राजस्व विभाग का अजग-गजब खेल……. SDM की कार्रवाई से मचा हड़कंप…..लेकिन सजा सिर्फ एक को और बाकी को छूट ?….आखिर क्यों?

राजस्व विभाग का अजग-गजब खेल…….

SDM की कार्रवाई से मचा हड़कंप…..लेकिन सजा सिर्फ एक को और बाकी को छूट ?….आखिर क्यों?

 

 

बिलासपुर; बिलासपुर जिले में इन दिनों जमीन का खेल ज्यादा हो रहा है,जमीन की अफरा तफरी करने वालो पर निश्चित ही कार्रवाई करना चाहिए और सजा भी मिलनी चाहिए। लेकिन जमीन का वारा न्यारा करने वाला कोई एक नही है बल्कि ऐसे कई है जो चुपचाप साहब का खास बनकर जमीन का खेल जोरो से खेल रहे है। जिसमे ज्यादा लोग शामिल है। अगर हम मोपका की बात करे तो मोपका विवादित जगह रहा है और किसी को पूरी तरह से बचाने के लिए किसी और को बकरा बनाया गया है। और इसी वजह से इसकी चर्चा भी होने लगी है। सूत्रों का तो यह भी कहना है कि पटवारी को जबरदस्ती निबटाया गया है। इसमे कोई और नही बल्कि खुद भूमाफिया और अफसर भी शामिल है।

जिसका खामियाजा किसी और को नही बल्कि खुद पटवारी को भुगतना पड़ गया है,आपको बता दे कि मोपका के सबसे बड़े फ़र्जीवाड़ा भोंदूदास मामले में बिल्डरों और भू मफ़ियाओं के हिसाब से काम करने से मना करने वाले पटवारी कौशल यादव को एसडीएम ने निलम्बित कर दिया ।यह आदेश कलेक्टर के निर्देश पर हुई है, जबकि भोंदूदास केस में बिक्री नक़ल जारी करने वाले झूठा फ़र्ज़ी नामांतरण पारित करवाने वाले तहसीलदार रमेश मोर, तहसीलदार नारायण गवेल और पटवारी अशोक जायसवाल , आलोक तिवारी, अमित पांडेय को अभयदान दे दिया गया है। दरसल आपको बता दें कि किसी भी दस्तावेज में पटवारी कौशल यादव का हस्ताक्षर नहीं है। और पूरा मामला पटवारी कौशल यादव के मोपका पदस्थापना के पहले का है।

और जिन लोगों ने दस्तावेज बनाया हैं उन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं किया गया है। मोपका का ही खसरा नंबर 992 निस्तार पत्रक में बड़े झाड़ का जंगल है तो प्रशन यह है कि आख़िर किस आईएएस ने सुप्रीम कोर्ट के नियमों से बाहर जाकर इसका डायवर्सन कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का नियम है कि जो ज़मीन बड़े झाड़ का जंगल है और निस्तार पत्रक में दर्ज है उसका डायवर्सन किसी भी हाल में नहीं हो सकता है। तो मोपका का खसरा नंबर 992 और 993 का डायवर्सन आख़िर किस आईएएस ने किया। ज़िला कार्यालय भू अभिलेख शाखा में फ़र्ज़ी डायवर्सन का भरमार है। इस पर नए कलेक्टर को जरूर ध्यान देना चाहिए । चिल्हाटी के भोंदूदास के ख़सरा नम्बर 224 का नामांतरण करने वाले तहसीलदार नारायण गवेल,तहसीलदार रमेश मोर,पटवारी अलोक तिवारी,अमित पाण्डेय,और अशोक जायसवाल पर अब तक कोई गाज नहीं गिरा है।

जबकि इस मामले को विधानसभा में विधायक शैलष पांडेय ने अभी अभी उठाया भी है।निश्चित ही अगर बिलासपुर जिले के लिंगियाडीह,बहतराई,सकरी,तिफरा,देवरीखुर्द,लालखदान,मस्तूरी,कोनी, बिरकोना,तखतपुर और कोटा रोड के अलावा सिरगिट्टी क्षेत्र में बारीकी से जांच किया जाएगा तो शायद और कई पहलू सामने आएंगे,फिलहाल देखा जाए तो SDM ने बड़ी मछली को बचाने के लिए छोटी मछली को बलि का बकरा बना दिया है। और आने वाले विधानसभा में किसी तरह का कोई आरोप प्रशासन पर न लगे इसके लिए पहले से तैयार कर दिया गया है। ताकि कल को कोई आरोप लगे तो जिले का अमला जवाब दे सके कि हमने तो शिकायत या फिर जांच करने के बाद कार्रवाई कर दी है।

इधर ये हो जाएगा कि सांप भी मर गया और लाठी भी न टूटे,लेकिन देखना होगा कि आखिर आने वाले समय मे और कितने पटवारी निबटते है या फिर सिर्फ खेल यही तक सीमित रह जायेगा।