कटघोरा: आयुर्वेद अधिकारी ने स्वीकारा… “जय भगवान के पास नही है आयुर्वेदिक दवा निर्माण का लाइसेंस, शिकायत मिलने पर होगी सख्त कार्रवाई”.. पहले भी हो चुकी है जांच…

आयुर्वेद अधिकारी ने स्वीकारा… “जय भगवान के पास नही है आयुर्वेदिक दवा निर्माण का लाइसेंस, शिकायत मिलने पर होगी सख्त कार्रवाई”.. पहले भी हो चुकी है जांच.

 

 

कोरबा/कटघोरा: जिले के आयुर्वेद विभाग ने स्वीकार किया है कि कटघोरा के जय भगवान (जिंदल हर्बल्स) फर्म के पास आयुर्वेद दवाओं के निर्माण और बिक्री से जुड़ा कोई भी लाइसेंस फिलहाल उनके डिपार्टमेंट की तरफ से जारी नही किया गया है. पूर्व में जारी अनुज्ञा भी नवीनीकरण के अभाव में कालातीत हो चुका है. उनके द्वारा द्वारा बिना लाइसेंस के आयुर्वेदिक दवा बनाने की शिकायत मिली थी जिसके बाद विभाग ने मौके पर जाकर इसकी जांच की थी. जांच में पाया गया था कि उक्त फर्म के द्वारा आयुर्वेदिक औषधि बिक्री और निर्माण के लिए जरूरी मापदंडों को पूरा नही किया जा रहा है. जय भगवान को लाइसेंस जारी नही करने की एक वजह यह भी थी. मीडिया से हुई बातचीत में जिले के आयुर्वेद अधिकारी श्री राठिया ने यह बातें कही है.

श्री राठिया ने साफतौर पर कहा कि यह फर्म शिकायत होने पर पहले भी जांच के दायरे में था वही अगर फिर से उन्हें किसी तरह की शिकायत प्राप्त होती है तो इसकी जांच कराई जाएगी. जिले के भीतर किसी को भी बिना अनुज्ञा के दवाओं के निर्माण और बिक्री का अधिकार नही है. विभाग ऐसे दुकानदारों और फर्मो पर नजर बनाए हुए है.

गौरतलब है कि कटघोरा बस स्टैंड स्थित जय भगवान (जिंदल हर्बल्स) के द्वारा घर पर ही आयुर्वेद दवा बनाने की खबर मीडिया में प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी. बताया गया था कि गर्भवती महिलाओं समेत दूसरे मरीजो के लिए अवैध रूप से दवाएं बनाई जा रही है. इतना हो नही बल्कि जिले भर में इसकी धड़ल्ले से बिक्री भी की जा रही है. जानकारी के मुताबिक संचालक के द्वारा साइटिका, कमर दर्द, गाठिया दर्द, जोड़ों का दर्द तथा बांझपन का इलाज कर उनकी दवाइयों को स्वयं निर्माण कर मरीजों को दिया जाता है जबकि इस हेतु संस्थान के पास ना ही लाइसेंस है आउट ना ही दवाओं का पेटेंट. ऐसे में मरीजो के स्वास्थ्य के साथ सीधे खिलवाड़ किया जा रहा है. देखना होगा कि मीडिया में मामले के सामने आने के बाद आयुर्वेद विभाग किस तरह की कार्रवाई उक्त संचालक पर सुनिश्चित करता है.