गौरेला में शासकीय भूमि का हो रहा निजीकरण गौरेला एसडीएम पुष्पेंद्र शर्मा की भूमिका संदिग्ध..

गौरेला में शासकीय भूमि का हो रहा निजीकरण गौरेला एसडीएम पुष्पेंद्र शर्मा की भूमिका संदिग्ध

 

 

जीपीएम: जिले के गठन के बाद आम जनता को लगा कि शायद अब क्षेत्र का विकास काफी तेज गति से हो सकेगा हालांकि विकास तो उतनी तेजी से नही हो रहा जितना लोगो को उम्मीद था लेकिन भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा पर जरूर पहुँच चुका है हम बात कर रहे गौरेला की जँहा राजस्व विभाग के रिकॉर्ड से छेड़ छाड़ करना आम बात हो गया है गौरेला में कई ऐसे शासकीय भूमि है जो अचानक से निजी व्यक्ति के नाम पर चले जाते है फिर उस भूमि का खरीदी बिक्री भी उतनी ही आसानी से हो जाता है एक सामान्य किसान को अपने भूमि संबंधी छोटा सा कार्य कराने के लिए भी महीनों पटवारी के चक्कर काटने पड़ते है पर वंही भू माफियाओं के द्वारा शासकीय भूमि को भी रातो रात किसी व्यक्ति के नाम पर दर्ज करवाना खरीदी बिक्री करना नामांतरण करना बहुत ही आसान होता है जबकि गौरेला में ही जिला मुख्यालय है इसके बावजूद इतने बड़े स्तर में हो रहे भ्रष्टाचार पर लगाम न लगना एक बड़ा सवाल पैदा करता है इन्ही में से एक मामले की शिकायत भी गौरेला एसडीएम पुष्पेंद्र शर्मा के पास लिखित रूप से अप्रैल महीने में किया गया लेकिन उनके द्वारा आज तक किसी प्रकार की कार्यवाही न किया जाना समझ से परे है ऐसे में एक सवाल यह भी उठता है कि क्या एसडीएम के द्वारा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा या फिर वजह कुछ और है??