वन विभाग की डब्ल्यूबीएम सड़क, गिट्टी की बजाय जंगल से लाकर बिछाया बोल्डर व मिट्टी…

जंगल में कैम्पा मद घोटाला!WBM सड़क बनाने जंगल खोद रहे

लाखों के वनमार्ग निर्माण में बंदरबांट, कार्यवाही के अभाव में हौंसले बुलंद

0 पुराने मामलों में लटके,नए घोटालों में संरक्षण…

कोरबा: जब लकड़हारे के हाथ जंगल की सुरक्षा दे दी जाए तो जंगल का अंजाम समझा जा सकता है। कटघोरा वन मंडल के जंगल में हो रहे निर्माण दूबर पर दो आषाढ़ और वन अधिकारियों का रवैया भ्रष्टाचार रूपी कोढ़ में खाज की भूमिका निभा रहा है। इतने से भी मन नहीं भर रहा तो सफेदपोशों और चंद नेताओं के संरक्षण में जंगल को तबाह करने पर महकमे के ही कुछ लोगों सहित ठेकेदार भी तुले हुए हैं।

ठेका चमकाने के लिए तरह-तरह के साधनों-संसाधनों का उपयोग और एप्रोच लगाकर अपनी गड़बड़ियों को छिपाने के लिए साम-दाम-दण्ड-भेद की नीति अपनाने तत्पर हैं। अपने पदीय दायित्वों के प्रति कर्तव्य हीनता और शासन के प्रति गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाने वालों के कारण जंगलों के लिए कैम्पा और नरवा विकास मद से मिलने वाले भारी-भरकम राशि का बहुत कम उपयोग कर बहुत ज्यादा कुछ अपनी जेब में भरा जा रहा है। इस तरह के मामले पहले भी कई बार सामने आ चुके हैं, विधानसभा में सवाल भी उठते हैं,सदन को गुमराह तक किया गया है लेकिन कार्यवाही के नाम पर नतीजा सिफर है।

अभी के हालिया घटनाक्रम में कटघोरा वन मंडल के पाली अनुभाग अंतर्गत चैतमा क्षेत्र के जंगल में सड़क का घोटाला किया जा रहा है।

तत्कालीन एसडीओ रही प्रेमलता यादव ने अपने कार्यकाल में बड़े पैमाने पर कोसा वृक्षों की कटाई का मामला पकड़ा और कौसा फल भी जप्त किए लेकिन इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। ऐतमानगर क्षेत्र में लाखों रुपए कीमती इमारती महत्व के वृक्षों की कटाई की गई लेकिन इसकी रिपोर्ट में भी लीपापोती इनके द्वारा कराई गई। अभी ये वर्तमान में कटघोरा वन मंडल डीएफओ हैं लेकिन जंगल की सुरक्षा, निर्माण कार्यों में गुणवत्ता, निर्माण में सही सामग्री का उपयोग, नियमित निगरानी के मामले में ना तो यह कुछ खास कर पा रही हैं और ना ही इनके अधीनस्थ अधिकारी व मैदानी कर्मचारी। इसी का दुष्परिणाम है कि पाली वन मंडल जो कि एसडीओ सी के टिकरिया के पर्यवेक्षण क्षेत्र में आता है, वहां भी जमकर घोटाला हो रहा है।

0 अपनी तकनीकी-अपना दिमाग

सरकार द्वारा लंबे समय तक टिकाऊ रहने वाले निर्माण कार्यों के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च किये जाते हैं लेकिन जिनके ऊपर यह जिम्मा होता है, वह इन पैसों पर अपनी नजर गड़ाए बैठे रहते हैं और निर्माण सामग्रियों के फर्जी खरीदी बिल, वाउचर, लगाकर रुपए की बंदरबांट कर लेते हैं।

चैतमा रेंज में अफसर अपनी तकनीक से डब्ल्यूबीएम सड़क का निर्माण करा रहे हैं। प्राक्कलन अनुसार व अनुपात के विपरीत निर्माण स्थल के अगल- बगल से ही मजदूरों के माध्यम से तोड़वा रहे अनसाइज कत्तल पत्थर व ट्रेक्टर और जेसीबी के माध्यम से अनुपातहीन मिट्टी युक्त मुरुम की खोदाई कर सड़क पर डाला जा रहा है।

बगदरा से सपलवा वनमार्ग पर दुबट्टा से छिंदपहरी तक 2 किलो मीटर के निर्माण कराए जा रहे डब्ल्यूबीएम मार्ग स्थल पर पहुँचकर जायजा लिया गया तो 40 मिलीमीटर साइज की ग्रेनाइट या फिर मजबूत क्रेशर गिट्टी का उपयोग न कर आसपास से तोड़वाये जा रहे 70- 80 एमएम के भुरभुरे बोल्डर पत्थर को सीधे तौर पर बिछाकर उसके ऊपर मिट्टी युक्त मुरुम का परत डाला जा रहा है। ये पत्थर ट्रेक्टरों के चलने से चूरा बन जा रहे हैं। वहीं वनमार्ग निर्माण के आसपास भूमि से इतना बेतहाशा खनन किया गया है कि बेशकीमती हरे- भरे दर्जनों पेड़ भी धराशायी हो गए है।अधिकतर पेड़ों को छुपाने ऊपर मिट्टी डाल कर पाट दिया गया है।

अपने निजी लाभ और अतिरिक्त धन कमाने की लालच में बनने वाली डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण में अपने ही वनों का सत्यानाश करने में कोई कोर- कसर नही छोड़ी है। जबकिक्रेशर गिट्टी व लाल मुरुम का लंबा ट्रांसपोर्टिंग दिखाकर भुगतान ले लिया जाएगा। कटघोरा वनमंडल में प्रतिवर्ष लाखों- करोड़ों की लागत से डब्ल्यूबीएम सड़क का निर्माण कराया जाता है, जिसे विभाग द्वारा अपने चहेते अघोषित ठेकेदार के माध्यम से आधा-अधूरा कार्य कराकर भ्रष्ट्राचार को अंजाम दिया जाता है। कटघोरा वनमंडल में पिछले 3 वर्षों के अंतराल में कराए गए अथवा वर्तमान कराए जाने वाले डब्ल्यूबीएम मार्ग की निष्पक्ष एजेंसी से जांच करायी जाए तो चौकाने वाले भ्रष्ट्राचार का खुलासा हो सकता है।

नियम विरुद्ध कैंपा मद से डब्ल्यूबीएम मार्ग निर्माण

विभागीय सूत्र बताते हैं कि वन एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए वर्ष 2004 से स्थापित कैंपा मद की राशि का उपयोग वनीकरण एवं वन्य जीव संरक्षण के लिए ही किया जाना होता है। कटघोरा वनमंडल में कैम्पा नियम तोड़कर करोड़ो रूपये के स्तरहीन सड़क बनवा दिए गए,बनवाये जा रहे हैं। वन विभाग और जंगलों में रहने वाले आदिवासियों को तो कोई फायदा नही हुआ, बल्कि मुनाफा संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों ने जंगल के संसाधनों की चोरी का कमा लिया।

0 निविदा व भंडार क्रय अधिनियम का पालन नहीं

विभागीय सूत्रों के ही मुताबिक नियमतः वनमंडल में होने वाले डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण कार्य में भंडार क्रय अधिनियम का पालन करते हुए विभाग को निविदा जारी कर सप्लायरों से अनुबंध कर निर्माण सामाग्री क्रय करना होता है, न कि वनों से पत्थर, गिट्टी, मिट्टी या मुरुम का खनन किया जाता है। इसके विपरीत कटघोरा वनमंडल में बैठे शीर्ष से निचले स्तर के अधिकारियों द्वारा जंगल को तबाह कर भ्रष्ट्राचार का खेला किया जा रहा है।

सोशल आडिट का भी प्रावधान

जानकारी के अनुसार मनरेगा की तरह कैम्पा मद से राजस्व जमीन पर काम कराने पर सोशल आडिट का प्रावधान है। इसके लिए पंचायत में समिति बनाने के साथ ही योजना की जानकारी देने का प्रावधान है। ग्राम सभा की बैठक लेकर जानकारी देना व 3 सदस्यों का चयन, कार्य की लागत, मापदंड, मजदूरी भुगतान की दर पढ़कर सुनाना, किये गए कार्यों की मात्रा व मापको का परीक्षण कराना, सरपंच द्वारा ग्राम सभा लेकर मूल्यांकन प्रतिवेदन डीएफओ को प्रस्तुत करना, परियोजना के लिए प्रोजेक्ट अधिकारी की नियुक्ति डीएफओ द्वारा करना, डिप्टी रेंजर या परिसर रक्षक के साथ ही अलग से अधिकारी भी नियुक्त करना होता है, लेकिन कटघोरा वनमंडल के अधिकारियों द्वारा ऐसा किया जाना मुनासिब नही समझा जाता।

0 निर्माण कार्यों से संबंधित सूचना बोर्ड गायब

कैम्पा “वनारोपण निधि प्रबंधन व योजना प्राधिकरण” के तहत क्षतिपूरक वनीकरण, जलग्रहण प्रबंधन, क्षेत्र का उपचार, वन्य जीव प्रबंधन, वनों में आग लगने से रोकने के उपाय, वन में मृदा व आर्द्रता संरक्षण के कार्य कराए जाते हैं। इसके तहत नालों में स्टापडेम, बोल्डर चेकडेम, तालाब का निर्माण, पौधारोपण, फेंसिंग समेत अन्य कार्य होते हैं किंतु उक्त कार्यो से संबंधित जानकारी किसी को पता न चले इसलिए ज्यादातर निर्माण स्थलों में सूचना बोर्ड नहीं लगाया जाता।

पाली खण्ड चंद्रकांत टिकरिया के संरक्षण में चैतमा रेंजर दिनेश कुर्रे द्वारा यह कार्य कराए जा रहे हैं लेकिन जानकारी लेने-देने के लिए एसडीओ को फोन उठाने की फुर्सत नहीं मिलती।