गेवरा- पेंड्रा रेल कॉरिडोर निर्माण: मिट्टी- मुरुम की अवैध खुदाई से विद्युत प्रवाहित हाईटेंशन टॉवर पर मंडराया खतरा, कार्रवाई के बजाय अधिकारी एक- दूसरे पर थोप रहे जिम्मेदारी..
गेवरा- पेंड्रा रेल कॉरिडोर निर्माण: मिट्टी- मुरुम की अवैध खुदाई से विद्युत प्रवाहित हाईटेंशन टॉवर पर मंडराया खतरा, कार्रवाई के बजाय अधिकारी एक- दूसरे पर थोप रहे जिम्मेदारी
@- हरे- भरे पेड़ों का भी आस्तित्व खतरे में.
कोरबा:- जिले के गेवरा से पेंड्रा तक रेल कॉरिडोर के निर्माण कार्य में रेलवे ठेका फर्म कंपनी द्वारा अवैध तौर- तरीके अपनाकर राजस्व, वनभूमि और निजी जमीन से जमकर मिट्टी- मुरुम का खनन किया जा रहा है। जहां मिट्टी- मुरुम का इस्तेमाल करते हुए निर्माण कार्य की आड़ में शासन को लाखों की राजस्व क्षति पहुँचाई जा रही है, तो वहीं ठेकेदार द्वारा कराए जा रहे मनमाने खुदाई से हाईटेंशन टॉवर के साथ हरे- भरे पेड़ों पर भी खतरे का बादल मंडराने लगा है।
ज्ञात हो कि गेवरा से पेंड्रा तक रेल लाइन का विस्तार किया जा रहा है। जिसके निर्माण में ठेकेदारों द्वारा पसान, बैरा, पुटीपखना, कुटेसर नगोई, बरतराई क्षेत्र में जिस तरह से अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है। उसमें शुरुआत में केवल कुछेक किसान की जमीन से मिट्टी- मुरुम खनन की अनुमति खनिज विभाग से लेकर खुदाई शुरू की गई। इसके बाद अन्य भोले- भाले ग्रामीण किसानों को भी चंद रुपयों का लालच देकर उनके खेतों और जमीन से भी खुदाई की जा रही है। इस खुदाई से जहां ग्राम बरतराई के आसपास से गुजरी सीएसईबी के विशालकाय हाईटेंशन विद्युत प्रवाहित टावर पर खतरा मंडराने लगा है। वहीं अनगिनत बबूल, पलास, महुआ, कोसम सहित अन्य हरे- भरे पेड़ों को अधर में छोड़ दिया गया है। रेलपथ निर्माण ठेकेदार द्वारा किस तरह से अंधाधुंध खुदाई को अंजाम दिया जा रहा है। इसे तस्वीरें भी साफ तौर पर बयां कर रही है। और आने वाले बारिश के मौसम में यहां मिटटी का कटाव होगा तब हाई वोल्टेज विद्युत प्रवाहित विशालकाय टॉवर के धराशायी होने व इससे होने वाले अप्रिय घटना से नकारा नही जा सकता। मगर कोरबा जिले के संबंधित विभागों के किसी भी नौकरशाहों को ठेकेदार की यह जानलेवा करतूत नजर नहीं आ रही। और ऐसा लग रहा है कि फ़िलहाल इस तरह के खतरे का अहसास जिले के अधिकारियों को नहीं है। ठेकेदार द्वारा जंगल के अंदर दर्जनों कीमती हरे- भरे पेड़ो को भी जमीदोज कर मिटटी की ढुलाई के लिए अनेक मार्गों का निर्माण कर लिया है। जिसके लिए भारी भरकम मशीनों व ट्रकों को लाने ले जाने में इस्तेमाल किया जा रहा है। जंगलों के बीच अवैध रास्तों के निर्माण की वजह से पेड़- पौधों के साथ ही पर्यावरण को भी भारी नुकसान हो रहा है। वही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्मित सड़कों पर भी ओवरलोड वाहनों को दिन- रात दौड़ाने से सड़क के भी परखच्चे उड़ने लगे है। वन और राजस्व विभाग के अमले द्वारा इस पर भी किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई गई है। इस मामले पर कटघोरा वनमंडल की डीएफओ शमा फारुकी से जानकारी चाहने पर उन्होंने कहा कि यह राजस्व क्षेत्र की जमीन का मामला है। पूर्व में उन्होंने खुदाई वाले स्थानों की जांच की थी, मगर तब वन विभाग की किसी भी जमीन पर खुदाई नहीं पाई गई। डीएफओ से जब पेड़ों को हो रहे नुकसान के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा कि चूँकि यह राजस्व क्षेत्र की जमीन का मामला है इसलिए पेड़ों के मामले में भी कार्रवाई राजस्व विभाग करेगा। वहीं खनिज अधिकारी कोरबा जिले के उप संचालक, खनिज एसएस नाग का कहना है कि संबंधित इलाके में कुछ किसानों को जमीन में खुदाई की अनुमति दी गई है, वही बड़ी संख्या में किसानों ने अनुमति के लिए आवेदन लगा रखा है। अनुमति देने से पहले इलाके के तहसीलदार से रिपोर्ट मंगाई जाती है। वहीं इस खुदाई से पेड़ों को हो रहे नुकसान के बारे में उनका कहना था कि इसका जिम्मा वन और राजस्व विभाग का है। ठेकेदार अगर किसान की जमीन से मिटटी या मुरुम की खुदाई कर रहा है तो उसे 50 रूपये प्रति क्यूबिक मीटर रॉयल्टी खनिज विभाग को देनी होती है। जबकि पोड़ी उपरोड़ा एसडीएम कौशल प्रसाद तेंदुलकर का कथन है कि राजस्व की जमीन में अवैध तरीके से खुदाई की जानकारी फ़िलहाल उन्हें नहीं मिली है। रहा सवाल खुदाई का, तो इसकी अनुमति खनिज विभाग देता है। उन्होंने इस मामले में वस्तुस्थिति की जानकारी लेने की बात कही है। कुल मिलाकर सभी विभाग एक दूसरे के ऊपर जिम्मेदारी थोप रहे हैं, और किसी भी अधिकारी को इस बात की कतई चिंता नहीं है कि अंधाधुंध खुदाई से पेड़ों, बिजली टॉवर, सड़कों, जमीन के स्वरुप तथा पर्यावरण को हो रहे नुकसान को किस तरह रोका जाये। उम्मीद की जानी चाहिए कि संबंधित विभागों के अधिकारी ईमानदारी से अपनी- अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे।