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बिलासपुर/पेंड्रारोड:- छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने मनरेगा योजना के अंतर्गत कार्यरत तकनीकी सहायक प्रवीण गोयल की सेवा समाप्ति के आदेश को गैरकानूनी और नियमविरुद्ध ठहराते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति बिभुदत्त गुरु की एकलपीठ ने 31 मार्च 2024 को जारी कलेक्टर का बर्खास्तगी आदेश यह कहते हुए रद्द किया कि यह आदेश बिना विभागीय जांच, व्यक्तिगत सुनवाई और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन में पारित किया गया।
❖ झूठी जांच रिपोर्टपर अब न्यायालय में जवाबदेही:
हाईकोर्ट से न्याय मिलने के बाद प्रवीण गोयल ने झूठी जांच रिपोर्ट और गलत आरोपों के खिलाफ व्यवहार न्यायालय पेंड्रारोड में फौजदारी परिवाद दायर कर दिया है।यह परिवाद जांच प्रभारी लक्ष्मीकांत कौशिक,एवं अन्य सदस्य पद्माकर परिहार तथा नितिन विश्वकर्मा के खिलाफ प्रस्तुत किया गया है, जिन्होंने जान बूझकर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर गलत रिपोर्ट तैयार की और झूठे आरोप लगाए।
❖ RTI में भी गंभीर
उल्लंघन, दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग:
प्रवीण गोयल द्वारा दायर एक अन्य परिवाद में श्री संजय शर्मा एवं श्री पवन द्विवेदी पर भी आरोप लगाया गया है कि उन्होंने सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) का उल्लंघन करते हुए गलत जानकारी प्रदान की, जो कि एक दंडनीय अपराध है। इस मामले में भी न्याय की मांग करते हुए मामला न्यायालय में लंबित है।
क्या कहा हाईकोर्ट ने:
“संविदा कर्मचारी को कलंकित करते हुए हटाया जाए, तो बिना विभागीय जांच व सुनवाई के ऐसा आदेश अवैध होता है।”
— सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए
अधिवक्ता की प्रतिक्रिया:
प्रवीण गोयल के अधिवक्ता श्रीयोगेन्द्र चतुर्वेदी ने कहा, “यह
फैसला उन सभी कर्मियों के लिए मील का पत्थर है, जिन्हें बिना सुनवाई के पद से हटाया जाता है। अब दोषियों की जवाब देही तय करना भी उतना ही जरूरी है।”