गौरेला पेंड्रा मरवाही : सुरता” में याद किए गये जिले के दिवंगत साहित्यकार, पेण्ड्रा में हुआ भव्य आयोजन, विधायक डॉ केके ध्रुव रहे मुख्य अथिति—- 

“सुरता” में याद किए गये जिले के दिवंगत साहित्यकार, पेण्ड्रा में हुआ भव्य आयोजन, विधायक डॉ केके ध्रुव रहे मुख्य अथिति—-

पेण्ड्रा : आनंद फाउंडेशन एवं अरपांचल कला एवं साहित्य मंच के संयुक्त तत्वाधान में क्षेत्र के दिवंगत साहित्यकारों की स्मृति में सुरता नाम से कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में समर्थ महिला जागृति समिति सह आयोजक रहे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मरवाही विधायक डॉ के के ध्रुव रहे। छतीसगढ़ राजभाषा आयोग के सचिव डॉ अनिल भतपहरी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता कर। विशिष्ट अतिथि के रूप में मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ देवेंद्र पैकरा, नगर पंचायत पेण्ड्रा के अध्यक्ष राकेश जालान जी, वरिष्ठ साहित्यकार मो हसन जी एवं समन्वय साहित्य परिवार बिलासपुर के अध्यक्ष राघवेद्र दुबे जी रहे। कार्यक्रम के प्रारंभ में पूर्व रंग में केंद्रीय विद्यालय अमरकंटक से पधारी छात्राएँ विदुषी ऋद्धि बड़गैया सिद्धि बड़गैया ने हनुमान जी पर केंद्रित बाल प्रवचन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। तत्पश्चात पधारे हुए अतिगणों द्वारा माँ सरस्वती की मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया। इसके पश्चात गणेश वंदना पर नन्हीं बालिका आर्या सिंह गौर ने नृत्य प्रस्तुत किया। इसके बाद राजगीत एवं जिला गीत की सुंदर प्रस्तुति डाईट के छात्राध्यापकों तथा सेजेस के छात्र अभिनव द्वारा प्रस्तुत किया गया।

स्वागत भाषण पश्चात मुख्य अतिथि माननीय विधायक केके ध्रुव ने अपना उद्बोधन दिया। उन्होंने दिवंगत साहित्यकारों का स्मरण करते हुए उनके नमन किया तथा क्षेत्र में साहित्य को जीवित रखने और इस तरह के भव्य आयोजन के लिए संस्था को धन्यवाद देते हुए खूब प्रसंशा की तथा आगे भी इस तरह कर आयोजन करने के लिए हर संभव मदद की बात कही। कार्यक्रम के अध्यक्ष अनिल भतपहरी सचिव राजभाषा आयोग ने अपने वक्तव्य में पेण्ड्रा के साथ साथ छत्तीसगढ़ के दिवंगत साहित्यकारों का स्मरण करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की भूमि प्रारंभ से साहित्य की ही भूमि रही है। पेण्ड्रा पहली हिंदी कहानी की भूमि रही है जिसके रचनाकार माधवराव सप्रे जी ने इसी पेण्ड्रा की जमीन पर इस कहानी की रचना की। सहित्य के लिए कार्यरत संस्था की प्रसंशा कर उन्होंने साहित्यकारों को एक होकर साहित्य की परंपरा को समृद्ध करने के लिए लगातार प्रयास करने के लिए कहा। साथ ही विशिष्ट अतिथि डॉ देवेंद्र पैकरा, नगर अध्यक्ष राकेश जालान, मो हसन एवं राघवेन्द्र दुबे ने भी सभा को संबोधित किया।

कवि श्रेष्ठ अटल जी की जयंती पर उन्हें तथा साथ ही क्षेत्र में कुछ समय प्रवास पर आए गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर जी तथा पेण्ड्रा को अपनी साहित्यिक कर्मभूमि बनाने वाले पं माधवराव सप्रे जी को याद किया गया। साथ ही क्षेत्र के दिवंगत साहित्यकारों में डॉ प्रणब बनर्जी, श्री गोविंद गुप्त अमृत, श्री उमामहेश्वर दुबे, श्री सेमदिल परदेशी, श्री आर डी तिवारी, श्री गणेश अग्रवाल पंकज, श्री आमोद वर्मा एवं डॉ रामलाल भानू को याद किया गया। साथ ही इन दिवंगत विभूतियों को अनिल भतपहरी, डा देवेंद्र पैकरा, राकेश जालान, राघवेन्द्र दुबे आदि सम्माननीय अतिथियों के हाथों संस्था परिवार ने सम्मानित किया। सभी दिवंगत साहित्यकारों के सपरिवार जनों ने यह सम्मान ग्रहण किया तथा अपनी स्मृतियाँ साझा करते हुए अपने पूर्वज की रचनाओं का पाठ भी किया।

इनकी स्मृतियों को ताजा करते हुए वक्ताओं ने अपने उद्बोधन रखे। जिसमें वेदचंद जैन, राजेंद्र पाण्डेय, रामकुमार दुबे, डॉ भास्वर बनर्जी, कुंजबिहारी तिवारी ने अपनी यादें साझा की। कार्यक्रम का संचालन वेदचंद जैन एवं आशुतोष आनंद दुबे ने किया।

कार्यक्रम में उद्बोधन पश्चात सरस काव्य संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें प्रदेश भर से आए साहित्यकारों सहित जिले के युवा रचनाकारों ने भी काव्यपाठ किया। काव्यपाठ करने वालों में राजेश सोनार बिलासपुर, संतोष शर्मा बिलासपुर, त्रिवेंद्रधर बड़गैया अमरकंटक, शिवम शर्मा कोतमा, तथा जिले से वीरेंद्र यादव कनिष्ठ यंत्री, ओम क्षितिज राय, श्रेयस सारीवान, हेतराम रैदास, रतन सुल्तानिया, सूर्यप्रकाश, आनंद सहित बीस रचनाकारों ने अपना काव्यपाठ किया।

कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्था के सदस्य अमन सिंह, ओम राय, श्रेयस, शुभम कनौजिया, नितेश श्रीवास्तव, आयुष, प्रणब, सौरभ कछवाहा, जनार्दन श्रीवास, आदि ने खूब सहयोग किया।

इस भव्य आयोजन में नगर के गणमान्य आर के ताम्रकार, कैलाश महलवाला, राकेश चतुर्वेदी, राजेश जालान, सीताराम महलवाला, विकास त्यागी, राकेश श्रीवास आदि सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक और सुधी श्रोता उपस्थित रहे।