रेत घाट होंगे ठेका मुक्त, गांव में चलाएंगे पंचायत व शहर में निकाय..
जिले में चल रहे रेतघाटों को अब नए वित्तीय वर्ष से ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत और शहर में स्थानीय निकाय संचालित करेंगे
राज्य शासन की ओर से लिए गए इस निर्णय के बाद जिला खनिज विभाग को लिखित अनुमति का इंतजार है। वर्तमान में चल रहे 14 रेत घाटों को बढ़ाकर 18 करने की तैयारी है।
कोरबा: जिले में चल रहे रेतघाटों को अब नए वित्तीय वर्ष से ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत और शहर में स्थानीय निकाय संचालित करेंगे। राज्य शासन की ओर से लिए गए इस निर्णय के बाद जिला खनिज विभाग को लिखित अनुमति का इंतजार है। वर्तमान में चल रहे 14 रेत घाटों को बढ़ाकर 18 करने की तैयारी है।
रेत घाटों को ठेकेदारों से मुक्त करने की तैयारी राज्य शासन ने कर ली है। बीते दो सालों में रेतघाटों को ठेकेदारों के हवाले किए जाने से अवैध उत्खनन में बेतहाशा वृद्धि हुई। मामले को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को निर्णय लेना पड़ा था कि अवैध खुदाई के लिए कलेक्टर व एसपी जिम्मेदार होंगे। निर्णय के बाद जमकर कार्रवाई हुई। घाटों को ठेकेदारों को देने से रेत चोरी के मामले तो बढ़े ही साथ ही अधिक कीमत में बिक्री से शासन की छवि धूमिल हुई है। माना जा रहा है कि इन तमाम विसंगतियों को देखेते हुए शासन ने फिर से पंचायत व शहरी निकायों को रेत घाट सौंपे जाने का निर्णय लिया है। इसका असर अब जिला खनिज विभाग में देखा जा रहा हैं। जिले में संचालित हो रहे 14 घाट रेत आपूर्ति के लिए पर्याप्त नहीं है। निजी निकायों को घाट चलाने की अनुमति मिलने से खनिज विभाग को सहूलियत होगी। शहर में वर्तमान में एकमात्र सीतामढ़ी घाट का संचालन हो रहा है। गेरवाघाट में सर्वेश्वर एनीकट बनने के कारण घाट बंद हो गया है। वैकल्पिक तौर नवीन घाट चलाने की राह अब तक तय नहीं हुई है। जिन चार अतिरिक्त घाटों की शुरूआत होनी है, उनमें गेवरा घाट क्रमांक दो, पसान, एतमान व तरदाघाट शामिल है। भले ही चार नए घाटों को शुरू करने का निर्णय लिया गया है लेकिन 412 ग्राम पंचायातों के लिए पर्याप्त नहीं है।
मानसून बीतने के चार माह बाद शुरू हुआ घाट
मानसून बीतने के चार माह तक शहर घाटों को स्वीकृति नहीं मिली। जिसका रेत तस्करों ने जमकर लाभ उठाया। ठेकेदारों को नवीनीकरण पत्र जारी करने के लिए खनिज विभाग की ओर से नोटिस जारी भी की गई, लेकिन बारिश के दौरान संग्रहित रेत को खपाने के लिए नवीनीकरण नहीं कराया गया। तस्करों के साथ सांठ – गांठ होने के कारण समय पर घाट नहीं खुली। राजनैतिक दलों ने विरोध किया पर इसका कोई असर नहीं हुआ। चार माह बाद एक मात्र घाट खुली। अभी भी लोगों को अधिक कीमत में रेत की खरीदी करनी पड़ रही है।
नदी के साथ नालों से हो रहा उत्खनन
रेत तस्करों ने नदी के साथ अब नालों से अवैध उत्खनन शुरू कर दिया हैं। शहरी क्षेत्र के दो छोर सीतामढ़ी और गेरवाघाट में रेत मिलने लोगों को आसानी से रेत उपलब्ध हो रहा था। गेरवाघाट बंद होने का सीधा असर ढेंगुरनाला पर पड़ा है। शहर की तरह ग्रामीण क्षेत्रों में हरदीबाजार, चाकाबुड़ा में छिंदई नाला से भी रेत निकाला जा रहा हैं। बड़े पैमाने पर रेत निकालने के लिए अब धनगांव पर भी तस्करों की नजर है। रेत के अवैध उत्खनन के मामले में विभाग की ओर से केवल छोट वाहन चालकों पर कार्रवाई की जाती है। बड़े तस्करों अब भी अपनी मनमानी में सक्रिय हैं।
पीएम आवास और सरकारी निर्माण में देरी
जिले में 18000 हजार प्रधानमंत्री आवास का निर्माण अभी भी अधूरा है। इसमें अधिकांश आवासों के पूर्ण नहीं होने की वजह किश्त की राशि में देरी और रेत की अनुपलब्धता हैं। अधूरे पीएम आवास में अकेले नगरीय निकाय के 4300 आवास हैं। आवास के अलावा सरकारी निर्माण में देरी हुई। बड़े निर्माण कार्यो में दर्री बांध का समानांतर, उरगा का ओवर ब्रिज, सीएसईबी से ध्यानचंद चौक तक डबललेन मार्ग आदि शामिल हैं।
रेत घाट संचालन की जिम्मेदारी फिर शहरी के स्थानीय निकाय व ग्राम पंचायतों को दिए जाने का निर्णय शासन ने लिया हैं। अभी इसकी लिखित जानकारी नहीं आई है। ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में लोगों को आसानी से रेत उपलब्ध हो इसके लिए विभाग की ओर से नए रेत घाट शुरू करने की तैयारी की जा रही है।
एसएस नाग, जिला खनिज अधिकारी