डीएफओ प्रेमलता यादव की नेतृत्व वाली कटघोरा वनमंडल का अमला अतिक्रमण रोकने में नाकाम,
डीएफओ प्रेमलता यादव की नेतृत्व वाली कटघोरा वनमंडल का अमला अतिक्रमण रोकने में नाकाम,
वनभूमि पे बेखौफ हो रहा अवैध कब्जा, मूकदर्शक बना विभाग
:- 4 वर्ष पूर्व मानगुरु पहाड़ में हजारों पेड़ कटाई का जिन्न भी आया बाहर…
कोरबा/कटघोरा:- अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत कटघोरा वन मण्डल में सटीक बैठता हैं। जहां तत्कालीन डीएफओ रही श्रीमती शमा फारुखी द्वारा मनमाने और भ्रष्ट्र निर्माण कार्य कराकर सरकार का खजाना तो खाली किया, साथ ही पुटुवा स्टापडेम मामले में सदन को भी गलत जानकारी दी, वहीं वर्तमान डीएफओ श्रीमती प्रेमलता यादव द्वारा भी भर्राशाही पूर्ण कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है तथा 4 वर्ष पूर्व मानगुरु पहाड़ में हजारों पेड़ों की हुई अवैध कटाई मामले को लेकर विधायक के विधानसभा में लगाए गए ध्यानाकर्षण पर इन्होंने भी गलत जानकारी देने से नही चूकी। दूसरी ओर जंगल, जमीन की सुरक्षा को लेकर भी इनके नेतृत्व वाले विभाग नाकाम नजर आ रहा है। जिसका फायदा उठा अतिक्रमणकारी वनभूमि पर बेखौफ बेजा कब्जा को अंजाम देने में लगे है।
वन परिक्षेत्र कटघोरा अंतर्गत ग्राम लखनपुर के समीप मुख्यमार्ग किनारे बेशकीमती साल के जंगल की जमीन पर कब्जा कर मकान, दुकान बनाने का होड़ चल निकला है। विभाग की निष्क्रियता व बिचौलिये की सांठगांठ से जंगल की जमीन पर कब्जा करना बताया जा रहा है, जबकि वन अमला मूकदर्शक बन इसे लगातार नजरअंदाज कर रहा है। वनभूमि पर कब्जा करना अपराध है। हालकि अतिक्रमण विभाग की नाकामी का ही नतीजा है, जिसके चलते जंगल मे कब्जा करने का सिलसिला जारी है।
यदि वन विभाग सक्रिय रहता तो प्रारंभिक में ही कब्जे को रोककर कार्रवाई की जा सकती थी, किन्तु संसाधन सम्पन्न होने के बावजूद वन विभाग अतिक्रमण हटाने में रुचि नही ले रहा और न ही अतिक्रमियों को बीपीएलई एक्ट के तहत नोटिस जारी किया जाता है। दूसरी ओर वनभूमि की सुरक्षा के लिए सरकार ने ज्योग्राफिकल इनफार्मेशन सिस्टम (जीआईएस) तैयार किया है। यह इंटरनेट से जुड़ा होता है, ताकि अधिकारी दफ्तर में कम्प्यूटर के जरिये जंगल की जमीन पर नजर रख सके। लेकिन कटघोरा वनमंडल में शायद ही जीआईएस का इस्तेमाल किया जाता होगा।
यही कारण है कि वनभूमि पर अतिक्रमण का खेल पैर पसारता जा रहा है, जिसे देख लगता है कि अतिक्रमणकारियों को वन विभाग की ओर से कब्जे की खुली छूट मिल गई है। कटघोरा वनमंडल के जंगलों में कब्जे की वजह से वन क्षेत्र का दायरा तो सिमट रहा है, साथ ही वन्यप्राणियों का कुनबा बढ़ने से उनके लिए विचरण का क्षेत्र कम पड़ रहा है और बढ़ते अतिक्रमण उनके रहवास में खलल डाल रहे है।
ऐसे में वन्यजीवों को बेहतर पर्यावास न मिलने से वे हिंसक होने के साथ रहवासी क्षेत्र की ओर बढ़ रहे है। अगर यही हाल रहा और अधिकारी अपने दायित्वों के विमुख आंख मूंदे बैठे रहे तो कटघोरा वनमंडल का रकबा तेजी से घटने के साथ वन्य प्राणियों के लिए संकट पैदा होने से कतई इंकार नही किया जा सकता।
पेड़ो की कटाई भी जमकर, 4 वर्ष पूर्व मानगुरु पहाड़ में हजारों पेड़ो की अवैध कटाई का मामला सदन में उठा, बुरी फंस रही डीएफओ श्रीमती यादव
कटघोरा वनमंडल की भूमि पर अवैध कब्जा के साथ हरे- भरे वृक्षो की कटाई भी जमकर हो रही है। गत 4 साल पहले एतमानगर रेंज के मानगुरु पहाड़ में साल के वृक्षों में लगे कोसा की लालच में ग्रामीणों ने हजारों हरे- भरे पेड़ बेदर्दी से काट डाले थे। तब श्रीमती प्रेमलता यादव कटघोरा उप वनमंडल में अक्टूबर 2015 से अगस्त 2019 तक एसडीओ के पद पर पदस्थ रही, जहां मामले में कोरबा व मुंगेली वनमंडल के एसडीओ द्वारा जांच की गई थी और दोनों ने 21580 ठूंठ मिलना बताया था, तब रेंजर रामसिंह राठिया, डिप्टी रेंजर और 4 बीट गार्ड पर निलंबन की गाज गिरी थी, लेकिन जांच रिपोर्ट में एसडीओ रही प्रेमलता यादव के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करने के बाद भी कुछ नही हुआ।
उक्त मामले में कार्रवाई को लेकर विधायक दिलेश्वर साहू ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण लगाया है, जिसके जवाब में डीएफओ श्रीमती यादव ने कहा है कि जिस समय पेड़ कटाई होना बताया जा रहा है, उस समय मैं कटघोरा एसडीओ नही थी। यह पूरा मामला डीएफओ श्रीमती यादव के इर्द- गिर्द घूम रहा है और झूठी जानकारी देकर वे बुरी तरह से फंसती नजर आ रही है। साथ ही अन्य अधिकारी भी इसके दायरे में आ रहे है।
मामले में संबंधित उच्च अधिकारी द्वारा फिर से जांच के निर्देश तो दिए गए है, किन्तु दो बार पत्र भेजने के बाद भी इसे लटका कर रखा गया है। इसी तरह पसान वन परिक्षेत्र में भी पेड़ो की कटाई बड़े पैमाने पर की गई है, जिसकी जांच अभी भी जारी है। मामले की प्रतिक्रिया जानने डीएफओ प्रेमलता यादव से फोन पर सम्पर्क किया गया, घण्टी बजती रही किन्तु उन्होंने फोन उठाना मुनासिब नही समझा जिसके कारण उनकी प्रतिक्रिया नही मिल पायी।