चुनाव लड़ने की महत्वाकांक्षा में बेआबरू होकर कूचे से लौटे रेशम, निष्ठा भी डगमगाई…

बेआबरू होकर कूचे से लौटे रेशम,निष्ठा भी डगमगाई…

कोरबा। चुनाव लड़ने की महत्वाकांक्षा में वरिष्ठ श्रमिक नेता की निष्ठा गड़बड़ा गई। भाजपा समर्थित श्रमिक संगठन हिंद मजदूर सभा एचएमएस के वरिष्ठ पदाधिकारी रेशम लाल यादव ने इस बार चुनाव लड़ने की ठानी। वे भारतीय जनता पार्टी से कटघोरा विधानसभा के लिए टिकट की दौड़ में कहीं ना कहीं शामिल हुए लेकिन मायूसी मिली। मायूसी के आलम में उन्हें अप्रत्यक्ष तौर पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) जोगी कांग्रेस का सहारा मिला और आनन-फानन में जोगी कांग्रेस का गुलाबी गमछा पहनकर उसके हो लिए। जोगी कांग्रेस के स्थानीय पदाधिकारी दीप नारायण सोनी, वैभव शर्मा, पवन अग्रवाल आदि ने बड़े ही हर्ष के साथ उनका स्वागत किया और इसके साथ ही यह भी ऐलान कर दिया गया कि रेशम लाल यादव कटघोरा विधानसभा से जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे। रेशम लाल के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी और वह भी खुशी में चूर हो गए जो रेशम लाल के खेमे से हैं और टिकट की मांग कर रहे थे। वे बैकफुट पर चले गए और रेशम आगे हो गए। रात भर यह खुशी दिल में समय रखे लेकिन आज दोपहर में रेशम समर्थकों की यह खुशी काफ़ूर हो गई जब घोषित सूची में कटघोरा विधानसभा के लिए उनका नाम दूर-दूर तक नजर नहीं आया।

अब इसके पीछे की कहानी यह रही कि रेशम लाल यादव भाजपा समर्थित श्रमिक संगठन के पदाधिकारी तो हैं ही और उनके पुत्र अनूप यादव नगर पालिका परिषद दीपका के उपाध्यक्ष होने के साथ-साथ संगठन में पदाधिकारी भी हैं। पुत्र की निष्ठा भाजपा के प्रति और पिता भी इस संगठन से होने के बावजूद जोगी कांग्रेस का दामन थाम लिए तो भाजपा में खलबली मच गई। उनके चुनाव लड़ने से भाजपा के वोट पर पूरा-पूरा असर पड़ने की भी संभावना प्रबल हुई। यह भी पता चला कि भाजपा का वोट गड़बड़ाने के लिए यह सब किया जा रहा है तो संगठन द्वारा आनन-फानन में भाजपा के एक युवा पदाधिकारी को इस काम में लगाया गया। उसने रेशम लाल यादव से संपर्क कर इरादे को बदलने में सफलता हासिल कर ली। अंततः रेशम लाल यादव ने जोगी कांग्रेस से चुनाव लड़ने का मन वापस ले लिया और इस तरह इस पूरे घटनाक्रम का पटाक्षेप बड़े ही रोचक ढंग से हुआ। इन सबके बीच रेशम लाल यादव की भद्द पिट गई। उनका गुलाबी गमछा वाला फोटो भी तेजी से वायरल हुआ तो अब रेशम लाल जोगी कांग्रेस के कूचे से बेआबरू होकर लौटे, वहीं संगठन के प्रति उनकी निष्ठा भी कहीं ना कहीं गड़बड़ाने वाली सामने उजागर हो गई।