Katghora; 100 करोड़ घोटाले की फाइल गायब , फिर मुआवजा घोटाला की तैयारी,बेजा कब्जा,बटांकन,छोटी रजिस्ट्री जोरों पर….राजस्व के बड़े अधिकारियो की भूमिका संगिन्ध
कोरबा। नेशनल हाईवे निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण के एवज में अधिक से अधिक मुआवजा हासिल करने के लिए जमीनों का हेरफेर कटघोरा क्षेत्र में कालांतर में उजागर हुआ। यह मामला काफी सुर्खियों में रहा जिसमें करोड़ों रुपए का मुआवजा घोटाला पकड़ा गया। प्रतिबंध होने के बावजूद नेशनल हाईवे में आने वाली व आसपास की जमीनों का जमकर रात-रात भर रजिस्ट्री, बटांकन, नामांतरण होता रहा ताकि जमीनों को टुकड़े में बताकर अधिक मुआवजा की राशि शासन से प्राप्त की जा सके। इसमें अनेक चालाक लोगों के साथ-साथ राजनीतिक दखल रखने वाले और प्रशासनिक क्षेत्र में पकड़ रखने वाले लोगों ने सरकार को चपत लगाई।
नेशनल हाईवे 130 कटघोरा से पतरापाली के बीच बन रही फोरलेन सड़क के जमीन अधिग्रहण में राजस्व के अधिकारियो ने जमकर गेम खेला था, लेकिन उस मामले की फाइल गायब हो चुकी है, कटघोरा से पाली एनएच में 100 करोड़ से अधिक का घोटाला होने की बात सामने आई थी लेकिन वक्त के साथ घोटालेबाज अधिकारी और घोटालेबाजों की फाइल ही गायब हो गई है,
अब एक बार फिर यही कहानी दोहराई जा रही है। इस समय नेशनल हाईवे या कोई सड़क की योजना तो नहीं लेकिन कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में सफेद सोना अर्थात लिथियम की खदान का आवंटन हुआ है। देश की पहली लिथियम खदान कोरबा जिले के कटघोरा में खुलने जा रही है, यहां से लिथियम का खनन किया जाएगा और इसके लिए नीलामी भी हो चुकी है। लिथियम की खदान प्रारंभ करने से पूर्व आसपास के गांव की जमीन का बड़े पैमाने पर अधिग्रहण होना है। अधिग्रहण से पूर्व भूमि का चिन्हांकन भी होगा लेकिन इससे पहले लोगों ने एक बार फिर से सरकार को चपत लगाने का अभियान शुरू कर दिया है। सूत्र बताते हैं कि राजस्व विभाग के चुनिंदा अधिकारी और कर्मचारी बड़ी मुस्तैदी से ऐसे लोगों का साथ देने में जुटे हैं। स्थानीय सूत्रों की मानें तो प्रभावित होने वाले गांवों और उस मार्ग में पड़ने वाली जमीनें टारगेट में है। छोटे टुकड़ों में जमीनों की रजिस्ट्री, बड़े टुकड़ों की जमीन सस्ते में खरीदकर छोटे टुकड़ों में बटांकन, नामांतरण जोरों पर हो रहा है। इसके अलावा प्रभावित क्षेत्र की सरकारी जमीनों पर बेजा कब्जा का भी खेल पहले से चल रहा है (एसईसीएल प्रभावित क्षेत्रों की तर्ज पर) ताकि अधिग्रहण के दौरान इसे भी सूची में शामिल कराया जाकर मुआवजा का लाभ लिया जा सके। इस कार्य में विशेष रुचि लेकर प्रकरण निपटाए जाने की भी खबर है। शासन द्वारा छोटे टुकड़ों की जमीनों और एकड़ में जमीन होने पर मुआवजा का अलग-अलग दर निर्धारित किया गया है जिसका बेजा लाभ उठाने की कवायद हो रही है। समय रहते यदि उक्त लिथियम खदान से प्रभावित होने वाले क्षेत्र की जमीनों के बटांकन और रजिस्ट्री पर व्यापक निगरानी बिठाई जाए तो मुआवजा के नाम पर शासन को फिर से लगने वाले करोड़ों-अरबों रुपए की चपत को रोका जा सकता है। वैसे सूत्र बताते हैं कि सांठगांठ पूर्वक अपने-अपने अधिकारी राजस्व महकमे में बिठा दिए गए हैं और कर्मचारियों के साथ-साथ जमीन के दलाल और मुआवजा में दलाली करने वाले भी सक्रिय हैं। जरूरतमंदों और गरीबों की जमीनों को औने-पौने दाम पर सौदा करने-कराने वाले भी सक्रिय हो चुके हैं।
अब देखना यह है कि समय रहते जिला प्रशासन इस तरह की गड़बड़ी को कितना रोक पाता है या फिर मुआवजा का घोटाला हो जाने के बाद लकीर पीटने के रूप में जांच पड़ताल शुरू कर फाइल दबा दी जाएगी, जैसा कि नेशनल हाईवे के मामले में हुआ है,
0 मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड को मिली है खदान
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कटघोरा में देश का सबसे बड़ा लिथियम ब्लॉक मिला है। मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड (MSMPL) ने सबसे ऊंची बोली लगाकर नीलामी में भारत का पहला लिथियम ब्लॉक खरीद लिया है। कंपनी को यह कोरबा का 76.05 प्रतिशत लीथियम ब्लॉक की नीलामी प्रीमियम पर दिया गया है। कंपनी ने नीलामी में लिथियम ब्लॉक को खरीदने के बाद अब इसके उत्खनन की तैयारी शुरु कर दी है। 256.12 हेक्टेयर में लिथियम का भंडार फैला है जो कटघोरा-घुंचापुर में स्थित है। इसमें 84.86 हेक्टेयर वन भूमि शामिल है।