आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले मे पीडीएस सिस्टम में भ्रष्टाचार की सेंध, खाद्य विभाग की कार्यशैली पर उठे सवाल..

पीडीएस सिस्टम में भ्रष्टाचार की सेंध ,बायोमेट्रिक्स के बाद भी दो माह से 500 हितग्राहियों को नहीं मिला खाद्यान्न ,जांच के आदेश

आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले के ग्राम सेन्द्रिपाली पीडीएस दुकान में अनियमितता, खाद्य विभाग की कार्यशैली पर उठे सवाल 

कोरबा: आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में पीडीएस सिस्टम में भ्रष्टाचार की सेंध लग गई है । बायोमेट्रिक्स (हितग्राहियों के अंगूठे का स्कैनिंग करने ) के बाद भी 500 हितग्राहियों को खाद्यान्न नहीं दिए जाने का गम्भीर मामला प्रकाश में आया है । व्यथित हितग्राहियों ने कलेक्टोरेट पहुंच इसकी शिकायत की है।

यहां बताना होगा कि प्रदेश का पीडीएस सिस्टम का डंका भले भी पूरे देश मे गूंज रहा हो लेकिन जमीनी स्तर पर व्याप्त खामियाँ कभी शतप्रतिशत दुरुस्त नहीं हो पाई । आदिवासी बाहुल्य आकांक्षी जिला कोरबा से एक ऐसा ही गम्भीर मामला प्रकाश में आया है ,जहाँ बायोमेट्रिक्स (हितग्राहियों के अंगूठे का स्कैनिंग करने ) के बाद भी 500 हितग्राहियों को दो माह से कोटे का खाद्यान्न नहीं मिला। मामला पाली विकाखण्ड के ग्राम पंचायत सेन्द्रीपाली का है ।

यहाँ पीडीएस दुकान का संचालन आदिवासी सेवा सहकारी समिति (लैम्प्स ) सीस द्वारा किया जा रहा है। लेकिन विगत दो माह जनवरी -फरवरी माह से 500 हितग्राहियों को उनके कोटे का खाद्यान्न (चावल ,चना शक्कर ,नमक )नहीं मिला ।जनचौपाल में पहुंचे पीड़ित हितग्राहियों ने बताया कि बायोमेट्रिक्स ((हितग्राहियों के अंगूठे का स्कैनिंग करने ) के बाद भी खाद्यान्न नहीं मिलने से वे हैरान परेशान हैं। शासन द्वारा रियायती दरों पर दी जाने वाली खाद्यान्न से ही गरीब परिवारों का पेट भरता है। जब यही निवाला ही छीन ली गई है तो उनके समक्ष भूखमरी की स्थिति निर्मित हो गई है।

ग्राम में संचालित प्राथमिक शाला एवं पूर्व माध्यमिक शाला के लिए भी मध्यान्ह भोजन का संचालन करने वाली स्व सहायता समूहों को खाद्यान्न नहीं मिला है। जिससे स्कूली स्कूली बच्चों को भी भूखे घर लौटना पड़ा रहा ।ग्रामीणों ने कलेक्टर से तत्काल खाद्यान्न आवंटन की गुहार लगाई है।प्रकरण में प्रखर समाचार ने खाद्य निरीक्षक सुरेंद्र लांझी से फोन कर प्रकरण में उनका पक्ष जानने की कोशिश की कॉल रिसीव नहीं करने की वजह से उनका पक्ष नहीं आ सका है।

कब थमेगी अनियमितता ,खाद्य निरीक्षकों की मिलीभगत !

पीडीएस सिस्टम में भ्रष्टाचार की गूंज हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा के अंतरिम सत्र में भी गूंजा था । पूर्व सीएम डॉ .रमन सिंह ने 600 करोड़ के चावल घोटाले का आरोप लगाया था। निश्चित तौर पर जमीनी स्तर पर इस तरह की गम्भीर खामियां विपक्ष को हमलावर होने का अवसर व शासन को कटघरे में ला खड़े करती है। हर माह जिले के पीडीएस दुकानों से अनियमित खाद्यान्न वितरण ,चावल की अफरातफरी की शिकायतें मिलती रही हैं। बावजूद पीडीएस संचालकों से लेकर जिम्मेदारों पर ठोस कार्रवाई नहीं होने से ऐसे हालत बने हुए हैं।

आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में 3 वर्ष से अधिक समय से कई खाद्य निरीक्षक पदस्थ हैं। बकायदा कई की पदोन्नति भी हो गई । लेकिन गंभीर शिकायतें शासन को प्रतिवेदन भेजने के बाद भी उनका अन्यत्र स्थानांतरण नहीं किया जाने से कहीं न कहीं राज्य कार्यालय से ही संरक्षण दिया जाने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।

विश्वस्त सूत्रों की मानें तो शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों के पीडीएस दुकानों से प्रति माह एक से दो हजार रुपए का कमीशन खाद्य निरीक्षकों का बंधा हुआ है यही वजह है कि पीडीएस दुकानों पर निरीक्षकों का प्रभावपूर्ण नियंत्रण नहीं है। नतीजन गरीब जनता शासन द्वारा दिए जाने वाले रियायती खाद्यान्न से वंचित होकर भूखों मरने विवश है।