कैम्पा मद जांच की कार्यवाही संदेह के घेरे में , जांच समिति अध्यक्ष पर भी उठ रहे सवाल , महज खानापूर्ति के लिए गठित हुई जांच समिति…
कैम्पा मद जांच की कार्यवाही संदेह के घेरे में , जांच समिति अध्यक्ष पर भी उठ रहे सवाल ,
महज खानापूर्ति के लिए गठित हुई जांच समिति
जीपीएम : – मरवाही वनमंडल में चार साल के अंदर वर्ष 2018-2019 से 2021-22 में कैम्पा मद में कराये गए समस्त कार्यो की जांच वनमंत्री छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जांच समिति गठित कर जांच कराई जा रही है . उक्त जांच समिति को जांच करते दो दिवश बीत गए है किंतु जांच अधिकारी मरवाही वनमंडल कार्यालय में बैठकर बीट गार्डो को कार्यस्थल पर भेजकर उनके बताए अनुसार जांच की खाना पूर्ति में लगे हुए है .
दरअसल मरवाही वनमंडल जो भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका है वही बीते दिनों मनरेगा में करोड़ो के घोटाले पर 15 अधिकारियों कर्मचारियों को निलंबित किया गया था इसी तरह कैम्पा मद जिसकी स्वीकृति केंद्र सरकार से आती है उक्त कार्यो में भी बिना कार्य कराए ही करोड़ो का भ्रष्टाचार कर राशि के गबन का मामला जांच में आया था जिसकी गंभीरता को देखते हुए वनमंत्री छत्तीसगढ शासन द्वारा चार वर्षों में कराये गए कैम्पा मद के कार्यो के लिए जांच टीम का गठन किया गया है . जांच अधिकारी विगत दो दिनों से मरवाही वनमंडल कार्यालय में बैठकर ही जांच की कार्यवाही कर रहे है इससे ऐसा प्रतीत होता है कि उक्त जाँच महज खाना पूर्ति के लिए गठित की गई है .
महत्वपूर्ण बात यह है कि जांच टीम का अध्यक्ष जिन्हें बनाया गया है उनके ऊपर भी पहले ही कई भ्रष्टाचार के मामले जगजाहिर है
जैसे पूर्व में मरवाही वनमंडलाधिकारी रहते इनपर एसीबी की छापा पड़ा था इसके बाद इन्हें वनमंडल मरवाही से स्थानांतरित किया गया था ऐसे ही कटघोरा वनमंडलाधिकारी रहते भी इनपर तमाम आरोप लगे थे तब जाकर एक मंत्री द्वारा इन्हें एक माह में हटा दिया गया था इतना ही नही मनेंद्रगढ़ वनमंडल से भी इन्हें एक सप्ताह में हटाया गया था इसके साथ ही कोंडागांव में रहते इनके द्वारा शासकीय राशि से अपने निवास स्थान पर लाखों की लागत से स्विमिंग पूल बनाने का मामला काफी चर्चित रहा है ऐसे में इन्हें जांच टीम की अध्यक्ष बनाये जाने और सवाल उठना लाजमी है .
गौरतलब है कि मरवाही वनमंडल अधिकारियों के लिये चारागाह बन गया है काफी शिकायतों के बाद ले दे कर जांच की कार्यवाही की जा रही है मगर उक्त जांच में भी लीपापोती करने का प्रयास किया जा रहा है वही पत्रकारों के पूछे जाने पर कोई जानकारी नही देंने के लिए निर्देशन की बात की जा रही है इतने बड़े मामले की जांच अधिकारियों द्वारा निष्पक्षता को ध्यान में रखते हुए स्थानीय जनप्रतिनिधियों , शिकायतकर्ता एवं स्थानीय पत्रकारों के समक्ष की जानी थी किंतु ऐसा न करते हुए वनमंडल कार्यालय में बैठकर ही जांच की कार्यवाही की जा रही है इस संबंध में पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर कोई भी जानकारी नही देने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन की बात की जा रही है तब सवाल यह है कि इतने बड़े भ्रष्टाचार मामले की जांच स्थानीय जनप्रतिनिधियों , शिकायतकर्ता एवं पत्रकारों की नामौजूदगी में जांच कराया जाना सुनियोजित तरीके से मामले को दबाने जैसा प्रतीत होता है .
उक्त मामले में वनमण्डाधिकारी
यह पूरे वनमंडल की जनरल जांच की जा रही है जो जांच उपरांत मुझे रिपोर्ट करेगे चूंकि जांच मेरे नेतृत्व पर की जा रही है वही जांच में किसी प्रकार की कोई कोताही नही बरती जाएगी निष्पक्ष जांच की जावेगी . वही जबसे आईएफएस दिनेश पटेल जो 2018 बैच के आईएफएस है उनके पदस्थ होने के बाद से मरवाही वनमंडल में कार्यवाही का दौर शुरू हो चुका है चूंकि यह देखा गया है कि वनमंडलाधिकारी वनमंडल में भ्रमण कर अवैध कब्जा , अवैध लड़कियों की कटाई एवं परिवहन पर कठोरता से कार्यवाही कर रहे है जबकि मरवाही वनमंडल में इस तरह की कार्यवाही पहले कभी नही देखी गई . इससे आम जन में काफी उम्मीदें है कि अब मरवाही वनमंडल का बेहतर तरीके से संरक्षण और संवर्धन हो सकेगा .