घोटाले की लीपापोती में लगे राज्य स्तर के अधिकारी, CCF द्वारा गठित जांच टीम पर सवालिया निशान

मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर वृत द्वारा गठित जांच टीम पर सवालिया निशान , राज्य स्तर के अधिकारी मामले की लीपापोती में लगे ,

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही : – चर्चित नेचर कैम्प घोटाले में मुख्य संरक्षक की जांच पर राज्य स्तर के अधिकारियों द्वारा रेंजर एवं एसडीओ स्तर के अधिकारियों को बचाने के लिए षड्यंत्र पूर्वक पुनः जांच के लिए निर्देशित किया गया है . जबकिं मामले की जांच आईएफएस स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में एसडीओ स्तर के दो सदस्यों की समिति गठित कर जांच की जा रही है . इसके साथ ही प्रथम दृष्ट्या दोषी पाए गए कर्मचारियों पर कार्यवाही की गई है . चल रही जांच के बीच अपर प्रधान मुख्य संरक्षक का पुनः जांच के लिए निर्देशित करना जांच पर सवालिया निशान के साथ साथ मामले की लीपापोती करने का प्रयास किया जाना प्रतीत होता है .

मरवाही वनमंडल के मरवाही परिक्षेत्र में विभिन्न योजनाओं की शासकीय राशि फर्जी समिति गठित कर गंभीर वित्तीय अनियमितता के मामले में मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर वृत द्वारा गठित त्रिस्तरीय जांच समिति के प्रतिवेदन को अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (प्रशा. राज./सम.) छत्तीसगढ़ द्वारा नजरअंदाज करते हुए रेंजर एवं एसडीओ स्तर के अधिकारियों को बचाने के लिए इस पूरे मामले में पुनः जांच की कार्यवाही अपने पत्र दिनांक 24/02/2023 के द्वारा निर्देशित किया गया है .

जांच में जिन बिंदुओं के आधार पर पुनः जांच करने का उल्लेख है वह निम्नानुसार जवाब सहित प्रस्तुत है .

प्रश्न : – जांच प्रतिवेदन में जिन अधिकारियों /कर्मचारियों दोषी पाया गया है उन्हें जांच प्रक्रिया में सम्मलित नही किया गया है

उत्तर : – त्रिस्तरीय जांच समिति द्वारा स्थल पर कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों का बयान दर्ज किया गया है . परिक्षेत्राधिकारी मरवाही दरोगा सिंह मरावी एवं वनरक्षक सुनील चौधरी के बयान के आधार पर स्पष्ट रूप से श्री संजय त्रिपाठी स.व.स तथा तत्कालीन परिक्षेत्राधिकारी श्री संजय त्रिपाठी एवं वर्तमान परिक्षेत्राधिकारी श्री दरोगा सिंह मरावी एवं अन्य कर्मचारियों को दोषी पाया गया है . इसलिए शासन द्वारा इनके विरुद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही किया जाना उचित होगा . इसी आधार पर ही संबधित अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए गए बयान के आधार पर ही कार्यवाही की अनुशंसा की गई है

2 प्रश्न : – प्रतिवेदन में किसी भी प्रकार के पुष्टिकारक अभिलेखों का परीक्षण करना नहीं पाया गया है। केवल मौखिक कथन से शिकायत के प्रत्येक बिन्दु की पुष्टि कर दी गई है। जो कि प्रक्रियात्मक त्रुटि है।

उत्तर : – त्रिस्तरीय जांच समिति द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन के पृष्ठ क्रमांक 11 के अनुक्रमांक 6 के निष्कर्ष में उल्लेखित है कि प्रमाणको के अवलोकन में पाया गया कि कार्य प्राकलन के अनुरूप नही है एवं कुछ कार्य प्राकलन से भिन्न करा लिए गए है निर्माण कार्य से संबधित मापपुस्तिका भी प्रस्तुत नही की गई है . कराये गए कार्यो में वन वित्तीय नियमो एवं भंडार क्रय नियमो का पालन नही किया गया है इससे स्पष्ट है कि जांच समिति द्वारा पुष्टिकारक अभिलेखों का परीक्षण किया जा रहा है

3 प्रश्न : – जांच प्रतिवेदन में कहीं भी राशि के हेर फेर अथवा कार्य की अपूर्णता उल्लेखित नहीं है जिसे ग्राहय / मान्य किया जाता है, शिकायत का मूल बिन्दु समितियों के निर्माण का प्रश्न है, इस बिन्दु पर ही नवीन जांच समिति द्वारा पुनः जांच संस्थित किया जाये

उत्तर : – मुख्य वन संरक्षक द्वारा गठित त्रिस्तरीय जांच समिति का जांच प्रतिवेदन के पृष्ठ क्रमांक 4 के कंडिका 4 एवं 5 में स्पष्ट उल्लेखित है कि विदेशी राम बनर्जी वनरक्षक साल्हेकोटा के बयान के आधार पर उच्चाधिकारियों से चक्रीय निधि की क़िस्त राशि मुख्य वन संरक्षक कार्यालय बिलासपुर में जमा करने का निर्देश प्राप्त होने पर HDFC बैंक पेण्ड्रारोड जाकर डुप्लीकेट पासबुक प्राप्त कर प्रिंट कराये जाने पर मुझे पचास लाख रुपये की राशि मे से 42 लाख 31 हजार रुपये किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा निकाले जाने की जानकारी प्राप्त हुई।

जिसकी सूचना वर्तमान वनमण्डलाधिकारी को दी गई तथा उक्त राशि किसके द्वारा निकाली गई इसकी जानकारी वर्तमान परिक्षेत्राधिकारी श्री दरोगा सिंह मरावी के साथ HDFC बैंक में जाकर राशि निकाले जाने के सम्बंध में पूछने पर शाखा प्रबंधक द्वारा बताया गया कि वर्तमान में सचिव सुनील चौधरी एवं अध्यक्ष मूलचंद कोटे के हस्ताक्षर से राशि आहरित की गई है . इसलिए यह कहना गलत है कि राशि का हेरफेर या कार्य की अपूर्णता उल्लेखित नही है . बयान के आधार पर नेचर कैम्प जामवन्त माड़ा गगनई से 42 लाख 31 हजार की राशि का हेरफेर हुआ है . फर्जी समितियों के निर्माण के साथ साथ शासकीय राशि की हेराफेरी कर गंभीर वित्तीय अनियमितता भी की गई है . तदानुसार कार्यवाही प्रस्तावित किया गया .

4 प्रश्न : – क्या समितियों को कार्य के अनुरूप भुगतान वनमंडलाधिकारी द्वारा ही किया गया है? ऐसी स्थिति में अधिनस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों को ही दोषी कैसे मान्य किया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि समितियों के निर्माण मे प्रक्रियाओं को पूर्ण नहीं किया गया है। अतः इसकी पड़ताल कर समितियों के निर्माण के परिपेक्ष्य में प्रक्रिया पूर्ण करायी जा सकती है।

उत्तर : – जांच के दौरान प्रभारी वनमण्डलाधिकारी श्री राकेश मिश्रा , श्री संजय त्रिपाठी एवं तत्कालीन वनमण्डलाधिकारी श्री दिनेश पटेल द्वारा समय-समय पर इन समितियों में शासकीय राशि हस्तांतरित करने की पुष्टि हुई है .

रोपणी प्रबंधन समिति चिचगोहना एवं नेचर कैम्प प्रबंधन समिति जामवन्त माड़ा गगनई के गठन निर्माण प्रक्रिया पूर्ण कराया जाना बाद का विषय है प्रथम दृष्टया जांच में बिना पंजीकृत समिति से शासक़ीय राशि की हेराफेरी करना पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही किया जाना उचित होगा .

इस प्रकार अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (प्रशा. राज./सम.) छत्तीसगढ़ द्वारा पुनः जांच समिति गठित करने का आदेश नीचे के कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाकर एसडीओ रेंजर स्तर के अधिकारियों को बचाने का घृणित षड्यंत्र प्रतीत होता है .

मिली जानकारी अनुसार इस पूरे प्रकरण को ध्यानाकर्षण के माध्यम से विधानसभा सत्र में उठा दिया गया है देखने वाली बात होगी कि विधानसभा में बहस के दौरान क्या कार्यवाही की जाती है .