लिपिक बर्खास्तगी: CCF द्वारा गठित जांच समिति टीम 1 वर्ष में भी नही दे पाई जाँच रिपोर्ट…

लिपिक बर्खास्तगी: CCF द्वारा गठित जांच समिति टीम 1 वर्ष में भी नही दे पाई जाँच रिपोर्ट…

अपील बिंदु में जाँच न कर कुछ और ही जाँच कर रही समिति

संजय त्रिपाठी को बचाने को बचाने का खेल तो नही?

गौरेला पेंड्रा मरवाही: मामला मरवाही वन मण्डल का है एसडीओ संजय त्रिपाठी द्वारा द्वेष की भावना से ग्रशित होकर लिपिक गुर्जर की बर्खास्तगी के लिए कूटरचना कर जाँच प्रतिवेदन भेजा गया था जिसमे लिपिक द्वारा जाँच रिपोर्ट की बिंदुवार जाँच हेतु अपील मुख्य वन संरक्षक को किया गया था जिसमे जाँच में प्रथम दृष्टया कमी पाते हुए मुख्य वन संरक्षक द्वारा 3 सदस्यीय टीम गठित कर अपील आवेदन के अनुसार बिंदु वार जाँच रिपोर्ट 15 दिवस के अंदर प्रस्तुत करने निदेशित किया गया था ! परंतु आज 1 वर्ष बाद भी जांच समिति रिपोर्ट नही दे पाई है ,

विभागीय सूत्र अनुसार जाँच समिति 1997 के रिकार्ड की माँग वनमण्डल कार्यालय से कर रही है जबकि 1997 के वरीयता सूची तत्कालीन वन संरक्षक द्वारा गठित 3 DFO व 2 SDO द्वारा तैयार किया गया था , जिसे संजय त्रिपाठी जो एक sdo होते हुए आमन्य करते हुए बर्खास्तगी रिपोर्ट प्रस्तुत किया था जिस आधार पर वर्तमान सी सी एफ राजेश चंदेल के अनुमोदन पर तत्कालीन वन मंडलाधिकारी दिनेश पटेल ने जाँच प्रतिवेदन का बिना अवलोकन के आदेश कर दिया गया

जिसकी पीड़ित लिपिक ने संजय त्रिपाठी के कूटरचित प्रतिवेदन के खिलाफ थाना गौरेला में लिखित शिकायत किया गया और ततकालिक डी एफ ओ दिनेश पटेल से मिल सभी तथ्यों से अवगत कराया गया जिसमे दिनेश पटेल ने लिपिक से एक बड़ी राशि की डिमांड की थी, जिसे नही देने पर 3 माह से रोके जाँच प्रतिवेदन को आधार मान द्वेष भावना से नियम विरुद्ध एक भाजपा नेता के शिकायत के आधार पर बर्खास्तगी आदेश जारी कर दिया गया जिसका अपील लिपिक सी सी सी एफ बिलासपुर को किया गया!

लिपिक द्वारा गठित जॉच समिति के ऊपर आरोप लगाया जा रहा है कि त्रिपाठी द्वारा लगाए आरोप एवम किये गए कूट रचना का जाँच समिति द्वारा नही किया जा रहा है न ही संजय त्रिपाठी से तथ्य मागे जा रहे है बल्कि जाँच समिति 1997 के रिकार्ड ढूढने में लगी है!इससे प्रतीत होता है कि जाँच समिति केवल संजय त्रिपाठी को बचाने टाइम पास बस कर रही है जबकि 1997 का रिकार्ड के आधार पर एक साथ 10 दैनिक वेतन भोगियों का नियमितीकरण किया गया था जिसमे केवल गुर्जर के ऊपर कार्यवाही की गई अगर वह चयन समिति गलत वरीयता बनाई है तो शेष 9 को भी बर्खास्तगी की कार्यवाही करना था लेकिन इन अधिकारीयो ने केवल एक को ही हटाया है।