प्रधानमंत्री आवास योजना में फर्जीवाड़ा उजागर, अपात्र को जियोटैग कर निकाली गई पूरी राशि,,

कोरबा/पोड़ी उपरोड़ा। कोरबा जिले के जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा अंतर्गत ग्राम पंचायत सिंघिया में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। योजना का उद्देश्य जरूरतमंदों को पक्का आवास उपलब्ध कराना है, लेकिन यहां योजनाओं को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार, ग्राम कर्रा निवासी संपत दास, जिनका वर्षों पुराना पक्का मकान पहले से ही मौजूद है, को रोजगार सहायक मदन आंडिल और ब्लॉक समन्वयक अधिकारी धर्मेंद्र कंवर की मिलीभगत से अपात्र होते हुए भी पीएम आवास योजना का लाभार्थी बना दिया गया। योजना के तहत जारी 1.20 लाख रुपए की तीन किश्तें—पहली किश्त 40 हजार (17 सितंबर 2024), दूसरी किश्त 60 हजार (18 दिसंबर 2024) और तीसरी किश्त 20 हजार (23 मार्च 2025)—बिना निर्माण कार्य के निकाल ली गईं। कागजों में पूरा आवास दर्शा दिया गया, जबकि धरातल पर कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ था।

इस फर्जीवाड़े को छुपाने के लिए जिम्मेदारों ने आनन-फानन में उसी अपात्र व्यक्ति का निर्माण कार्य शुरू करा दिया। खबर का खुलासा होने के बाद गांव में चर्चा गर्म हो गई और ग्रामीणों ने रोजगार सहायक के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि मदन आंडिल वर्षों से योजनाओं का दुरुपयोग करते आ रहे हैं। मनरेगा सहित अन्य योजनाओं में भी अनियमितता के आरोप उन पर लग चुके हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पीएम आवास की किश्त जारी कराने के नाम पर लाभार्थियों से 500 से 2000 रुपये तक की अवैध वसूली की गई। जिन लाभार्थियों ने पैसा नहीं दिया, उनकी किश्तें रोक दी गईं या देरी से जारी की गईं। इससे ग्रामवासियों में भारी आक्रोश व्याप्त है और उन्होंने पूरे मामले की जांच कर दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग की है।

फर्जी जियोटैगिंग के सहारे योजना की राशि का गबन इस बात का प्रमाण है कि कैसे पारदर्शिता के नाम पर बनाई गई व्यवस्थाएं भ्रष्टाचारियों के सामने बेबस हो गई हैं। इस गंभीर मामले में जब ब्लॉक समन्वयक अधिकारी धर्मेंद्र कंवर से संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो उनसे कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हो सकी। फिलहाल, आवश्यक है कि प्रशासन इस घोटाले का संज्ञान ले और निष्पक्ष जांच कर दोषियों को न्यायिक प्रक्रिया के तहत दंडित करे, ताकि प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी जनकल्याणकारी योजनाएं अपने वास्तविक हितग्राहियों तक पहुँच सकें।