कोरबा : प्रधानमंत्री के 3 कृषि कानून वापस लेने के फैसले से आंदोलनकारी किसानो की हुई ऐतिहासिक जीत – दीपक श्रीवास
कोरबा:- देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 3 कृषि कानून वापस लिए जाने के निर्णय को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी, आर. टी. आई प्रकोष्ठ के छत्तीसगढ़ प्रदेश सचिव दीपक श्रीवास ने कहा है कि अभी कुछ ही दिन पहले हमारे नेता माननीय श्री राहुल गांधी जी ने यह कहा था कि मुझे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी पर पूरा विश्वास है कि वह यह तीनों कृषक कानून अवश्य ही वापस ले लेंगे, और माननीय राहुल गांधी जी का वह भविष्य वक्ता तथा दूरदर्शी होना सिद्ध हुआ जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने तीनों कृषक कानून वापस लेने की घोषणा कर दी है। पिछले कई महिनों से राजधानी दिल्ली की सीमा पर पंजाब, हरियाणा और कुछ दूसरे राज्य के किसानों का प्रदर्शन जारी था। ये किसान अध्यादेश के ज़रिए बनाए गए तीनों नए कृषि क़ानून को वापस लेने की मांग कर रहे थे। इन किसानों ने बीते आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया था जिसे करीब दो दर्जन विपक्षी राजनीतिक पार्टियों और विभिन्न किसान संगठनों का समर्थन मिला था। किसान आंदोलन की वजह से रेलवे को भी काफ़ी आर्थिक नुकसान पहुँचा था। उत्तर रेलवे के जनरल मैनेजर आशुतोष गंगल ने बताया था कि 8 दिसंबर 2020 से लेकर 10 दिनों तक रेलवे को करीब 2400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इतना ही नहीं किसान आंदोलन से 2020- 21 की तीसरी तिमाही में 70,000 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ था। किसान आंदोलन की वजह से दिल्ली व एनसीआर को अभी तक 27 हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा। इस प्रदर्शन के दौरान केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच कई राउंड की बातचीत हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। किसान संगठनों के कुछ प्रतिनिधियों से गृहमंत्री अमित शाह की मुलाक़ात से भी कोई रास्ता नहीं निकला। दिल्ली के बॉर्डर पर दिन रात बैठे किसान तीनों क़ानून को वापस लेने की मांग कर रहे थे जबकि केंद्र सरकार क़ानून के कुछ विवादास्पद हिस्सों में संशोधन के लिए तैयार थी। सरकार यह भी दावा कर रही थी कि नए क़ानूनों से किसानों का कोई नुकसान नहीं होगा। मगर यह बात तो गौर करने वाली थी कि किसानों के आंदोलन की वजह से रोजाना 3000 से 3500 करोड़ रुपए का नुकसान दर्ज किया जा रहा था। जिसमे मोदी जी की राजनीतिक अपरिपक्वता पूरी तरह से झलक रही थी। आज मोदी जी ने यह तीनों काले कृषक कानून रद्द करने के बाद अब तक भारतीय अर्थव्यवस्था के गिरने की सारी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पर है। श्री श्रीवास ने आगे कहा है कि प्रधानमंत्री ने बड़ी ही चालाकी से इस अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए पिछले साल भर में गैस और पेट्रोल के दाम बढ़ाए डीजल के दाम बढ़ाए। मगर “बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से खाए” की कहावत सिद्ध होती नजर आ रही थी। और अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को अपनी गलती समझ में आई तथा उन्होंने यह तीनों कृषक कानून वापस लेने की घोषणा की। मगर पूरा देश प्रधानमंत्री से यह सवाल जरूर पूछेगा कि लगभग 700 किसानों की जान जाने के बाद आखिर में उन्होंने जो निर्णय लिया है, उसके लिए उसका स्वागत किया जाए कि देरी से निर्णय लेने के लिए उन्हें जवाबदार ठहराया जाए। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को अपनी जवाबदारी स्वीकारते हुए अपने पद से तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। साथ ही उन सभी आंदोलनकारी किसानों का अभिनंदन जिनके आगे प्रधानमंत्री को 3 कृषि कानून वापस लेने विवश होना पड़ा तथा उक्त आंदोलन में शहीद हुए किसानो को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।