कोरबा: राजस्व अधिकारियो व जमीन दलालों पर कार्यवाही करने जिला प्रशासन के छूट रहे पसीने ?

जमीन दलालों व राजस्व अधिकारियो पर कार्यवाही करने जिला प्रशासन के छूट रहे पसीने ?

कोरबा: जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में राजस्व अधिकारियों के रहमोकरम पर अवैध सरकारी भूमि की खरीदी बिक्री का कारोबार बेखौफ हो रहा है। लगभग 1 माह पूर्व जिले के पसान में अवैध तरीके से बड़े झाड़ के जंगल मद की भूमि की

फर्जी दस्तावेज तैयार कर रजिस्ट्री करने की शिकायत मिलने के तहसीलदार, एसडीएम , डीएम सभी एक्टिव हो गए थे जिसमे तत्काल कार्यवाही की बात कही जा रही थी, मगर कार्रवाई को लेकर अब राजस्व अधिकारियों के हाथ पाव कापने लगे हैं और कार्रवाई को लेकर अपने उदासीन रवैया से अधिकारी कर्तव्यों की इतिश्री कर रहे हैं। ऐसे में राजस्व अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान उठने लगा है।

एक बात बिल्कुल भी समझ नहीं आती कि जब सभी दस्तावेज दिए जा चुके है जिसमे आसानी से समझा जा सकता है की बड़े झाड़ जंगल मद की भूमि की खरीदी बिक्री फर्जी दस्तावेज तैयार कर की गई है,

पसान में पिछले 10 से 15 सालों से सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा हो रहा है और प्रशासन उनपर कार्रवाई नहीं कर रही। ऐसे में भू माफियाओं की हिम्मत इतना बढ़ चुका है कि वे बड़े झाड़ जंगल मद भूमि की फर्जी दस्तावेज बनाकर उसे लोगों को बेच दे रहे हैं। कुछ दिनों पूर्व हुए रजिस्ट्री में इसका खुलासा हुआ है। जांच के दौरान बड़े झाड़ के जंगल मद भूमि का फर्जी दस्तावेज बनाकर जमीन बेचने वालों का नाम भी सामने आया पर उन पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई।

10 साल से चल रहा हैं खेल

शासन प्रशासन के नाक नीचे पिछले 10-15 सालों से यह खेल चल रहा है, लेकिन कभी भी इन मामलों को लेकर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ऐसा नहीं है कि शिकायत नहीं हुई है। पसान के चारों कोने से शिकायत आई, सरकारी भूमि जिसकी बिक्री की अनुमति राज्य सरकार नही दे सकती ऐसे भूमि पर हुए अवैध कब्जा पर ध्यान ही नहीं दिया। नतीजा यह हुआ कि शासकीय भूमि का फर्जी दस्तावेज तैयार कर बिक्री की जा रही है।

जानिए कारण, जिसकी वजह से नहीं हो रही कार्रवाई

अवैध कब्जा से आमजन को ही नुकसान

अधिकारियों की इच्छा शक्ति- ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए अधिकारियों की इच्छा शक्ति महत्वपूर्ण होती है, लेकिन कोरबा जिला प्रशासन के अधिकारियों में यह बिल्कुल दिखाई नहीं देती।

राज्य शासन गंभीर नहीं- अवैध खरीदी बिक्री व अवैध कब्जा पर कार्रवाई के लिए नियम जरूर बनाए गए हैं, लेकिन शासन कार्रवाई करने को लेकर गंभीर नहीं है।

भू माफिया व अधिकारियों की सांठगांठ- सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा व अवैध बिक्री बिना अधिकारियों के सपोर्ट से संभव नहीं है। कुछ भ्रष्ट अफसरों की वजह से ये खेल संभव होता है।

स्थानीय प्रशासन ऐसे मामले को लेकर कोर्ट नहीं जाता। सिर्फ कार्रवाई नोटिस तक ही सीमित रहती है। इससे भू माफिया का हौसला बढ़ता है।