मरवाही वनमंडल: करोड़ो का तालाब बुझा रहा एसडीओ संजय त्रिपाठी के पैसों की प्यास, जानवरों-ग्रामीणों को अपेक्षित लाभ नहीं…..

मरवाही वनमंडल: करोड़ो का तालाब बुझा रहा एसडीओ संजय त्रिपाठी के पैसों की प्यास, जानवरों-ग्रामीणों को अपेक्षित लाभ नहीं…

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मरवाही: वन मंडल लगातार सुर्ख़ियों में बना हुआ है वनमण्डल में मनमानी व भ्रष्टाचार लगातार जारी हैं। कैम्पा मद से निर्मित तालाब में करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप है। यह कहना कोई गलत नहीं होगा कि लाखों-करोड़ों के तालाब अधिकारी-रेंजरों और ठेकेदारों के पैसों की प्यास बुझा रहे हैं जानवरों-ग्रामीणों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है।

दरअसल मरवाही वनमंडल अंतर्गत वन परिक्षेत्र मरवाही के घुसरिया बीट में जंगल के बीचों बीच कैंपा मद से करोड़ो की लागत से स्वीकृत तालाब का निर्माण करवाया गया है.. जहां तालाब के नाम पर सिर्फ गड्ढा खोदकर निर्माण कार्य पूर्ण किया गया है..तालाब की स्थिति देखकर आसानी से इसको समझा जा सकता है.. आधे अधूरे कार्य कराकर लगभग पूरी राशि एसडीओ संजय त्रिपाठी के द्वारा डकार लिया गया है.. 

सूत्रों ने बताया की तालाब के नाम पर जंगल मे पहले से मौजूद गड्ढ़े युक्त स्थान का चयन करके मशीनो से गड्ढ़े की मिट्टी खोद कर मेड रख दिया गया.. इन मेड़ो में न ही पिचिंग कार्य किया गया न ही तालाब में पर्याप्त गड्ढा खोदा गया जिससे करोड़ो खर्च होने के बाद भी तालाब में न पर्याप्त गड्ढा है न ही तालाब का कार्य अब तक पूर्ण हो सका है इसके साथ ही अधूरे निर्माण एवं पिचिंग न होने के कारण मेड की मिट्टी भी कटने लगी है जिससे उक्त तालाब कई जगहों से छतिग्रस्त भी होने लगा है….जिसकी शिकायत मरवाही वन मंडल के नवनियुक्त डीएफओ दिनेश पटेल से लिखित रूप में किया गया है जिसमे आज तक किसी प्रकार का कार्यवाही या जांच का ना होना डीएफओ के कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करता है..

विभिन्न निर्माण कार्यों के लिये तकनीकी विशेषज्ञों की महती आवश्यकता होनी चाहिये , किन्तु वनमण्डल मरवाही के विभिन्न दस्तावेजों का अध्ययन करने से ज्ञात हुआ है कि तकनीकी मार्गदर्शन महज फर्जी तरीके से खानापूर्ति की गई है। वनमण्डल मरवाही में जहां करोड़ो रुपये के निर्माण कार्य को बिना तकनीकी विशेषज्ञों के पूर्ण कराया जा रहा है । प्राक्कलन एवं मूल्यांकन पंजी के अध्ययन करने से आरोपो की प्रमाणिकता सिद्ध कराने की आवश्यकता नहीं होगी ।

वनमंडल मरवाही के अन्तर्गत विभिन्न परिक्षेत्रों में भारत सरकार एवं छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा जनकल्याणकारी योजनाओं के अन्तर्गत करोडो रुपयों का आवंटन प्राप्त हुआ था जिसमें असीमित अनियमितता व भ्रस्टाचार के उदाहरणं प्राप्त हुये हैं । इनकी गहराई से जांच कराकर कार्यवाही सुनिश्चित किया जाना नितांत आवश्यक है।

करोड़ो से बना तालाब, सूचना बोर्ड नहीं:

मरवाही के घुसरिया बीट में करोड़ो की लागत से तालाब का निर्माण कराया गया है। लेकिन मौके पर सूचना पटल नहीं है जिससे ..योजना का नाम व स्वीकृत राशि की जानकारी को छिपाकर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा हैं..

सीएफ कैंपा

सवाल: कार्यों की लागत के साथ ही मजदूरी भुगतान की जानकारी देने सूचना पटल भी नहीं लगाए जाते।

जवाब: -सूचना पटल लगाना जरुरी है। अफसरों से इसकी जानकारी लेंगे। यह लापरवाही की श्रेणी में आता है।