Gaurela pendra Marwahi: शर्मनाक! स्कूल में बच्चो से कराई जा रही मजदूरी, हाथों में कलम की जगह थमाया फावड़ा …

Gaurela pendra Marwahi/रितेश गुप्ता: छत्तीसगढ़ के गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के गौरेला अंतर्गत पूर्व माध्यमिक विद्यालय से एक मामला सामने आया है. जानकारी के मुताबिक, मासूम बच्चे कलम कॉपी लेकर विद्यालय पढ़ने के लिए गए थे, किंतु वहां की शिक्षिका बच्चो से बाल मजदूरी करवा रही हैं. यहां मासूम बच्चों से शिक्षिका के द्वारा मिट्टी, ढुलाई कर पेशेवर मजदूरों की तरह मजदूरी करवाई जा रही है,

दरअसल गौरेला विकाश खंड अंतर्गत पूर्व माध्यमिक विद्यालय हर्रा टोला में पदस्थ महिला शिक्षिका समीन बानो की घोर लापरवाही सामने आई है। बच्चों को पढ़ाने की जगह बच्चों से खुलेआम मैडम के द्वारा डामर रोड में मजदूरी कराया जा रहा है। आप वीडियो के माध्यम से देख सकते हैं बच्चे ड्रेस पर किस तरह पीडब्ल्यूडी सड़क में काम करते हुए नजर आ रहे हैं। शासकीय विद्यालय का यही हाल रहा तो कहां तक बच्चे पढ़ेंगे और बढ़ेंगे जहां मां-बाप अपने बच्चों को विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजते हैं वहीं पर बच्चों को शिक्षा देने की बजाय कड़ी धूप में लेबर मजदूरी कराई जाती है, इस संबंध ने परिजनों ने कार्यवाही की मांग की है,

कलेक्टर के प्रयासों पर भी फेर रहे पानी

वर्तमान कलेक्टर द्वारा शिक्षण संस्थानों में विशेष सुधार हेतु विभिन्न योजनाओं के माध्यम से शासकीय शिक्षा और छात्रों के उज्जवल भविष्य हेतु कार्य कराए जा रहे हैं, पर जो तस्वीरें हर्रा टोला शासकीय माध्यमिक विद्यालय से सामने आई है, उसे देख यही कहा जा सकता है कि नन्हे बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं अपितु अन्याय पूर्ण घोर अपराध किया जा रहा है।

मिडिल स्कूल के प्रधान पाठक ने भी झाड़ा पल्ला

मासूम बालकों पर हो रहे पीड़ादायक अत्याचार पर जब स्कूल के प्रधान पाठक गुप्ता से कार्यवाही हेतु सवाल किए तो महोदय अपने जिम्मेदारी से बचते नजर आ रहे है,प्रधान पाठक ने कहा की मैडम समीन बानो बच्चो को स्कूल से लेकर गई थी,बच्चो से रोड में मुरूम का कार्य करवाया गया है तो इसकी जिम्मेदार मैडम है मैं नही,

जिम्मेदार शिक्षिका समीन बानो,

उक्त मामले में शिक्षिका समीन बानो ने कहा की इको क्लब की प्रभारी होने के कारण बच्चो से सड़क किनारे मुरूम का काम मेरे द्वारा करवाया गया है, कार्य करवाना सही है या गलत मुझे नही पता है,

यही कारण है कि आज कोई भी नहीं चहता कि उनका बेटा सरकारी स्कूलों में पढ़े।