गौरेला पेंड्रा मरवाही: लाखो रुपए गबन के आरोपी को क्रीड़ा अधिकारी का प्रभार, उठ रहे सवाल….
गौरेला पेंड्रा मरवाही: लाखो रुपए गबन के आरोपी को क्रीड़ा अधिकारी का प्रभार, उठ रहे सवाल….
गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही : – एक तरफ प्रदेश सरकार ग्रामीण स्तर से ही खेलो को आगे बढ़ाने के लिए हर तरह से योजनाएं चला रही है, जिस तारतम्य में छत्तीसगढ़ युवा महोत्सव भी मनाया गया ताकि ग्रामीण अंचल क्षेत्र के बच्चो की प्रतिभाएं उजागर हो और छत्तीसगढ़ राज्य खेल में अपनी अलग पहचान बनाये मगर सरकार की मंशा पर जिले में बैठे अधिकारी ही पलीता लगा रहे है .
दरअसल मामला जिला गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही का है जहाँ छत्तीसगढ़ खेल युवा महोत्सव 2022 के आयोजन के लिए जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से 2 लाख 80 हजार का पुर्नबंटन सीमा डेविड को किया गया था। जिसे तत्कालीन पदस्थ DSO सीमा डेविड द्वारा बिना उच्चाधिकारियो सहमति और समन्वय के ही व्यय कर दिया गया जो सिविल सेवा आचरण नियम के विपरीत है। मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन कलेक्टर द्वारा मामले में प्रथम दृष्टया यह पाया गया था कि सीमा डेविड द्वारा शासकीय राशि का बंदरबांट किया गया है जिसके लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था .
वही जिस पर लाखों की राशि के गबन का आरोप लगा हो उसे ही पुनः जिला क्रीड़ा अधिकारी बनाये जाने का आदेश सामने आने के बाद प्रशासन में बैठे उच्चाधिकारियो पर कई सवालिया निशान खड़े होते है, जबकि मामला आदिवासी अंचल के छात्रों के भविष्य से जुड़ा हुआ है। तब सवाल यह है कि ऐसे संवेदनशील पद पर ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को बार बार भ्रष्टाचार करने का आमंत्रण प्रशासन क्यो दे रहा है जबकिं तत्कालीन कलेक्टर द्वारा मामले में तत्काल कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए थे . जिसके बाद कलेक्टर का तबादला हो गया और तबादले के साथ ही साथ आरोप भी सारे खारिज हो गए .
ध्यान देने वाली बात यह है कि इस आदेश के पूर्व संबधित प्रभार डिप्टी कलेक्टर को दिया गया था एवं उनको प्रभार देने का आशय भी यही था कि गुणवत्ता पूर्ण कार्य होगा लेकिन एकाएक डिप्टी कलेक्टर को हटाकर अन्य को प्रभार देना कई तरह की शंकाओं को जन्म देता है।
बताते चले कि सीमा डेविड शिक्षा विभाग में भी dso के पद पर पदस्थ हैं जिनके निर्देशन में गत वर्ष राज्य स्तरीय शालेय क्रीड़ा प्रतियोगिता का भी अनियमितता और खिलाड़ियों की सुविधाओं को ताक पे रखते हुए आयोजन कराया गया था।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या प्रशासन मामले की सूक्ष्मता से जांच कर कार्यवाही करता है या मामले को ठंडे बस्ते में डालकर ऐसे अधिकारियों को छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की छूट देता है।