कटघोरा वनमंडल में भ्रष्टाचार…मजदूरों का मजदूरी खा गई डीएफओ प्रेमलता यादव..
कटघोरा वनमंडल में भ्रष्टाचार…मजदूरों का मजदूरी खा गई डीएफओ प्रेमलता यादव..
कोरबा: कटघोरा वनमंडल में काम निकल जाने के बाद भुगतान नहीं करने की परिपाटी थमने का नाम नहीं ले रही है। पूर्व डीएफओ शमा फारूखी के कार्यकाल में जहां अनेक ठेकेदार और सप्लायर काम करने के बाद भुगतान के लिए भटकते रहे और किसी को खुदकुशी करने पर मजबूर होना पड़ा तो कुछ ने न्यायालय की शरण ली है। इन्हें उम्मीद थी कि व्यवस्था में परिवर्तन और नई डीएफओ के आने के बाद राहत मिलेगी लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। भुगतान के एवज में कमीशनखोरी की परंपरा ने चुनिंदा ठेकेदारों व सप्लायरों की नाक में दम कर रखा है। मजदूरी भुगतान में भी 50 प्रतिशत कमीशन की मांग होने लगी है।
स्थानीय सप्लायरों ने इस संबंध में बताया कि काम करा लेने के बाद भुगतान की फाइल वर्षों से धूल खा रही है क्योंकि कमीशन नहीं दे पा रहे हैं। 50 प्रतिशत कमीशन देने के बाद आखिर हमारे पास क्या बचेगा? इसके विपरीत दर्जनों ऐसे कार्य हैं जो या तो धरातल पर नहीं हुए हैं और हुए भी हैं तो आधे-अधूरे हैं लेकिन उनका भुगतान लगभग पूरा-पूरा कर दिया गया है। ऐसे भी मामले हंै जिनमें मजदूर को मजदूरी नहीं मिल पा रही है। वनमंडल के चैतमा रेंज में ग्राम छिंदपहरी से रामाकछार के मध्य 9 किलोमीटर डब्ल्यूबीएम सड़क का निर्माण हो रहा है जिसकी लागत 1 करोड़ 36 लाख बताई जा रही है। यहां कार्यरत मजदूरों हिरामति, शत्रुघन आदि ने बताया कि उन्हें पप्पू ठेकेदार ने गिट्टी तोड़ने के काम में लगाया है।
1 हजार रुपए प्रति ट्रैक्टर की दर से उन्हें यह काम मिला है। पत्थरों को बोल्डर की साइज में तोड़ कर एक ट्रैक्टर भरने के बाद 1 हजार रुपए इन्हें मिलेगा। इसके अलावा निर्माण में जंगल से ही मुरूम खोद कर पाटा जा रहा है और रोलर भी अब तक नहीं चलाया गया है। हालांकि वन विभाग के अधिकारी निरीक्षण करने के लिए पहुंचते हैं और इनकी जानकारी में यह सब हो रहा है। मजदूरों को 6 दिन में महज 1 हजार रुपए मजदूरी दिया गया। शत्रुघन ने बताया कि 8 से 10 ट्रैक्टर गिट्टी तोड़ने के बाद मात्र 3 हजार रुपए अब तक भुगतान किया गया है। समझा जा सकता है कि वन अधिकारियों की देख-रेख में ग्रामीण आदिवासी मजदूरों का किस तरह से शोषण हो रहा है। इस सड़क पर तो मिट्टी का कार्य है ही नहीं तथा अगल-बगल से मुरूम खोदकर सीधा सड़क पर जेसीबी से बिछाया जा रहा है।
0 अनेक विवादित भुगतान के चर्चे
मौजूदा डीएफओ श्रीमती प्रेमलता यादव का कार्यकाल भी भुगतान के मामले में विवादित होने लगा है। सूत्रों के अनुसार ऐतमानगर रेंज के विवादित स्टॉप डेम लुदी नाला जिसका स्थल पर अस्तित्व भी नजर नहीं आता ऐसे कार्य का भुगतान पिछले नवंबर माह में किया गया। लंबित करोड़ों रुपए के मजदूरी भुगतान में अकेले जटगा रेंज का 50 लाख के आसपास इन्हीं के कार्यकाल का लंबित है जिसमे 200 से अधिक पंडो,बिरहोर और धनुहार जाति के मजदूर हैं जो 4-4 माह की मजदूरी पाने के लिए जटगा रेंज से लेकर वनमण्डल का चक्कर लगा-लगा कर थक चुके हैं। पुराने कार्यों में रायपुर के एक ठेकेदार का ऐतमानगर रेंज अंतर्गत खोदे गए तालाब में 25 लाख के सत्यापन के बाद भी 39 लाख का भुगतान कर दिया गया जो चर्चा में है।
इसी तरह कटघोरा रेंज के एसईसीएल क्षेत्र में खोदे गए तालाब का रायपुर के एक अन्य ठेकेदार को 64 लाख का भुगतान बिना देखे, जांच कराए कर दिया गया। चैतमा रेंज के सपलवा से छिंदपहरी मार्ग 3 किलोमीटर डब्ल्यूबीएम कार्य में शिकायत के बाद भी बिना जांच कराए 25 लाख रुपए निकाल दिए गए। यह कार्य भी रायपुर के ही किसी ठेकेदार के माध्यम से होना बताया जा रहा है जिसमे मिट्टी कार्य के लिए 13 लाख रुपए निकाला गया है जबकि मिट्टी का कार्य 1 घन मीटर भी नहीं हुआ है।