कोरबा में करोड़ो का मुआवजा घोटाला: अधिकारियों का बड़ा खेल,अपने रिश्तेदारों के नाम पर बोगस जमीन-परिसम्पत्तियां बनाईं,ACB,CBI,EOW की रडार में ये अधिकारी,

खदान प्रभावित ग्राम रलिया, मलगांव और एनएच प्रभावित मोहनपुर में फर्जीवाड़ा किया

0 अभी लिथियम खदान की आड़ में चल रहा टुकड़ों में बटांकन का खेल

कोरबा। जिले में अंजाम दिये गए करोड़ों के मुआवजा घोटाला, जमीन फर्जीवाड़ा और प्रशासनिक अधिकारियों की संलिप्तता पर गहन जांच केंद्रीय एजेंसी से कराने की बात पीएम हाउस तक रखा जा चुका है।

गौरतलब है कि केन्द्रीय परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण की आड़ में जिले के कुछ अधिकारियों ने अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए बड़े पैमाने पर हेराफेरी की है। इसमें CEO स्तर से लेकर राजस्व विभाग के स्थानीय अधिकारी,तहसीलदार और बाबू शामिल हैं। इनकी मिली भगत से कुछ सफेदपोशों ने भी बहती गंगा में हाथ धोया है। चंद सरकारी अधिकारियों और बाबू ने करोड़ों का मुआवजा घोटाला अपने नाते-रिश्तेदारों के नाम पर किया है। ये ऐसे रिश्तेदार हैं जिनका उन गांवों से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं रहा और कभी इनके परिवार का कोई भी सदस्य यहां रहा ही नहीं। न कोई जमीन खरीदी और न ही कोई मकान बना, फिर भी इनके अपने से लेकर ससुराल पक्ष के लोगों के नाम से जमीन सरकारी रिकार्ड में चढ़ गई, मकान, परिसंम्पतियाँ भी कागजो में निर्मित करा दिए गए और करोड़ों का मुआवजा प्राप्त कर लिया। सरकार को उसी के चंद नौकरशाहों ने जमकर चूना लगाया है। जमीनों के बटांकन- नामांकन में तब खेला हुआ जब कटघोरा से पतरापाली के बीच नेशनल हाइवे के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य हुआ। बटांकन की पाबंदी के बाद भी रातों रात छोटे-छोटे टुकड़ों में रजिस्ट्रियां हुईं ताकि ज्यादा मुआवजा हासिल किया/कराया जा सके। सूत्र बताते हैं कि यहां बाबू ने 17 एकड़ जमीन का खेल किय्या है। अभी उरगा से गुजरी भारतमाला में भी यही खेल हुआ है। भारतमाला में अनियमितताओं और घोटाले को लेकर तो जांच अब तेज हो गयी है। भारतमाला का मामला विधानसभा में भी खूब गूंजा। कुछ अधिकारियों और भू-माफियाओं की मिलीभगत से सरकारी मुआवजे का गलत तरीके से भुगतान किया गया, जिससे राज्य को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।

SECL में भी बड़ा फर्जी खेल

मुआवजा में घोटाला का सिलसिला लम्बा है जिसमें SECL भी शामिल है। दरअसल,अधिग्रहित ग्राम रलिया में न सिर्फ राजस्व विभाग बल्कि कुछ प्रशासनिक और यहां तक कि तात्कालीन थाना प्रभारी ने भी अपने रिश्तेदारों के नाम से बिना बसे-बसाए ही जमीन व निर्माण दर्शाकर लाखों-करोड़ों का मुआवजा बनवाया। एक टीआई ने तो लम्बा-चौड़ा कब्जा एसईसीएल के राजस्व अधिकारी की मिलीभगत से किया और रिश्तेदारों के नाम काबिज बताकर मुआवजा उठाया। इसी तर्ज पर मलगांव में भी खेल हुआ है जिसमें एसडीएम कार्यालय का बाबू और उसके कुछ खास लोगों ने करोड़ो का मुआवजा उठाया है। इसी बाबू ने एनएच में भी खेला किया है और उस समय मौजूद राजस्व अधिकारी आज फिर पदस्थ हैं। इस अधिकारी ने भी अपनों के नाम रातों-रात जमीन का बटांकन करा कर लाखों का मुआवजा दिलाया है जबकि वे दीगर प्रान्त से यहां कभी रहने आये ही नहीं।

भू-माफिया और भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई तय

एक तरफ ननकीराम कंवर घोटालों पर केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री को लगातार पत्र लिख रहे हैं तो दूसरी तरफ राज्य सरकार अब इस पूरे घोटाले से जुड़े भू-माफिया और भ्रष्ट अधिकारियों पर सख्ती से निपटने की दिशा में अग्रसर है। कलेक्टर को यह निर्देश दिए गए हैं कि वे जांच के दौरान संदेहास्पद भूमि सौदों, रिकॉर्ड में की गई हेराफेरी और मुआवजे के वितरण में गड़बड़ियों की विस्तृत जांच करें।

0 जनता की निगाहें जांच पर टिकी

इस तरह के बहुचर्चित घोटालों की गंभीरता को देखते हुए आम जनता भी इस पर नजर बनाए हुए हैं। ACB,CBI,EOW की रडार में ये अधिकारी, बाबू,सफेदपोश हैं लेकिन अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार और जांच एजेंसियां किस हद तक जाकर दोषियों को कटघरे तक पहुंचा पाती हैं?