कटघोरा वन मंडल में करोड़ों के कराए गए कार्यों में भ्रष्टाचार को लेकर सैकड़ों मजदूरों ने शपथ पत्र के साथ की शिकायत, कटघोरा वन मंडल के घेराव की चेतावनी..

कटघोरा वन मंडल में करोड़ों के कराए गए कार्यों में भ्रष्टाचार को लेकर सैकड़ों मजदूरों ने शपथ पत्र के साथ की शिकायत, कटघोरा वन मंडल के घेराव की चेतावनी..

कटघोरा वनमण्डल अन्तर्गत विभिन्न वन परिक्षेत्रों में वित्तीय वर्ष 2022.23 में कई करोड़ रुपए के निर्माण कार्य विभिन्न योजनाओं से हुए हैं। सप्लायर और ठेकेदारों का तो भुगतान रोज हो रहा है लेकिन दो ढाई सौ मजदूरों को छह माह, चार माह काम कराकर भुगतान करना भूल गए । मजदूरों द्वारा कई बार वनमण्डल के चौखट तक अपनी फरियाद लगा चुके हैं,काम कराने वाले बीट गार्ड , डिप्टी रेंजर कहते हैं कि हम तो बिल वहौचर बनाकर कब से वनमण्डल में प्रस्तुत कर चूके हैं वहीं से भुगतान नहीं हो रहा है तो हम क्या करें। वन विभाग के कर्मचारियों की काम कराने के पश्चात इस तरह की गैर जिम्मेदाराना जवाब और डीएफओ की असंवेदन शीलता से त्रस्त होकर मजदूर अपनी खून पसीने की गाढ़ी कमाई पाने सड़क पर उतरने को आमादा हो गए हैं।

इसी तारतम्य में 11 अप्रैल को सैकड़ों मजदूरों ने शपथ पत्र बनवाकर लीलार गोस्वामी पूर्व उपाध्यक्ष लघु वनोपज संघ जिला यूनियन कटघोरा की मदद से 11 सूत्रीय मांगो को लेकर वनमण्डल कार्यालय घेराव का ज्ञापन सौपे हैं।

ज्ञापन में उल्लेख है कि चैतमा रेंज में कराए जा रहे छिदपहरी से रामाकछार 9 किमी डब्ल्यू बी एम कार्य में अनियमितता ,वनसंरक्षण अधिनियम का उल्लंघन ,मुरूम और गिट्टी की जंगल से खुदाई करना और मजदूरों से चांवल के बदले काम तथा 1000 रू प्रति ट्रैक्टर में पत्थर तोड़वाकर मजदूरों का शोषण किया जाना, मजदूरों ने अपना सही मेहताना पाने के लिए आवाज उठाने की कोशिश की शपथ पत्र के साथ वनमण्डल में गुहार लगाई तो उनकी आवाज दबाने जंगल जमीन से बेदखल करने की धमकी देकर डीएफओ द्वारा शपथ पत्र के विरुद्ध बयान ले लिया गया । चैतमा रेंज के ही अंतर्गत बारी उमराव परिसर में आरसीसी पोल की जगह जंगल से ही 20 रू नग में कटवाए लकड़ी खंभा लगाकर कांटा तार से फेंसिंग करना वो भी पूरे वन क्षेत्र को घेरने के बजाय सिर्फ सामने सामने को घेरना और वास्तविक मजदूरों की मजदूरी न देकर अपने रिजर्व मजदूरों के नाम पर राशि आहरण किया गया है ।

एतमा नगर रेंज में 2020 में पाथा परिसर में लेमरू हाथी रिजर्व योजना से 50 लाख की लागत से जो तालाब बनाया गया है वो अनुपयोगी है क्योंकि ऐसे जगह पर राशि का बंदरबाट करने के उद्देश्य से बनाया गया है जहां हाथी का आवागमन ही नही है ।इस जगह पर पहले से ही तीन नाला का संगम था और प्राकृतिक रूप से तालाबनुमा गढ्ढा था ,चारो ओर पहाड़ीनुमा टीले को खोदकर मिट्टी का मेड़ बना दिया गया है जो वन्य प्राणियों के लिए मौत का कुंआ साबित होगा ।आधे अधूरे इस तालाब से 39 लाख रु निकाला जा चुका है ।

पिछले महीने बिना कुछ काम कराए वर्तमान डीएफओ प्रेमलता यादव द्वारा 24 लाख रुपए ठेकेदार के नाम से निकालने की जानकारी मिली परंतु एक रू भी मजदूरों के नाम से नही निकाला गया । कुछेक मजदूरों को पूर्व में 200 रू प्रतिदिन के दर पर भुगतान किया गया था । तालाब के भीतर आ रहे सैकड़ों इमारती पेड़ो को भी बेदर्दी से कटवाया गया है। लेंटाना उन्मूलन में वास्तविक रूप से काम किए मजदूरों को एक रू भी भुगतान नहीं किया गया है तथा बांस प्लांटेसन में चौकीदारी किए मजदूरों के छः छः माह की मजदूरी तीन साल बीत जाने के बाद भी नही किया गया पूर्व में कुछ महीनो का भुगतान हुआ भी तो 4000/ प्रति माह के दर पर ।

जटगा रेंज में 200 मजदूरों के 4-4 माह की मजदूरी लगभग 47 लाख रु का भुगतान वर्तमान डीएफओ के कार्यकाल का है जो 12 माह बाद भी नही किया और जिन कार्यों ( स्टॉप डेम) का मजदूरी बकाया है उन में निर्माण सामग्री 70 प्रतिशत का भुगतान ठेकेदारों को अग्रिम कर दिया गया और मजदूरों के मजदूरी के लिए नियम कानून का पहाड़ बना कर मजदूरों को चक्कर लगवाया जा रहा है।

जटगा रेंज के पुराने स्टॉप डेम जो चार बरसात का पानी झेलकर गुणवत्ता की कसौटी में खरा उतर चुका है ऊपर से कई स्तर पर जांच होने के बाद भी इस डीएफओ द्वारा न तो सामग्री का भुगतान किया जा रहा है और न ही मजदूरी का जबकि निचले स्तर के कर्मचारी कई बार बिल वहौचर डीएफओ कार्यालय तक पहुंचा चुके है और जिनका कई एसडीओ सत्यापन कर चूके है। इस डीएफओ के लिए जिसमे स्वयं का हित हो उन कार्यों के भुगतान के लिए न जांच जरूरी होता और न एसडीओ का सत्यापन मायने रखता परंतु जिन भुगतान को करने से इनको कोई फायदा नजर नहीं आता वैसे कार्यों की जांच चाहे कितनी बार भी हो ले ,बस उलझाकर रख दिया जाता है जिससे सैकड़ों मजदूरों की स्थिति दयनीय हो चुकी है।