पेंड्रा: तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार सोनू अग्रवाल पर आरोप , कूटरचना कर आदिवासियों की जमीन कराई गैर आदिवासी के नाम,

गौरेला पेंड्रा मरवाही: मिलीभगत कर गलत तरीके से जमीन दूसरों के नाम पर चढ़ाने वाले तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार सोनू अग्रवाल, वर्तमान तहसीलदार ,पटवारी, सहित अन्य क्रेता विक्रेता के खिलाफ आवेदक ने धोखाधड़ी का अपराध दर्ज करने ज्ञापन सौंपा गया है। गौरतलब है की जिले का राजस्व विभाग भ्रष्टाचार और विवादों का अड्डा बन चुका है अभी बीते दिनों पेण्ड्रा के नायब तहसीलदार सुनील ध्रुव द्वारा मंदिर की जमीन को निजी व्यक्तियों के नाम पर चढ़ाकर भूमि स्वामी दर्ज करने का मामला सामने आया था, अब ताजा मामला पेंड्रा तहसील कार्यालय से ही सामने आया है,

पेंड्रा के तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार सोनू अग्रवाल पर कूट रचना कर करोड़ो की जमीन के हेराफेरी का आरोप तथ्यो के साथ लगा है, जिस,पर आज पर्यन्त तक किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नही की गई है जबकिं मामले की शिकायत ग्रामीणों ने कलेक्टर से लेकर राजस्व विभाग के उच्चाधिकारियों से की थी . इतने संवेदनशील मामले में शिकायत के बावजूद अब तक कार्यवाही का न होना बताता है कि पूरा प्रशासन किस कदर भ्रष्टाचार में लिप्त होकर सिर्फ अवैध कमाई में लगा हुआ है,

सूत्रों की माने तो तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार सोनू अग्रवाल के द्वारा पूर्व के तहसीलदार के आदेश को दरकिनार करते हुए खुलेआम फर्जी तरीके से हेराफेरी की गई है, सूत्र बताते हैं कि करोड़ो के भूमि के लालच में कूट रचना कर भूमि को अपने रिश्तेदारों के नाम पर भी दर्ज करवाया है,

कलेक्टर को निम्न बिंदुओ पर शिकायत कर कार्यवाही की मांग की गई है,,,,

तहसीलदार पेण्ड्रा एवं हल्का पटवारी ग्राम सरखोर के द्वारा जमीन दलालो बुद्धीबाई, ललन सिंह से पैसा लेकर अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्ति की भूमि को सामान्य जाति वर्ग के व्यक्ति को विक्रय कराये जाने बाबत शिकायत,

1. यह कि, मनोज कुमार पिता स्व. गुरुचरण सिंह जाति गोड निवासी ग्राम सरखोर तहसील पेण्ड्रा जिला गौरेला पेण्ड्रा मरवाही छ०ग० का निवासी है तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग में आता है।

2. यह कि, उक्त व्यक्ति के द्वारा ग्राम सरखोर तहसील पेण्ड्रा स्थित भूमि ख०न ० 303 रकबा 1.16 एकड़ को विक्रेता गण बुद्धी बाई पति छुन्नू सिंह एवं माखन सिंह, ललन सिंह दोनो पिता छुन्नू सिंह से पंजीकृत विक्रय विलेख दिनांक 19.05.1989 को क्रय किया था।

3. यह कि, उक्त बैनामा पंजीयन के उपरांत उसका नामांतरण उसके द्वारा तहसील कार्यालय में कराया गया था जिसमें कि नामांतरण क० 4 आदेश दिनांक 18.07.1989 को नामांतरण आदेश पारित कर उक्त भूमि मे उसका नाम दर्ज किया गया था एवं उसके नाम पर ऋण पुस्तिका प्रदान की गयी थी।

4. यह कि, उक्त भूमि पर उक्त व्यक्ति मनोज अपना मकान बाड़ी बनाकर काबिज कास्त तथा उक्त भूमि पर ही उसके पिता के स्वर्गवास हो जाने के उपरांत उसके दादा, दादी, चाचा, के साथ उसके पिता की समाधि भी बनायी गयी है, जो कि अत्यंत महत्वपूर्ण एवं आस्था का विषय है।

5. यह कि, उक्त भूमि को बुद्धीबाई एवं ललन सिंह के द्वारा वाद भूमि को मनोज कुमार को वर्ष 1989 में विक्रय करने के उपरांत पुनः अपना नाम दर्ज कराकर उसे अपने ही पुत्रों जितेन्द्र राजूपत एवं अन्य एवं नाबालिग आयुषी अग्रवाल पिता सतीश अग्रवाल को पंजीकृत विक्रय विलेख के द्वारा विक्रय कर दिया गया है।

6. यह कि, उक्त मनोज कुमार के द्वारा पंजीकृत विक्रय विलेख के द्वारा उक्त भूमि को क्रय किया गया, जिसमें वर्तमान विक्रेता गण का नाम दर्ज है। मनोज कुमार के द्वारा उक्त भूमि के राजस्व अभिलेखों का परीक्षण करने पर यह तथ्य सामने आया कि राजस्व अभिलेखो में उसका नाम दर्शित नही हो रहा है, जिसके लिए उसने न्यायालय तहसीलदार पेण्ड्रा के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत किया जिसमें प्रकरण कमांक 202208280800014 मनोज कुमार वि० अशोक कुमार वगैरह में आदेश दिनांक 31.10.2022 को आदेश पारित करते हुये मनोज कुमार का नाम दर्ज करने का आदेश पारित किया, जिसके लिए हल्का पटवारी को ज्ञापन भी जारी हुआ था, किंतु उसके बाद भी मनोज कुमार का नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं किया गया, बल्कि वर्तमान तहसीलदार पेण्ड्रा सोनू अग्रवाल के द्वारा अपने अधिकारों से परे जाते हुये एक अवैध आदेश पारित करते हुये पुनः विक्रेता गण बुद्धी बाई, ललन, का नाम पूर्व में पारित आदेश के बाद वर्ष 2023 में दर्ज कर दिया गया, यह जानते हुये कि इसी न्यायालय के द्वारा क्रेता मनोज कुमार का नाम दर्ज करने का आदेश पूर्व में पारित किया गया है।

7. यह कि, पुनः विक्रेता गण का नाम दर्ज हो जाने पर बुद्धी बाई एवं ललन के द्वारा उक्त भूमि का पुनः विक्रय कर दिया गया, यह जानते हुये कि उन्ही के द्वारा वर्ष 1989 में वाद भूमि को केता मनोज कुमार को विक्रय कर दिया गया है स्पष्ट रूप से अपराध घटित किया है। उक्त संबंध में मनोज कुमार के द्वारा आप के समक्ष एक शिकायत पत्र हल्का पटवारी एवं विक्रेता गण के विरूद्ध कार्यवाही करते हुये उनके विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किये जाने का निवेदन किया गया था, साथ ही एक शिकायत माननीय पुलिस अधीक्षक के समक्ष प्रस्तुत किया गया था, किंतु आप के द्वारा आज दिनांक तक उक्त संबंध में कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी, जिससे कि वर्तमान तहसीलदार पेण्ट्रा के द्वारा एक अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति की भूमि को अपराधियों के साय संलिप्त होकर पुनः विक्रेता गण के नाम पर नामांतरण कर दिया।

8. यह कि, ध्यान देने वाली बात यह है कि कैसे एक ही विकेता अपनी भूमि को 2-2 बार विक्रय कर सकता है, कैसे क्रेता के नाम पर नामांतरण हो जाने के उपरांत, किसान किताब बन जाने के बाद वर्ष 1994 के राजस्व अभिलेखों में उसका नाम दर्ज हो जाने एवं 6 माह पूर्व ही केता के नाम पर रिकार्ड दुरुस्ती आदेश पारित होने के बाद भी रिकार्ड दुरूस्त नही होना एवं पुनः विक्रेता के नाम पर रिकार्ड दर्ज कर उसका विक्रय हो जाना एवं विक्रय के उपरांत नामांतरण पर आपत्ति प्रस्तुत करने के बाद भी तहसीलदार पेंड्रा के द्वारा आपत्ति खारिज करते हुए नामांतरण पारित कर देना, ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि तहसीलदार पेंड्रा सोनू, अग्रवाल के द्वारा पूर्ण रूप से आंखो में प‌ट्टी बांध ली है और उन्हे पूर्व के विक्रय विलेख, नामांतरण पंजी, किसान किताब, न्यायालय तहसीलदार पेंड्रा के ही द्वारा 6 माह पूर्व पारित आदेश दिखाई ही नही दे रहा है और उनका बस एक ही मकसद है कि अनुचित जनजाति के व्यक्ति की भूमि को कैसे पूर्व विक्रेता के नाम पर दर्ज करते हुये भूमि को सामान्य वर्ग की भूमि बनाया जाये ताकि जमीन दलालों को मुख्य मार्ग पर स्थित भूमि का अधिक से अधिक पैसा मिल सके।

9. यह की तहसीलदार पेण्ड्रा सोनू अग्रवाल के द्वारा वर्तमान नामांतरण आदेश में यह लिखित किया गया है कि विकय विलेख दिनांक को वाद भूमि विकेता गण बुद्धीबाई वगैरह के नाम पर दर्ज ही नही थी, ऐसी स्थिति में आपत्ति कर्ता को कोई स्वत्व प्राप्त नहीं होता है, उक्त के संबंध में एक न्याय दृष्टांत भी दिया गया है,। यह बात समझ से परे है कि तहसीलदार पेण्ड्रा के समक्ष प्रस्तुत दस्तावेजों एवं उनके कार्यालय में रखे गये राजस्व अभिलेखों में स्पष्ट रूप से बाद भूमि ख०न० 303 में विक्रेता गण बुद्धीबाई वगैरह के पति/पिता फुल्लू सिंह का नाम विलोपित करते हुये वर्ष 1987-88 में विक्रेता गण बुद्धीबाई वगैरह का नाम दर्ज किया गया, जिसमें स्पष्ट रूप विरासतन हक में उनका नाम दर्ज किये जाने का उल्लेख है तथा आपत्ति कर्ता के नाम पर नामांतरण हो जाने के उपरांत राजस्व अभिलेखों में भी उसका नाम अंकित किया गया है। सब कुछ स्पष्ट एवं दस्तावेजी साक्ष्य होने के उपरांत भी तहसीलदार पेण्ड्रा सोनू अग्रवाल द्वारा केवल और केवल पक्षविशेष को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा कृत्य एवं आदेश पारित किया गया है

10. यह कि, उपरोक्त वर्णित तथ्यों एवं दस्तावेजों से स्पष्ट है कि कैसे एक अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्ति की भूमि को पैसो की लालच में आकर, सारे नियमों को दर किनार करते हुये, पुनः सामान्य वर्ग के व्यक्ति के नाम दर्ज किया जाता है ताकि जमीन दलालों को पैसा कमाने का जरिया मिल सके।

11. यह कि, एक ही भूमि को एक बार विक्रय करने के उपरांत छल करते हुये पुनः विक्रय कर देना निश्चित रूप से एक संज्ञेय अपराध है जिस पर हल्का पटवारी शाम सरखोर परमेश्वर देवांगन के द्वारा फर्जी एवं गलत चौहद्‌दी बनाकर एवं तहसीलदार पेण्ड्रा सोनू अग्रवाल के द्वारा सारे दस्तावेजों से आंख बंद करते हुये अपने अधिकारों से परे जा कर, अनुसूचित जनजाति व्यक्ति के भूमि को सामान्य भूमि बनाकर, सह अभियुक्त की भूमिका निभाई है, जिस पर संज्ञान लेते हुये उक्त बुद्धीबाई एवं ललन सिंह के साथ ही हल्का पटवारी ग्राम सरखोर परमेश्वर देवांगन एवं तहसीलदार पेण्ड्रा के विरुद्ध तत्काल अपराध पंजीबद्ध करते हुये उनको विरुद्ध कार्यवाही किया जाना न्यायोचित होगा।

12. यह कि, वर्तमान तहसीलदार पेंड्रा सुनील ध्रुव के द्वारा अवैध नामांतरण पारित आदेश की नकल हेतु दिनांक 08.09.24 को आवेदन किया गया था किंतु तहसीलदार के द्वारा आज दिनांक लगभग 8 माह के बाद भी उक्त प्रकरण की नकल नही दी जा रही है, जानबूझ कर, प्रकरण को छुपा कर रखा हुआ है। सम्पूर्ण प्रकरण में पूर्व तहसीलदार, वर्तमान तहसीलदार सुनील ध्रुव, हल्का पटवारी, एवं विक्रेता गण संलिप्त है, उस पर कठोर कार्यवाही किया जाना नितांत आवश्यक है।

यदि इस बार पूर्व की भांति शिकायत पर कोई त्वरित कार्यवाही नही की जाती है तो शिकायत कर्ता का विश्वास न्याय पर ही उठ जायेगा।

नोटः- उपरोक्त व्यक्तियों के द्वारा शिकायत कर्ता की भूमि पर अवैध निमार्ण किया जा रहा है जिसे तत्काल रूप से रोका जाना अतिआवश्यक है।