कटघोरा डीएफओ का बड़ा कारनामा बिना अनुमति कर दिया फर्जी कूप कटाई..
कटघोरा डीएफओ का एक नया कारनामा बिना स्वीकृति कटवा दिया वन मंडल का एक बड़ा जंगल..
कटघोरा- वन विभाग बड़े-बड़े दावे करता है कि जंगल का क्षेत्र बढ़ाया जा रहा है। ताकि पर्यावरण में संतुलन बना रहे। वहीं कुछ अधिकारी निजी स्वार्थ और चंद पैसों की खातिर पेड़ों की बलि चढ़ा रहे हैं। धरती को लगातार बंजर बना रहे हैं।
दरअसल कटघोरा वनमंडल के केन्दई वन परीक्षेत्र के परला बीट मे कुप नंबर 10 को बिना स्वीकृति लगभग 114 हेक्टेयर जंगल की कटाई ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिये काट दिया गया, कुप कटाई के लिए शासन से अनुमति लेना भी आवश्यक नहीं समझा..फर्जी कुप बनाकर कटाई को अंजाम दिया गया है ठेकेदारों के साथ साठगांठ करके एक बड़े इमारती जंगल को काटने के लिए बड़ा षड्यंत्र रचा गया जिसमे डीएफओ को जमकर कमीशन दिया गया और 114 हे जंगल की बलि चढ़ा दी गई। बता दे की जंगल के लाखो इमारती पेड़ों की कटाई करने के बाद ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए पेड़ो की नीलामी भी डीएफओ प्रेमलता यादव ने कर दी है। वन संरक्षण अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है.पूरे मामले में बड़ी कार्यवाही की आवश्यकता है देखना दिलचस्प होगा की राज्य सरकार इस पर क्या कार्यवाही करती है।
डीएफओ प्रेमलता के संरक्षण में माफियाओं का जंगलराज
वही वर्षों से हो रही अवैध कटाई पर वन विभाग का मौन रहना आश्चर्यजनक है। एक ओर तो कृषक वन भूमि पर कटाई कर अवैध कब्जा कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर लकड़ी तस्कर इमारती लकड़ी विशेषकर वेशकीमती सागौन की लकड़ी की अवैध कटाई कर उसे चोर चोरी छुपे फर्नीचर बनाकर बेचने में निरंतर बेखौफ लगे हैं। यह भी सही हैं कि अवैध कटाई से लेकर फर्नीचर के निर्माण व बिक्री का पूरा कार्य खुलेआम चल रहा है।
फिर भी वन विभाग के अधिकारियों का आंख मूंदकर बैठना यह साबित करता है कि जंगलों की अवैध कटाई वन विभाग की सरपरस्ती पर खुलेआम चल रही है। जंगलों के संरक्षण संवर्धन तथा वनों की सुरक्षा के लिए केंद्र व राज्य सरकार प्रतिवर्ष क्षेत्र में करोड़ों रुपए खर्च कर रही है किंतु पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने में वन विभाग पूरी तरह असफल रहा है या यूं कहें कि वन विभाग अवैध कटाई व वन तस्करों के संरक्षण को लेकर कार्य कर रहा है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।