एक दिन के सम्मान से नारी जाती की स्थिति नहीं बदल सकती इसके लिए विशेष जिम्मेदारी हम सब को मिल कर उठानी है।सुश्री एकता ठाकुर, राष्ट्रीय सचिव, भारतीय युवा कांग्रेस

नारी के विभिन्न स्वरूप**

राष्ट्रीय युवा कांग्रेस सचिव एकता ठाकुर

नारी महिला औरत ,मातृ सत्ता का नाम है ,जो हमें जन्म देकर पालती पोसती और इस योग्य बनाती है कि हम जीवन व समाज में कुछ महत्तवपूर्ण कार्य को कर सकें।  महिलाएं पुरूषों के समान अधिकार सक्षम होकर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपनी प्रतिभा औऱ कार्यक्षमता का लोहा मनवा रही है आज, से नहीं अपितु उस समय से जब नारी को चार दीवार के अंदर रहना पड़ता था।
नारी सदैव पुरुष के साथ कंधेसे कंधा मिलाकर तो चलती ही है, बल्कि उनसे भी अधि‍क जिम्मेदारियों का निभाती भी  हैं।

नारी इस तरह से भी सम्माननीय है।

विवाह पश्चात विवाह बाद महिलाओं पर और भी भारी जिम्मेदारि‍यां   डल  दी जाती है   । पति, सास-ससुर, देवर-ननद की सेवा के पश्चात उनके पास अपने लिए समय ही नहीं बचता। वे कोल्हू के बैल की मानिंद घर-परिवार में ही खटती रहती हैं। संतान के जन्म के बाद तो उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। घर-परिवार, चौके-चूल्हे में खटने में ही एक आम महिला का जीवन कब बीत जाता है, पता ही नहीं चलता।

कई बार वे अपने अरमानों का भी गला घोटते हुवे  घर-परिवार की जिम्मेदारी मन मार कर बखूबी निभाती है।। उन्हें इतना समय भी नहीं मिल पाता है वे अपने लिए भी समय निकले।

परिवार की खातिर अपना जीवन अग्नि में होम करने में भारतीय महिलाएं सबसे आगे हैं। परिवार के प्रति उनका यह त्याग उन्हें सम्मान का अधि‍कारी बनाता है।

एक दिन के सम्मान से नारी जाती की स्थिति नहीं बदल सकती इसके लिए विशेष जिम्मेदारी हम सब को मिल कर उठानी है।