कोरबा: खसरा नंबर 377 की खरीदी-बिक्री पर रोक..परंतु बड़े झाड़ जंगल मद भूमि की बिक्री पर रोक नही लगा पा रहे कलेक्टर संजीव झा..

कोरबा: खसरा नंबर 377 की खरीदी-बिक्री पर रोक..परंतु बड़े झाड़ जंगल मद भूमि की बिक्री पर रोक नही लगा पा रहे कलेक्टर संजीव झा..

एसडीएम, तहसीलदार, ,राजस्व निरीक्षक, पटवारी, सबकी मिलीभगत से हो रहा अवैध रजिस्ट्री…

राजस्व मंत्री से कांग्रेस नेता करेंगे शिकायत…

कोरबा जिले के ग्राम कुकरीचोली में जमीन को कई टुकड़ों में बांटकर खरीदी बिक्री करने व इसमें कॉलोनाइजर एक्ट का उल्लंघन पाए जाने पर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कोरबा की ओर से संबंधित खसरा व रकबा की जमीन की खरीदी-बिक्री पर रोक लगा दी गई है।

इस संबंध में एसडीएम कोरबा ने बताया की ग्राम कुकरीचोली के प.ह नं. 31 रा.नि.मं. भैसमा तहसील कोरबा स्थित भूमि खसरा नंबर 377 में रकबा 1.98 एकड़ भूमि मिसल बंदोबस्त में कलीराम पिता भोजराम गांडा सा.दे.ग्राम नौकर के नाम से दर्ज रहा है। उक्त भूमि का टुकड़ों में क्रय विक्रय किया गया है। जबकि संबंधित भूमि का स्वामी कालोनाइजर लाइसेंस धारी नहीं है। यह कालोनाइजर एक्ट का उल्लंघन है। इसलिए उपरोक्त बिंदू पर विस्तृत जांच कराई जा रही है। इसलिए वर्तमान में ग्राम कुकरीचोली स्थित भूमि खसरा नंबर 377 रकबा 1.98 एकड़ के खरीदी बिक्री पर आगामी आदेश पर्यन्त अस्थाई रूप से रोक लगाई गई है।

वही कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा अनुभाग अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार बड़े झाड़ की जंगल भूमि की खुलेआम तहसीलदार की मिलीभगत से खरीदी बिक्री की जा रही है । जो बेशकीमती जमीन शासन के मद में रहते हुए जरूरी शासकीय कार्यों में उपयोग ली जा सकती थी, उसे मिलीभगत कर बेच दी गई। खास बात यह है कि जमीन बेचने से पहले कलेक्टर की अनुमति तक नहीं ली गई। इस पूरे मामले में खास बात यह है की एक बड़े स्तर पर इस भूमि की खरीदी बिक्री की जा रही है परंतु कोरबा कलेक्टर संजीव झा इस पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रहे है । आपको बता दे की बड़े झाड़ के जंगल मद की भूमि की बिक्री की अनुमति कलेक्टर भी नही दे सकते है।

पोड़ी उपरोड़ा एसडीएम को सरकारी भूमि की हो रही खर्रीदी, बिक्री की पूरी जानकारी है, उनके बावजूद कार्यवाही का न होना अपने आप में सवाल खड़े करता है, मजे की बात यह है की पोड़ी उपरोड़ा कार्यालय में जंगल मद की भूमि का डायवर्सन भी खुलेआम किया जा रहा है, पोड़ी उपरोड़ा अनुभाग अंतर्गत आने वाले तहसील कार्यालय से बड़े झाड़ के जंगल मद की भूमि की बिक्री कर उसका इश्तिहार भी जारी किया जाता है। देखना दिलचस्प होगा की पूरे मामले में कमिश्नर क्या कार्यवाही करते है।