रायपुर : महिलाओं के स्वावलंबन का जरिया बनी गोधन न्याय योजना : जैविक खाद एवं अन्य उत्पादों से महिला समूहों को हो रहा लाभ
छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना महिला समूहों से जुड़ी महिलाओं के लिए रोजगार और स्वावलंबन का जरिया बन गई है। इस योजना से महिलाओं को गौठानों में रोजगार और आर्थिक लाभ प्राप्त होने लगा है। गोधन न्याय योजना के तहत क्रय गोबर समूह की महिलाएं वर्मी कंपोस्ट, सुपर कम्पोस्ट एवं अन्य उत्पाद तैयार कर लाभ अर्जित करने लगी है। गरियाबंद जिले के गौठानों में महिलाएं गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने और बेचने से महिला समूहों को अच्छा-खासा मुनाफा प्राप्त होने लगा है।
गरियाबंद जिले में कुल 123 गौठानों में गोबर खरीदी की जा रही है। अब तक गौठानों में 2 करोड़ 50 लाख रूपये का गोबर खरीदा जा चुका है। इससे अब तक 15 हजार 707 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तथा 9 हजार 312 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया है। उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट के विक्रय से महिला समूहों को 29.33 लाख रूपए की लाभांश राशि प्राप्त हो चुकी है।
स्व-सहायता समूह की महिलाओं का मानना है कि गोधन न्याय योजना उनके लिए आर्थिक आय का जरिया बन गई है। अब उन्हें रोजगार के लिए ईधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं रह गई है। गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट एवं अन्य आयमूलक गतिविधियों की वजह से उन्हें रोजगार मिलने लगा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश सरकार का आभार जताते हुए महिलाओं ने कहा कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से संचालित होने वाली आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ अन्य आर्थिक गतिविधियां भी गौठानों में शुरू हो रही हैं। इससे और अधिक रोजगार के अवसर हमें मिलेंगे। महिलाएं गौठानों में जैविक खाद के साथ-साथ गोबर से अगरबत्ती एवं अन्य पूजन सामग्री भी बना रही हैं।