कोरबा: राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई चैतमा में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया गया..

राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई चैतमा में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया –———

कोरबा: कार्यालय भोपाल एस कबीर ,युवा अधिकारी दीपेंद्र उपाध्याय, राज्य संपर्क अधिकारी नीता बाजपेयी, अटल बिहारी वाजपेयी विश्विद्यालय समन्वयक डॉ मनोज सिन्हा जिला संगठक कोरबा वाय के तिवारी के निर्देश पर प्राचार्य संरक्षक एच आर निराला के मार्गदर्शन में कार्यक्रम अधिकारी वीरेंद्र कुमार बंजारे नेतृत्व में युवा के मार्ग प्रशस्तक और प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानन्द दीप प्रज्वलित पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम की विधिवत पूजन किया गया।

राष्ट्रीय युवा दिवस पर बौद्धिक कार्यशाला स्कूल में युवाओं को प्रेरित करने के लिए अपने वक्तव्य में प्राचार्य एच आर निराला ने बताया कि स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 ई में कलकत्ता के एक कायस्थ परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था। इनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाई कोर्ट के प्रसिद्ध वकील थे। अतः इनके पिता दत्त जी पश्चिम सभ्यता में अधिक विश्वास करते थे। दत्त जी हमेशा अपने पुत्र स्वामी विवेकानंद जी को पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण करने की सलाह देते थे।

उनका सपना था कि स्वामी जी भी उनकी तरह अंग्रेजी सीखकर कोई बड़ा आदमी बने। उनकी जिद के चलते स्वामी जी की प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता में हुई। स्वामी जी का बचपन में नाम नरेंद्र दत्त था। नरेंद्र बाल्यावस्था से प्रतिभा के धनी थे। स्वामी जी कोआध्यात्मिक ज्ञान ओजस्वी तर्क वादी थे। कार्यक्रम अधिकारी वीरेंद्र कुमार बंजारे ने विवेकानंद जी के विचार को स्वयं सेवकों को प्रेरित करने के लिए बताया कि उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये।

खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप हैं।

तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता।

सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।

स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुष सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं, जो अपने जीवन के बाद भी लोगो को निरंतर प्रेरित करने का कार्य करते हैं। यदि हम उनके बताये गये बातों पर अमल करें, तो हम समाज से हर तरह की कट्टरता और बुराई को दूर करने में सफल हो सकते हैं।युवा दिवस पर ब्यख्याता वी वी शर्मा, विंध्यराज मैडम, स्काउड प्रभारी भागीरथी श्रीवास, स्पोर्ट शिक्षक नबी ऊल्ला सिद्दिकी, सुरेन्द्र सिंह नेटी, आशीष उपाध्याय, तिवारी सर ने विचार रखें।

राष्ट्रीय युवा दिवस पर स्वयं स्वयं सेवकों ने चित्र कला, नारा लेखन, निबंध लेखन कर स्वामी विवेकानंद जी को याद किया। उनके विचार को अपने जीवन में लाने के लिए संकल्पित हुए। सभी स्वयं सेवकों की सहभागिता के लिए प्राचार्य ने प्रशंसा की।