्रयास प्रयास करेंगे तब ही आप

सामने वाले को उनकी परिस्थितीयों के अनुसार बेहतर तरीके से आंकलन कर सकते हैं, ऐसे विचारों विचारों के साथ मैंने अपने

लेख को सार्थक बनाने का प्रयास किया है, जिसे पूर्ण रूप से सार्थक मेरे किताब को पढ़कर आप सभी बनाएंगे, मैंने अपने थोड़े मोडे ज्ञानानुसार मनुष्य की भावनाओं भावनाओं को उनकी मनःस्थितिओं को मैंने जो लिखने का का प्रयास किया है इस इस कविता में वो पूर्ण के आधे का अवशेष है, इसलिए यह कविता संग्रह लेख अर्धावशेष है, जिन्हें आप सभी पढ़कर अपने ज्ञान से विवेक से समझकर बाकी शेष को पूर्ण करेंगे इसलिए ये किताब मेरे लिए अर्धावशेष है, दशा एक जिनके वेश अनेक हैं,

स्वरचित इस किताब में

एक कविता 26. नंबर की कविता अल्प रूप में वर्णित नारी स्वरूप नारी के किरदार को माता बहन और अर्धांगिनी के रूप में इनकी भावनाएं इनका स्थान किस प्रकार उच्च है, इसे उनके कर्तव्य के अनुसार लेख में संजोया है, जो मुख्य रूप पढ़ने और समझने लायक है

इस किताब को सर्वप्रथम मेरे भगवान मेरे नाना (बाबूजी)

रिटायर्ड इंग्लिश लेक्चरर

प्रख्यात ज्योतिषाचार्य

स्वर्गीय पंडित श्री जगदीश प्रसाद शुक्ला जी ने पढ़कर मुझे आत्मविश्वास विशेष सांत्वना प्रदान किये

जो मेरे मेरे लिए किसी अवार्ड से बढ़कर था,

और उन्हीं ने कहा था की बेटा साहित्य की गरिमा बढ़ाते रहिये उम्मीद है पूरी पूरी आपसे ऐसा ऐसा उन्होंने कहा और साहित्य साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा उनसे मिली मुझे माता पिता का आशीर्वाद हमेशा हमेशा मेरे साथ रहता है

और यही मेरी सबसे बड़ी ताकत है, अब आगे उपन्यास लिखने की तय्यारी में प्रयासरत हुँ आप सभी का स्नेह आशीष सदैव ऐसे ही मिलते रहे भगवान भोलेनाथ जी से यही

कामना है, मेरी और यही मेरे साहित्य के क्षेत्र में प्रयास को सफल बनाने में आगे अति महत्वपूर्ण

होगा |

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